Holi is a festival of joy, Enjoy it heartily, but cautiously. होली अपार खुशियों और असीम मस्ती का पर्व है। दिल खोलकर रंगों में सराबोर हो जाइए। खूब गुलाल उड़ाए, मगर सावधानी भी बरतिए। अभी कोरोना समाप्त नहीं हुआ है, इसलिए हमें कोरोना को लेकर भी सावधान रहना है। मास्क का प्रयोग करना है। थोड़ी शारीरिक दूरी बनानी है और फिर मस्ती की लहरों में भी उतराना है। 17 मार्च की देर रात 1:00 बजे के बाद होलिका दहन हो गया। 18 मार्च को होली की तैयारी पूरी करें और इसका आनंद उठाएं। आज अपने घर में होली के गीत-संगीत का आनंद लें। हिंदी फिल्मों के पुराने गीतों के साथ नए होली गीतों को सुनकर आप खूब मनोरंजन करें। छुट्टी होने के कारण दोस्तों और रिश्तेदारों से दिल से बात करें और होली की शुभकामना और बधाई जरूर दें। इस अवसर पर कल हमने बताया था कि हम केमिकल युक्त रंगों और गुलालों का प्रयोग न कर अपने घर में ही हर्बल रंग बनाएं और होली में उसका प्रयोग करें। कल हमने हरा और ऑरेंज हर्बल कलर बनाने का तरीका बताया था। आज हम जानते हैं कि कैसे गुलाबी, लाल और पीला हर्बल कलर बनाकर होली खेलें। अपनी सेहत को बचाते हुए वातावरण को भी जरूर बचाएं।
चुकंदर से बनाएं गुलाबी और लाल रंग
होली में लोग हरे और ऑरेंज कलर को ज्यादा पसंद करते हैं तो कुछ लोग गुलाबी और टहटह लाल को भी। गुलाबी या फिर लाल रंग बनाने के लिए आप चुकंदर का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आप गहरा गुलाबी गुलाल चाहते हैं, तो चुकंदर को सुखाकर पीसकर उसका पाउडर बना लें। इसके अलावा लाल रंग के लिए चुकंदर को पीसकर पानी में उबालने से आपको लाल रंग मिल जाएगा।
हल्दी और चावल से बनाएं पीला रंग
पीले रंग को वासंती रंग भी कहा जाता है। यह रंग दिल-दिमाग को तरोताजा रखते हुए बौद्धिक चेतना को भी संतुलित रखता है, इसलिए बहुत से लोग इस रंग को पसंद करते हैं। यह ज्ञान-विज्ञान की देवी मां सरस्वती का भी प्रिय रंग है। होली खेलने के लिए पीला रंग चाहिए तो हल्दी का इस्तेमाल करें। हां, इस बात का ध्यान जरूर रखें कि हल्दी का अधिक इस्तेमाल आपकी त्वचा पर जलन पैदा कर सकता है। होली का रंग बनाने के लिए हल्दी जितनी बराबर मात्रा में चावल या फिर जौ का आटा मिला लें। इससे आपको गुलाल मिल जाएगा। इसमें पानी डालकर मिला लें तो आपको गाढ़ा पीले रंग का पेस्ट मिल जाएगा।
समाचार सम्राट डॉट कॉम की ओर से सबको होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। समाज में सद्भाव बनाए रखने का अनुरोध।
डॉ. रामकिशोर सिंह, संपादक