अगर इंसान में दृढ़ इच्छाशक्ति और लगन हो तो उसके लिए कोई भी काम असंभव नहीं होता। यह पंक्ति 39 वर्षीय महिला मुक्केबाज मैरी कॉम पर एकदम सटीक बैठती है। 39 वर्ष में कई खिलाड़ी तो सन्यास ले लेते हैं लेकिन मैरी कॉम के अटल इरादों के आगे उनकी उम्र बौनी साबित हो रही है। इतना ही नहीं मैरी कॉम 4 बच्चों की मां भी हैं। इसके बाद भी वह बर्मिंघम में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए कठोर परिश्रम कर रही हैं। अब तक मैरी कॉम 6 बार विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप का खिताब जीत चुकी हैं।
सफलता के लिए मेहनत जरूरी
मैरी कॉम ने सोशल मीडिया एप कू पर अपना वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि सफलता के लिए केवल कड़ी मेहनत जरूरी है। इसके लिए कोई शॉर्टकट नहीं है। कोशिश से काम नहीं चलेगा। मेहनत करनी ही पड़ेगी।
गौरतलब है कि मुक्केबाजी प्रैक्टिस के बाद मैरी कॉम दोपहर में जिम जाती हैं। वह इस समय का उपयोग बॉडीवेट एक्सरसाइज जैसे पुश-अप्स और सिट-अप्स के साथ-साथ हैवी वेट-लिफ्टिंग के साथ अपनी ताकत बढ़ाने और मसल्स को मजबूत रखने के लिए करती हैं। इस ट्रेनिंग के बाद फिर वापस अपनी मुक्केबाजी अभ्यास को तेज करने के लिए चली जाती हैं।
लड़कियां बहुत स्ट्रॉन्ग होती हैं
बता दें कि कुछ दिन पहले दिल्ली में आयोजित नार्थ ईस्ट वीमेंस फुटबाल लीग के अनावरण के अवसर पर उन्होंने कहा था कि पूर्वोत्तर की महिलाओं के लिए शुरू की जा रही इस लीग के आयोजन से मैं काफी खुश हूं। इसके आयोजन से पूर्वोत्तर की महिलाओं को एक मंच मिलेगा। इससे वे फुटबाल के क्षेत्र में अपना दमखम दिखा सकेंगी। उन्होंने कहा कि मैंने बॉक्सिंग में अपना करियर बनाया और इसके साथ ही मैं पूर्वोत्तर की लड़कियों से अपील करूंगी कि वे आगे आएं और इस लीग को बुलंदियों पर ले जाएं। मैरी कॉम ने महिलाओं का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि सभी लड़कियां काफी स्ट्रांग होती हैं। हम हर क्षेत्र में बेहतर कर रहे हैं। मैं सभी लड़कियों से अपील करूंगी कि वे आगे आएं और खेल के क्षेत्र में बेहतर करें।
देश में तेजी से बढ़ रहा स्पोर्टिंग कल्चर
भारत में खेल के इंफ्रास्ट्रक्चर पर बात करते हुए मैरी कॉम ने कहा कि अब सरकार के साथ प्राइवेट सेक्टर भी काफी मदद कर रहा है। इसी कारण से देश में स्पोर्टिंग कल्चर तेजी से बढ़ रहा है। जागरूकता बढ़ रही है जिसके कारण तेजी से अवसर पैदा हो रहे हैं। एक समय काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था लेकिन आज हालात बदले हैं। उन्होंने कहा कि एक समय वर्ल्ड चैंपियन होने के बाद भी मुझे स्लीपर में सफर करना पड़ता था लेकिन आज सुविधाएं तेजी से बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में काफी प्रतिभा है। अगर ऐसे मंच मिलेंगे तो निश्चित रूप से हमारा देश खेल के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ेगा।