राष्ट्रमंडल खेल के लिए भारतीय टेबल टेनिस टीम में शामिल नहीं किए जाने को लेकर इंडिया की उभरती टेनिस खिलाड़ी स्वस्तिका घोष ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है। इस मामले में कोर्ट जाने वाली वह तीसरी खिलाड़ी बन गई हैं। उनके पिता कोच संदीप ने कहा कि हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई शुक्रवार को होगी। इससे पहले दीया चितले और मानुष शाह ने भी इस मामले में हाई कोर्ट के हस्तक्षेप की मांग की थी। चितले को अब अर्चना कामत की जगह टीम में शामिल कर लिया गया, लेकिन चयनकर्ताओं ने मानुष को पुरुष टीम में शामिल नहीं किया जो मानंदड के हिसाब से शीर्ष चार में थे।
8 जून को फाइनल टीम की हुई थी घोषणा
भारतीय टेबल टेनिस महासंघ (टीटीएफआई) का कामकाज देख रही प्रशासकों की समिति ने 8 जून को अंतिम टीम की घोषणा की थी। मानुष के मामले की भी शुक्रवार को सुनवाई की जाएगी। स्वस्तिका (19 वर्ष) को मनिका बत्रा, चितले, रीथ और श्रीजा अकुला वाली संशोधित टीम में स्टैंडबाय के तौर पर रखा गया था। वहीं पुरुष टीम में अनुभवी शरत कमल, जी साथियान, हरमीत देसाई, सानिल शेट्टी के साथ मानुष स्टैंडबाय हैं।
सीओए ने प्रतिशत में किया बदलाव
टेबल टेनिस में चयन मानदंड में घरेलू प्रदर्शन (50 प्रतिशत), अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन (30 प्रतिशत) और चयनकर्ताओं के निर्णय (20 प्रतिशत) को देखा जाता है। पिछले कुछ समय में यह काफी सुर्खियों में रहा, क्योंकि कई खिलाड़ियों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। सीओए ने इस प्रतिशत को अगले सत्र से 40-40-20 कर दिया है, जिसमें शीर्ष 32 में शामिल खिलाड़ी स्वत: ही टीम में प्रवेश कर लेगा।