आभासी चिंता : वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी आउटलुक’ 25 की रिपोर्ट में किया गया बड़ा दावा
New Delhi news : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने एक तरफ जहां कई तरह की नई संभावनाएं पैदा की है, वहीं इसके दुरुपयोग ने चिंता भी बढ़ाई है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी आउटलुक 2025 के मुताबिक पूरी दुनिया में जनरेटिव एआई साइबर सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ी चुनौती बन कर उभर रहा है। तेजी से हो रही तकनीकी, प्रगति और भू-राजनीतिक तनावों के कारण साइबर स्पेस क्षेत्र में चुनौतियां बढ़ी हैं। इससे वैश्विक साइबर सुरक्षा ढांचे के लिए खतरा बढ़ा है।साइबर सुरक्षा पर विश्व आर्थिक मंच ने 57 देशों में सर्वे किया। इसमें लगभग 409 संस्थानों ने अपनी प्रतिक्रिया दी। रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में लगभग 47 फीसदी संगठनों ने एआई के जरिए किए जाने वाले हमलों को अपनी सबसे बड़ी चिंता बताया। संस्थानों ने साइबर हमलों को रोकने के लिए ट्रेंड लोगों की कमी की भी बात कही है।
साइबर ठग एआई की मदद से अपराधों को अंजाम दे रहे
रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर ठग एआई की मदद से अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। आने वाले समय में ये एक बड़ी चुनौती बन सकता है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के प्रबंध निदेशक जेरेमी जुर्गेंस के मुताबिक एआई के चलते साइबर अपराध का खतरा पहले की तुलना में काफी ज्यादा बढ़ चुका है। वहीं वर्तमान में बढ़ते भू-राजनीतिक खतरे इन चुनौतियों को और बढ़ा देते हैं। सर्वे में तीन में से एक संस्था के सीईओ ने माना कि आज के समय में साइबर जासूसी और एआई की मदद से बौद्धिक संपदा की चोरी बड़े खतरे के तौर पर उभरे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में साइबर कौशल की कमी है। 2024 में लगभग साइबर अपराध को रोकने में सक्षम और प्रशिक्षित लोगों की कमी 8 फीसदी तक महसूस की गई। आज लगभग दो-तिहाई संगठन आवश्यक सुरक्षा विशेषज्ञों के बिना काम कर रहे हैं।
साइबर सुरक्षा वित्तीय स्थिरता को प्रभावित करती है
एक्सेंचर सिक्योरिटी के ग्लोबल लीड पाओलो डाल सिन के मुताबिक साइबर सुरक्षा अब वित्तीय स्थिरता को प्रभावित करती है। आज संस्थाओं को साइबर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बड़े पैमाने पर निवेश करने की जरूरत है।
पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल मोहन भंडारी कहते हैं, हमें इस बात को समझना होगा कि आज युद्ध सिर्फ सीमाओं पर नहीं लड़ा जा रहा है। भारत ने पिछले कुछ सालों में अच्छी आर्थिक प्रगति की है। देश के आर्थिक विकास को बाधित करने के लिए कई दुश्मन देश और एजेंसियां कई प्रयास कर रहे हैं। इनमें साइबर हमला एक बड़ा हथियार बन कर उभरा है। देश के कई महत्वपूर्ण और संवेदनशील संस्थानों पर लगातार साइबर हमले किए जा रहे हैं। एआई के आने के बाद ये खतरा और बढ़ चुका है। चीन, पाकिस्तान और कुछ अन्य देशों में साइबर आर्मी तैयार की गई है जिनका काम ही है अपने प्रतिद्वंद्वी या दुश्मन देश की आर्थिक और सामरिक संस्थाओं को निशाना बनाना। आज भारत को साइबर सुरक्षा को लेकर बड़े पैमाने पर तैयारी करने की जरूरत है।
सुरक्षा को पुख्ता बनाना बेहद जरूरी
बदले भू राजनैतिक और अस्थिरता के माहौल में देश को साइबर क्षेत्र में सुरक्षा को पुख्ता बनाना बेहद जरूरी है। इजराइल और हमास का युद्ध हो या रूस और यूक्रेन का, इन युद्धों ने साबित कर दिया कि दुनिया के किसी भी हिस्से में इस बार युद्ध होगा, तो उसमें साइबर हमलावरों की अहम भूमिका होगी। वहीं अगर किसी देश की साइबर सुरक्षा की तैयारी कमजोर होगी, तो उसके लिए युद्ध में लम्बे समय तक टिके रहना आसान नहीं होगा।
एआई एक बड़ी संभावना के तौर पर उभरा
साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल कहते हैं कि आधुनिक तकनीक के तौर पर आज एआई एक बड़ी संभावना के तौर पर उभरा है। आज एआई के जरिए कई काम बेहद आसान हो गए हैं, लेकिन साथ ही एआई के दुरुपयोग का खतरा भी बढ़ा है। आज साइबर अपराधी भी एआई को एक टूल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। हाल ही में सामने आया कि साइबर अपराधी फ्रॉड जीपीटी टूल का इस्तेमाल कर साइबर ठगी के नए तरीके तैयार कर रहे हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि एआई के इस्तेमाल के चलते आने वाले समय में साइबर अपराध के मामलों को सुलझाना बेहद कठिन हो जाएगा। किसी मामले की जांच के दौरान पुलिस अंत में एआई टूल तक पहुंच पाएगी। साइबर अपराधी तक पहुंचना बेहद कठिन हो सकता है। ऐसे में हमें अभी से सावधान होना पड़ेगा। चीन और यूरोपियन यूनियन में इस खतरे को देखते हुए एआई से होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए अलग और स्पष्ट कानून बनाए गए हैं। एआई के इस्तेमाल को लेकर नए प्रावधान बनाए जा रहे हैं। भारत में अभी एआई के इस्तेमाल या इससे होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए स्पष्ट कानून नहीं है। सरकार को इसे ध्यान में रखते हुए एक सशक्त कानून बनाने की जरूरत है।
सरकार ने कई तरह के प्रयास किए
पिछले कुछ सालों में देश में साइबर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने कई तरह के प्रयास किए हैं। साइबर एक्स्पर्ट रक्षित टंडन कहते हैं कि आज देश भर में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को आईआईटी और अन्य प्रशिक्षित तकनीकी संस्थानों की मदद से साइबर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। वहीं सरकार ने ऑनलाइन कम्पलेंट प्लेटफॉर्म शुरू किया गया है, ताकि लोग अपने साथ होने वाले अपराधों को आसानी से रजिस्टर करा सकें। साइबर दोस्त के जरिए लोगों को साइबर अपराधों के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है। आज एआई साइबर अपराध के लिहाज से एक बड़े खतरे के तौर उभरा है। एआई के चलते डीप फेक और वॉइस क्लोनिंग जैसे साइबर अपराध हो रहे हैं। इस पर लगाम लगाने के लिए आम लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। सावधानी बरत कर ही इस तरह के अपराधों पर लगाम लग सकती है।