▪︎ चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक्जोस्केलेटन, रोबोट कुत्तों और खतरनाक ड्रोन की उतारी फौज
New Delhi news : चीन अब लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के उस पार अपने खतरनाक प्लान को पूरा करने में लगा हुआ है। उसकी यह रणनीति अब नए सिरे से रंग ला रही है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, जब से सीमा पर भारत ने चीन की सेना को पीछे हटने पर मजबूर किया है, उसके बाद से ही चीन अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने में लगा हुआ है। माना जा रहा है कि चीन अपनी आदत से बाज नहीं आ रहा है। वह आक्रामक रूप से अब तकनीक में चतुर मशीनों को आगे बढ़ा रहा है।
इंटेलीजेंट मशीनों की तैनाती
चीन सीमा पर मानव रहित मॉडल का इस्तेमाल कर रहा है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने 13 जनवरी को एक बयान में कहा कि पीएलए शिनजियांग सैन्य कमान के तहत एक रेजिमेंट ने मानव रहित सहयोगी मॉडल का इस्तेमाल किया। यह चीन सेना के लड़ाकू अभियानों का हिस्सा होगी। इसमें कहा गया है कि सैनिकों ने मिशन को आगे बढ़ाने के लिए सभी इलाकों में चलने वाले वाहनों और मानव रहित वाहनों का इस्तेमाल किया। हालांकि, ये तकनीकी तैयारी कहां और किस हिस्से में हो रही है, इसका खुलासा नहीं हो पाया है।
जरूर उसके पीछे उसकी कोई खतरनाक मंशा
डिफेंस एनालिस्ट और चीन मामलों के जानकार लेफ्टिनेंट कर्नल(रि.) जेएस सोढ़ी कहते हैं कि चीन अगर सीमा पर पीछे हटा है, तो जरूर उसके पीछे उसकी कोई खतरनाक मंशा है। यह मंशा अब साफ है। वह अगले कुछ सालों में कई युद्ध छेड़ने वाला है। पहला युद्ध ताइवान के साथ 2027 में होना है। इसके बाद वह भारत के खिलाफ भी जंग छेड़ने की तैयारी में है, लेकिन इस बीच वह अभी शांति बनाए रखना चाहता है। वैसे भी चीन के साथ हमारा अतीत बेहद कड़वा रहा है। वह भरोसेमंद देश नहीं है। वह सीमा पर इसीलिए तकनीकी जमावड़ा कर रहा है।
एग्जोस्केलेटन पहनने योग्य उपकरण
सीमाओं के पास जहां सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई थीं, पीएलए सेना के यूनिट सदस्यों ने वाहनों से आपूर्ति उतारी और क्षतिग्रस्त क्षेत्रों के आसपास नेविगेट करने और अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए एग्जोसोस्केलेटन और हवाई ड्रोन का इस्तेमाल किया। एग्जोस्केलेटन पहनने योग्य उपकरण हैं, जो मानव शक्ति को बढ़ाते हैं और शारीरिक तनाव को कम करते हैं। इससे सैनिक हर मौसम में खुद को पहाड़ों पर सुरक्षित रख सकेंगे। उनका मौसम और आपदा की चोट से बचाव होगा। पीएलए के बयान के साथ जारी की गई तस्वीरों में से एक में एक सैनिक रोबोट कुत्ते के साथ दो आपूर्ति बक्से ले जाता हुआ दिखाई दे रहा है।
हाई पावर वाले लेजर की तैनाती
पीएलए सैनिकों की ओर से रोबोट कुत्तों का व्यापक उपयोग किया जा रहा है। इन्हें घरेलू और विदेशी भागीदारों के साथ सैन्य अभ्यासों में इस्तेमाल किया जा सकेगा। रसद के लिए इन रोबोटों का उपयोग करने से सैनिकों पर दबाव कम होता है। इससे पहाड़ों पर दुर्गम इलाकों में खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में आपूर्ति की आवाजाही में आसानी होगी।
पीएलए उत्तरी थिएटर कमांड की नौसेना समुद्री रक्षा इंजीनियरिंग ईकाई ने बोहाई खाड़ी में एक द्वीप पर शूटिंग रेंज में विस्फोटक आयुध के निपटान पर एक अभ्यास किया। पीएलए सैनिकों ने एक ड्रोन का इस्तेमाल किया, जिसमें एक हाई पावर वाला लेजर लगा हुआ था। सबसे पहले, ड्रोन को उस विस्फोटक की खोज करने और उसकी पहचान के लिए तैनात किया गया था। इसके बाद विस्फोटकों को नष्ट करने के लिए हाई पावर वाले लेजर की तैनाती की गई।
शक्ति तीन गुना बढ़ जाती है
ये हाई पावर लेजर विस्फोटकों को नष्ट करने का एक सुरक्षित और अधिक प्रभावी तरीका प्रदान करते हैं, क्योंकि उनका उपयोग कई सौ मीटर की दूरी से दूर से किया जा सकता है। शक्ति तीन गुना बढ़ जाती है और विस्फोटक को नष्ट करने में लगने वाले समय में 20 फीसदी कम समय लगता है।
डिफेंस एनालिस्ट जेएस सोढ़ी के अनुसार, चीन जंग में लेजर तकनीक का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहा है। दरअसल, ड्रोन युद्ध के दुनिया भर में प्रमुखता हासिल करने के साथ, ड्रोन पर लेजर लगाना तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। खास तौर पर, लेजर-निर्देशित ऊर्जा हथियार युद्ध में क्रांति लाने की क्षमता रखते हैं। वे अपनी सटीकता, त्वरित लक्ष्य हासिल करना, मापनीयता, सामर्थ्य और नुकसान को कम करने की क्षमता के कारण खतरों से निपटने का नया तौर-तरीका प्रदान करते हैं।
सटीक निशाना लगाने में मदद मिलेगी
लेजर बीम का इस्तेमाल लंबे समय से युद्ध में किया जाता रहा है। उनके प्राथमिक कार्यों में सटीक निशाना लगाना, दूर से संवेदन और लक्ष्य ट्रैकिंग शामिल हैं। ड्रोन पर लेजर को एकीकृत करने से सटीक निशाना लगाने में मदद मिलेगी। एडवांस्ड लेजर हथियार विकसित करने के चीन के प्रयासों में कम शक्ति वाले सामरिक बीम उत्सर्जक भी शामिल हैं, जो दुश्मन के ड्रोन को रोक सकते हैं। ये सैटेलाइट और मिसाइलों को नष्ट करने वाले हाई एनर्जी रणनीतिक सिस्टम को ध्वस्त कर सकते हैं। चीन ने लड़ाकू विमानों और युद्धपोतों पर सैन्य-ग्रेड लेजर या डैजलर लांच करने के लिए अक्सर सुर्खियां बटोरी हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में उच्च ऊर्जा वाले लेजर हथियारों का विकास किया है। कहा जाता है कि चीन ने कई लेजर गन विकसित की हैं और अब वह युद्धपोतों को लेजर हथियारों से लैस कर रहा है। बीते साल, चीनी सैनिकों ने मई 2024 में आयोजित चीन-कंबोडिया युद्धाभ्यास के लिए मशीन-गन-टोटिंग रोबोडॉग तैनात किया।