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केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद बोले- देश की हर भाषा और बोली में समाहित हैं श्रीराम 

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद बोले- देश की हर भाषा और बोली में समाहित हैं श्रीराम 

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Kerala Governor Arif Mohammed said – Shri Ram is included in every language and dialect of the country, Top National news, National update, New Delhi news, latest National Hindi news, Ayodhya news, UP news : केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने रविवार को अयोध्या उत्सव में कहा कि राम हर क्षेत्र में हैं। देश की हर भाषा और बोली में समाहित हैं। यहां के लोगों ने राम को अपनी-अपनी तरह से और अन्य परिप्रेक्ष्य में देखने का प्रयास किया है। सबसे पहले आदि कवि वाल्मीकि ने उन्हें देखा अथवा महसूस किया। उनकी रामायण पूरे देश में विभिन्न रूपों में मौजूद है। हमने अपने बच्चों को राम के आदर्श से व्यक्तित्व निर्माण समझाया। मानवता के विकास का प्रयास किया। बच्चों में दिव्यता पैदा करने की कोशिश की।

राम को आदर्श राजा के रूप में स्वीकार किया गया है

द्वितीय सत्र में आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भगवान राम को कहीं एक आदर्श राजा के रूप में, तो मां सीता को भू देवी और भूमि की बेटी के रूप में स्वीकारा गया। दक्षिण भारत में वह भगवान राम को आदर्श स्वरूप सूर्य मानते थे। इसलिए वह सूर्यवंशी हैं। उन्होंने आदि कवि वाल्मीकि के बारे में बताया और कहा कि दक्षिण में भक्ति आन्दोलन की शुरुआत उत्तर से काफी समय पहले हुई। भक्ति आन्दोलन में भगवान राम के दिव्य रूप को देखा गया। उनको अवतार के रूप में देखा गया। केरल में महाविष्णु के अवतार के तौर पर इन्हें देखा गया, तो मलयालम में रामायण का अविर्भाव हुआ।

उन्होंने रामायण का विच्छेद करते हुए बताया कि राम मंदिर का अर्थ है कि राम की यात्राएं। जैसे भगवान सूर्य, उत्तरायण और दक्षिणायन होते हैं; ठीक वैसे ही। 

…और इन सबका मतलब है बुद्धिमत्ता

उन्होंने कहा कि धर्म का मतलब है अनुकम्पा, करुणा धाम, प्रज्ञा धाम और इन सबका मतलब है बुद्धिमत्ता। उन्होंने कहा कि केरल में अध्यात्म रामायण से बहुत पहले वाल्मीकि रामायण का अनुवाद हुआ। 12वीं शताब्दी के आसपास। उसका नाम था रामचरितम। यह कार्य वहां के एक राज परिवार ने किया। चिरामन राजा थे। यहां यह जानना बहुत जरूरी है कि चिरामन एक मस्जिद भी है। उन्हीं के परिवार की बनवाई हुई त्रिशूल की वजह से उसका नाम भी चिरामन है। थाईलैंड में बहुत जमाने तक होने वाले शासन में सरकारी टाइटल राम होता था। उनकी राजधानी का नाम अयोध्या था। माधव कवि तिरुवनंतपुरम के रहनेवाले थे। उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता को भी मलयालम में अनुवादित किया, लेकिन सबसे ज्यादा लोकप्रिय उनके द्वारा लिखित रामायण है। भगवान राम को केवल मर्यादा पुरुषोत्तम के तौर पर नहीं देखा गया, बल्कि उनको महाविष्णु के अवतार के रूप में देखा गया। उन्होंने कहा कि दुनिया की सारी भाषाओं में सबसे ज्यादा संस्कृत का प्रभाव है। हम सबको इसे सीखना चाहिए। इंडोनेशिया में भी इस भाषा का बहुत प्रभाव है।

प्रदर्शनी का किया अवलोकन

राज्यपाल ने सर्वप्रथम इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र की ओर से लोक में राम विषय पर आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। प्रदर्शनी में देव कन्या गंगासती, घोषा, शतरूपा, अक्का महादेवी, लोपामुद्रा, रुकैया सखावत, विश्ववारा, शाकल्य देवी, रोमशा, सुलभा, अपाला, गार्गी, ममता, मीराबाई, मन्दोदरी, टी. बाला सरस्वती, श्रुतावती, सन्ध्या, आम्भृणी, द्रौपदी, अतुकूरि मोल्ला, एमएस सुब्बालक्ष्मी, अदिति, अरुन्धती, विद्योत्तमा के चित्र के साथ दर्शाए गए उनके परिचय को बारीकी से देखा और पढ़ा। अयोध्या उत्सव के दूसरे दिन रविवार को कार्यक्रम की शुरुआत जन-गण-मन के गायन के साथ हुई। इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ दीप प्रज्वलित किया गया। बटुकों ने वैदिक मंत्रोच्चारण से वातावरण को पूरी तरह अनुकूल बनाया।

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