Biology (जीव विज्ञान) बताता है कि सभी पौधों की पत्तियों और अन्य किसी अंग का रंग यदि हारा है तो इसका कारण उसमें उपस्थित क्लोरोफिल (Chlorophyll) है। रंग बदलता है, जीव विज्ञान के साथ-साथ भौतिक विज्ञान (Physics) भी यह बताता है। जब एक रंग दूसरे रंग में बदलता है, तो उसके नेचर में परिवर्तन होता है लेकिन, हर वस्तु का एक नेचुरल रंग होता है। कोई भी फल अगर कच्चा है तो वह हरा होगा और पकने के बाद उसका अपना रंग होगा। हरा रंग को छोड़कर कोई भी रंग जैंथोफिल (Xanthophyll) के कारण होता है। नींबू पकने के बाद पीला हो जाता। इसका नेचुरल कलर यही है, लेकिन यह अचरज की बात है कि कोई कहे कि नींबू का पीला रंग लाल हो गया। लाल तो कभी हो नहीं सकता, पर बोलचाल के टोन में इसका कुछ खास अर्थ होता है। जब हम नींबू के पीले रंग के लाल होने की बात करते हैं तो इसका मतलब लाक्षणिक रूप में इसकी महंगाई की ओर संकेत करते हैं। जो आजकल मौसम की तासीर है,उसके अनुसार नींबू का उपयोग बढ़ जाता है और जब नींबू बहुत कीमती हो जाए तो गरीब बेचारा उसका इस्तेमाल कैसे करे। आज भारत में शायद ही कोई ऐसा शहर है जहां एक सामान्य नीबू ₹10 से कम कीमत में मिलता हो। यह कीमत कहीं-कहीं 15 से ₹20 तक भी चली गई है।
750 ग्राम आलू की कीमत एक नींबू के बाराबर
750 ग्राम आलू की कीमत एक नींबू के बराबर है। ठीक ऐसे ही बाजार में आधा किलो टमाटर और प्याज की कीमत एक नीबू के बराबर है। कम से कम 3 केलों की कीमत एक नींबू के बराबर है और एक सेब भी एक साधारण नींबू से ज्यादा महंगा अभी नहीं होगा। इसीलिए व्यावहारिक दृष्टि से भी हमने लोक मुहावरे के टोन में नींबू के पीले रंग को लाल होने की बात कही है। बेशक पूरे देश में नींबू की कीमतों में ‘आग’ लगी हुई है, तभी इसका रंग ‘लाल’ हो गया है। एक बार जो इसकी कीमत बढ़ गई, घटने का नाम ही नहीं ले रही।
शादी में दूल्हे को नींबू का उपहार
गुजरात से एक खबर यह आ रही है कि यहां आलम यह है कि अब शादी में दूल्हे को उपहार के तौर पर नींबू दिया जाने लगा है। जी हां, गुजरात के राजकोट में शादी समारोह के दौरान लोगों ने दूल्हे को नींबू भेंट किए। दूल्हे के एक दोस्त का कहना है , “इस समय राज्य और देश में नींबू की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। इस मौसम में नींबू की बहुत जरूरत पड़ती है। इसलिए मैंने नींबू भेंट किए हैं।”
रोजेदार के लिए नींबू का शरबत मुश्किल
अभी रोजा का महीना चल रहा है। इसके ठीक पहले नवरात्र में भी श्रद्धालुओं का उपवास चला, लेकिन नींबू की महंगाई उनके लिए परेशानी खड़ी करती रही। बताया जा रहा है कि रोजेदार के लिए नींबू का शरबत भी मुश्किल हो गया है। एक रोजेदार ने कहा कि इस साल फल के दाम ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। खासकर नींबू बाजार में महंगे बिक रहे हैं, जिससे हम रोजेदारों को मुश्किल हो रही है। रोजा रखने के कारण रोजेदार को कमजोरी का एहसास होता है, जिससे बचने के लिए वह अच्छे फल और नींबू का शरबत पीना चाहता है, मगर यह सारी चीजें महंगी हो गई हैं। इस कारण रोजेदार सहित अन्य सभी लोग परेशान हैं।