Russia (रूस) और Ukraine (यूक्रेन) के बीच 12 अप्रैल को युद्ध 48वें दिन में प्रवेश कर चुका है। शांति की पहल अभी तक कुछ कारगर साबित नहीं हो रही है। इस माहौल में युद्ध समाप्त कर शांति बहाली के लिए भारत ने एक बार फिर अपील की है। भारत ने बातचीत के जरिए हल निकालने की वकालत की है। भारत ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि किसी भी समस्या का समाधान मासूम लोगों का खून बहाकर नहीं निकाला जा सकता। यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल यानी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) को संबोधित करते हुए भारत के प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई के दौरान महिलाओं और बच्चों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है।
डर के साए में जीने को मजबूर हैं यूक्रेन के लोग, 44 लाख नागरिक छोड़ चुके देश
उन्होंने कहा-यूक्रेन से ऐसी रिपोर्ट आ रही है कि बड़ी संख्या में औरतें और बच्चें अपना घर छोड़कर रिफ्यूजी जैसा जीवन जीने पर मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि करीब 44 लाख लोग अबतक यूक्रेन छोड़कर आसपास के देशों में जा चुके हैं, जबकि करीब 70 लाख लोग यूक्रेन के भीतर हैं,जो डर के साए में जीने को मजबूर हैं।
22,500 भारतीय बच्चे गए भारत
रूस-यूक्रेन युद्ध का भारत पर पड़ रहे असर का जिक्र करते हुए टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए कि युद्ध की वजह से बहुत से विदेशी छात्रों का करियर संकट में पड़ गया है, जिसमें भारत भी शामिल है। युद्ध शुरू होने के बाद करीब 22,500 भारतीय बच्चों को यूक्रेन की अलग-अलग यूनिवर्सिटी से निकालकर भारत ले जाया गया है। टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि यूक्रेन विवाद के बीच भारत शांति, वार्ता और कूटनीति के साथ खड़ा है। जान लें कि रूस ने यूक्रेन पर 24 फरवरी को हमला किया था और अब दोनों देशों के बीच युद्ध का सातवां हफ्ता चल रहा है। यूक्रेन का दावा है कि रूस के हमले में अब तक दस हजार यूक्रेनी नागरिकों की मौत हो चुकी है।