Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

मातंगी साधना : सम्मोहन शक्ति और धन से भर देती है

Share this:

Matangi Sadhna : मातंगी साधना : सम्मोहन शक्ति देती है। दस महाविद्या में मातंगी नौवें स्थान पर हैं। ये ममता की मूर्ति हैं। प्रसन्न होने में देर नहीं करतीं। यह सम्मोहन और वशीकरण की देवी हैं। इनका साधक ज्ञानवान होता है। उसे धन की कमी नहीं होती है। आवश्यकता श्रद्धा से साधना करने की है। मातंगी साधना की संक्षिप्त जानकारी दे रहा हूं।  

13 29 522592150matangi

मातंगी के नाम और साधना

मातंगी के कई नाम हैं। इनमें 14 प्रमुख हैं। ये नाम हैं-सुमुखी, लघुश्यामा या श्यामला। उच्छिष्ट चांडालिनी और उच्छिष्ट मातंगी। राज मातंगी, कर्ण मातंगी और चंड मातंगी। वश्य मातंगी, मातंगेश्वरी, व ज्येष्ठ मातंगी। सारिकांबा, रत्नांबा मातंगी एवं वर्ताली मातंगी। इनकी साधना आसान है। उसमें अधिक परेशानी नहीं होती है। साधना के लिए कई मंत्र हैं। मंत्रों के जप की संख्या कम है। जरूरत सिर्फ भक्ति व नियमपालन की है।

1-अष्टाक्षर मातंगी मंत्र

कामिनी रंजनी स्वाहा

विनियोग : अस्य मंत्रस्य सम्मोहन ऋषि:। निवृत् छंद:। सर्व सम्मोहिनी देवता सम्मोहनार्थे जपे विनियोग:।

ध्यान :

श्यामंगी वल्लकीं दौर्भ्यां वादयंतीं सुभूषणाम्। चंद्रावतंसां विविधैर्गायनैर्मोहतीं जगत्।

साधना विधि और फल

विनियोग से ही मंत्र का फल स्पष्ट है। 20 हजार जप करें। दशांश मधुयुक्त मधूक पूष्पों से हवन करें। इससे सभी का सम्मोहन होता है।

2-दशाक्षर मंत्र

ऊं ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा।

विनियोग : अस्य मंत्रस्य दक्षिणामूर्ति ऋषि:। र्विराट् छंद:। मातंगी देवता। ह्रीं बीजं। हूं शक्ति:। क्लीं कीलकं। सर्वेष्टसिद्धये जपे विनियोग:।

अंगन्यास : ह्रां, ह्रीं, ह्रूं, ह्रैं, ह्रौं, ह्र: से हृदयादि न्यास करें।

साधना विधि और फल

यह साधना 21 दिन की है। साधक रोज छह हजार जप करें। फिर दशांश हवन करें। हवन में मछली, मांस, खीर व गूगल दें। इससे कवित्व शक्ति प्राप्त होती है। शत्रु का जल, अग्नि व वाणी स्तंभन होता है। ऐसा साधक वाद-विवाद में अजेय होता है। उसे भारी धन लाभ होता है।

3-लघुश्यामा मातंगी का विंशाक्षर मंत्र

ऐं नम: उच्छिष्ट चांडालि मातंगि सर्ववशंकरि स्वाहा।

साधना विधि 

विनियोग व न्यास के साथ देवी की पूजा करें। 11, 21 या 41 दिन की साधना कर सकते हैं। पूर्णिमा या अमावास्या को शुरू करें। यदि इसी दिन समाप्त कर सकें तो उत्तम। एक लाख जप की विधि है। जप उच्छिष्ट मुंह करें। अर्थात जप के दौरान मुंह में लौंग या इलायची रखें। कुछ ग्रंथों में पवित्र होकर करने का विधान है। अत: साधक सुविधानुसार निर्णय करें। जप पूर्ण होने पर दशांश हवन करें। महुए के फूल व लकड़ी का प्रयोग करें। होम के बाद तर्पन व मार्जन करें।

