New Delhi news: राहुल गांधी को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष चुना गया है। जो पिछले दस साल तक अर्हता पूरी नहीं होने के कारण खाली था। नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट मंत्री के समकक्ष दर्जा प्राप्त है। आइए जानते है राहुल गांधी को बतौर नेता प्रतिपक्ष मिलने वाली सुविधा, वेतन एवम अधिकार। भारतीय संसद में विपक्ष के नेता को वेतन और भत्ते अधिनियम, 1977 के तहत प्रदान की जाती है। संसद में उपलब्ध गाइड लाइन बुक के अनुसार, “विपक्ष के नेता को अध्यक्ष के बाईं ओर की अगली पंक्ति में एक सीट मिलती है। उन्हें औपचारिक अवसरों पर कुछ विशेषाधिकार भी प्राप्त होते हैं जैसे निर्वाचित अध्यक्ष को मंच तक ले जाना और संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण के समय अग्रिम पंक्ति में बैठें।
पांचवीं बार चुने गए हैं सांसद, कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे
राहुल गांधी पांच बार से अलग-अलग लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए हैं। पहले अमेठी, वायनाड और इसबार रायबरेली निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। राहुल गांधी पहली बार 2004 में अमेठी से सांसद चुने गए थे। उसके बाद से अब तक केवल एक चुनाव 2019 में हारे थे। जबकि उसी चुनाव में केरल के वायनाड सीट से जीतकर संसद सदस्य बने थे। उस कार्यकाल में मानहानि के एक केस में दोषी ठहराए जाने के बाद संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गए। परंतु आगे दोषसिद्धि पर रोक लगा दी गई, जिससे पुनः उनकी सदस्यता बहाल हो गई। कांग्रेस में राहुल गांधी 2017 से 2019 के बीच अध्यक्ष के पद पर भी रहे थे।
विपक्ष के नेता के रूप में मिलेगा कैबिनेट मंत्री का दर्जा
10 वर्षों के बाद आज लोकसभा में विपक्ष काफ़ी मजबूत स्थिति में है। विपक्ष के नेता का पद भी 10 साल के बाद बहाल हो पाया है। लोकसभा में सम्पूर्ण सदस्य की संख्या का 10 प्रतिशत सीट भी नहीं आने के कारण इस पद की अर्हता पूरी नहीं हो पा रही थी। आज विपक्ष के नेता के समर्थन के बिना सरकार के सामने कोइ निर्णय लेना मुश्किल हो जाएगा। इस पद पर आसीन होने के बाद राहुल गांधी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा और उनके समान वेतन और भत्ते मिलेंगे। इसके लिए 3.3 लाख रुपये की सैलरी दी जाएगी। कैबिनेट मंत्री के स्तर की सुरक्षा भी दी जाएगी। इसमें Z+ सिक्युरिटी शामिल है। उन्हें कैबिनेट मंत्री की तरह सरकारी बंगला एवम अन्य सुविधाएं मिलेगी।
विपक्ष के नेता के रूप में प्राप्त शक्तियाँ
नेता प्रतिपक्ष की हैसियत से राहुल गांधी उस तीन सदस्यीय पैनल के सदस्य होंगे, जो मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों का चयन करता है। उनकी शक्तियां तीन सदस्यीय पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले पैनल पर सीमित है क्योंकि तीसरे सदस्य, एक केंद्रीय कैबिनेट सदस्य, को नामित करने का पावर पीएम के पास है। पिछले बार की तुलना में भाजपा इस लोकसभा में मजबूत स्थिति में नहीं है, उसे अकेले पूर्ण बहुमत भी प्राप्त नहीं है। अत: दोनों सदस्य अपना निर्णय राहुल गांधी पर “थोप” नहीं सकते हैं। सीबीआई, ईडी और सीवीसी जैसी केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों को चुनने वाली समिति के सदस्य के रूप में राहुल गांधी को भी चयन की शक्ति प्राप्त है। तीन सदस्यीय समिति का नेतृत्व पीएम मोदी करेंगे और इसमें सदस्य के तौर पर भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नियुक्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश शामिल होंगे।