New research suggests: सामान्य रूप से सोना और जागना हमारी दिनचर्या का हिस्सा है। हमारे यहां तो यह कहा गया है कि अति सर्वत्र वर्ज्यते। मतलब अति वर्जित है। अंग्रेजी में इसे एक्सेस इज बैड (Excess is bad) कहा जाता है। यदि कोई बहुत जागने लगे और सोने पर ध्यान न दे तो जीव विज्ञान की दृष्टि से जैविक क्रियाएं (Metabolic activities) प्रभावित होती हैं। मस्तिष्क और हृदय की कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है। यदि कोई बहुत ज्यादा सोने लगे तो यह भी सामान्य रूप से आलस्य कहा जाता है अथवा थकावट का प्रभाव, लेकिन नए रिसर्च से यह सच सामने आया है कि अधिक सोना सुसाइड का लक्षण है। इसलिए खुद जगना और दूसरों पर भी नजर रखना जरूरी है। मानसिक स्थिति और अवस्था का पता संवाद के बिना मुश्किल से लगता है, लेकिन अधिक सोने को अगर सुसाइड का लक्षण कहा जा रहा है तो यह गंभीर बात है। दुनिया के टॉप मनोवैज्ञानिकों के अनुसार ऐसे लाेगाें की निगरानी कर उन्हें समय रहते खुदकुशी करने से राेका जा सकता है।
दुनिया में हर साल 8 लाख लोग करते हैं आत्महत्या
विभिन्न स्रोतों से प्राप्त डाटा के अनुसार, दुनिया में हर साल करीब 8 लाख लोग खुदकुशी करते हैं। भारत में 2020 के काेविड दाैर में सबसे ज्यादा 1.53 लाख से ज्यादा लाेगाें ने खुदकुशी की, जाे 2019 से 10% ज्यादा है। छात्राें में आत्महत्या सबसे ज्यादा 21.20% बढ़ी है। इसके अनेक कारणों में एक कारण बेरोजगारी भी है।
लक्ष्मण जाहिर होना परिस्थिति पर निर्भर
अमेरिका में ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी में द सुसाइड एंड ट्राॅमा रिडक्शन इनिशिएटिव फाॅर वेटरंस के क्लीनिकल डायरेक्टर जस्टिन बेकर का कहना है कि किसी व्यक्ति की खुदकुशी पर विचार करने और लक्षण जाहिर होने के बीच हमेशा लंबा वक्त नहीं हाेता। कई बार फासला चंद मिनटाें का हाे सकता है। कई बार हाे सकता है काेई शख्स लंबे समय तक आत्महत्या का विचार कर रहा हाे। ऐसे व्यक्ति के व्यवहार, बातचीत और भावनात्मक लक्षणाें में यह दिखाई दे सकता है।
सामान्य से हटकर बर्ताव
न्यूपाेर्ट हेल्थकेयर सेंटर के डायरेक्टर और क्लीनिकल सायकाेलाॅजिस्ट माइकल राेसके का कहना है कि कुछ लाेग आत्महत्या के बारे में साेचते हुए सामान्य से हटकर बर्ताव करने लगते हैं। इसमें खुदकुशी की तैयारी शामिल है। बंदूक, जहरीली दवा या अन्य जानलेवा साधनों में उनकी दिलचस्पी बढ़ जाती है। वे इंटरनेट पर इनके बारे में तलाश शुरू कर देते हैं। प्रिय चीजाें काे त्यागना, ज्यादा या कम साेना, खुद काे अलग-थलग करना भी इसके लक्षणों में हैं। राेसके का कहना है कि खुदकुशी या मरने की इच्छा जाहिर करना भी एक चेतावनी है जिसे गंभीरता से लेना चाहिए। इसमें लाेगाें का जीने का काेई कारण न हाेना, दूसराें पर खुद काे बाेझ बताना जैसी बातें हाे सकती हैं।
मूड में तेजी से बदलाव
अमेरिकी एजेंसी सब्सटेंस अब्यूज एंड मेंटल हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि मूड स्विंग एक और लक्षण है। उदाहरण के लिए, अगर सामान्य रूप से तनाव या अवसाद में रहने वाला अचानक खुश दिखाई देने लगे, इसका मतलब हाे सकता है कि उसने खुदकुशी का फैसला कर लिया है, जिससे राहत महसूस कर रहा है। माैत या जानलेवा चीजाें काे लेकर बहुत ज्यादा जुनून भी आत्महत्या के रुझान की ओर संकेत करता है। मानसिक बीमारियों से पीड़ित के मामले में खतरा बढ़ जाता है।