फल : इससे डाकिनी, शाकिनी एवं प्रेत बाधा नहीं होती है। देवी साधक को देवतुल्य बना देती हैं। उसकी समस्त अभिलाषाएं  पूरी होती हैं। मातंगी वशीकरण की देवी हैं। इसलिए साधक की वह शक्ति भी बढ़ती है। राजा-प्रजा उसके वश में रहते हैं।

4-एकोन विंशाक्षर उच्छिष्ट मातंगी व द्वात्रिंश अक्षर मातंगी मंत्र

नम: उच्छिष्ट चांडालि मातंगी सर्ववशंकरि स्वाहा।

साधना विधि 

दस हजार जप का विधान है। इसे एक दिन में भी कर सकते हैं। चाहें तो तीन या पांच दिन में कर लें। पहले समय और स्थान निश्चित कर लें। फिर विधिपूर्वक मातंगी की पूजा करें। जप के बाद दशांश हवन करें। नियम दस हजार का ही है। मेरे विचार से इसकी तीन आवृत्ति कर लेनी चाहिए। इससे पूर्ण फल मिलता है। मातंगी साधना : सम्मोहन शक्ति के लिए प्रभावी है। लेकिन  हवन सामग्री में अंतर से फल में अंतर आता है। विस्तार से नीचे पढ़ें।

हवन सामग्री से फल में अंतर 

मधुयुक्त महुए के फूल व लकड़ी से हवन करने पर वशीकरण होता है। मल्लिका फूल से योग सिद्धि होती है। बेल फूल से राजयोग बनता है। पलास के पत्ते व फूल से जन वशीकरण होता है। गिलोय के हवन से रोगनाश होता है। नीम के टुकड़ों व चावल से धन प्राप्ति होती है। नीम के तेल से भीगे नमक से शत्रुनाश होता है। केले के हवन से सभी कामनाएं पूरी होती हैं। खैर की लकड़ी से हवन करें। उसमें मधु से भीगा नमक का पुतला लें। उसके दाएं पैर को हवन की अग्नि में तपाएं। शत्रु वश में होगा।  

5-सुमुखी मातंगी प्रयोग

इसमें दो मंत्र हैं। अंतर नाममात्र का है। इससे ही दोनों के ऋषि अलग हैं। इसमें फल समान है।

पहला मंत्र 

उच्छिष्ट चांडालिनी सुमुखी देवी महापिशाचिनी ह्रीं ठ: ठ: ठ:।

इसके ऋषि अज, छंद गायत्री और देवता सुमुखी मातंगी हैं।

साधना विधि और फल 

पहले देवी का पूजन करें। फिर जूठे मुंह आठ हजार जप करें। मातंगी साधना : सम्मोहन शक्ति बढ़ाने वाली है। लेकिन इसमें धन की भी प्राप्ति होती है। आभामंडल बढ़ता है। हवन विधि दूसरे मंत्र के साथ है। सामग्री में अंतर में फल बदल जाता है। यह अत्यंत लाभकारी है। 

दूसरा मंत्र

ऊं उच्छिष्ट चांडालिनि सुमुखि देवि महापिशाचिनि ह्रीं ठ: ठ: ठ:।

इसके ऋषि भैरव, छंद गायत्री और देवता सुमुखी मातंगी हैं।

जप विधि : इसकी कई विधियां हैं। एक में एक लाख मंत्र जप का विधान है। मैंने दस हजार से ही फल मिलते देखा है। साधक को धन की प्राप्ति होती है। उसका आभामंडल बढ़ता है।

हवन विधि 

दही के साथ पीली सरसों व चावल से हवन करें। राजा-मंत्री समेत सभी वश में होंगे। बिल्ली के मांस से शस्त्र का वशीकरण होता है। बकरे के मांस से धन-समृद्धि मिलती है। खीर से विद्या प्राप्ति होती है। मधु, घी व पान के पत्तों से समृद्धि होती है। कौवे व उल्लू के पंख से विद्वेषण होता है।

कल पढ़ें- आठवी महाविद्या बगलामुखी के बारे में।

Share this: