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नरेन्द्र मोदी ने तीसरी बार ली प्रधानमंत्री पद की शपथ

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पंडित जवाहर लाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी की

Breaking news, National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news : भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता नरेन्द्र मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नयी दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में रविवार को आयोजित समारोह में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी। इसी के साथ मोदी ने पंडित जवाहर लाल नेहरू के लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बनने के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है। पंडित नेहरू वर्ष 1952, 1957 एवं 1962 का आम चुनाव जीत कर लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बने थे। मोदी के बाद राजनाथ सिंह ने शपथ ली। तीसरे नम्बर पर अमित शाह शपथ ग्रहण करने पहुंचे। 2019 में भी शपथ ग्रहण करने का क्रम यही रहा था। 

मोदी के साथ-साथ 71 सांसदों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। इन 71 मंत्रियों में से 30 से कैबिनेट मंत्री, 05 स्वतंत्र प्रभार वाले और 36 ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली है। इनमें 27 ओबीसी से हैं, जबकि 10 एससी वर्ग से आते हैं। इसके साथ-साथ मोदी कैबिनेट में 18 सीनियर नेताओं को भी जगह दी गयी है।

दो पूर्व सीएम को भी मोदी सरकार में शामिल किया गया है। इसके साथ-साथ एनडीए सहयोगी दलों के कई सीनियर नेताओं को भी मंत्री बनाया गया है। प्रधानमंत्री मोदी के बाद राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, जेपी नड्डा, निर्मला सीतारमण, जयशंकर और शिवराज सिंह चौहान समेत कुल 72 सांसदों ने भी शपथ ली।  इसके अलावा जेडीयू के ललन सिंह, जेडीएस के कुमारस्वामी, हम के जीतनराम मांझी ने भी शपथ ली।

तीसरी बार प्रधानमंत्री बनकर मोदी ने रचा इतिहास

उत्तर प्रदेश के वाराणसी से लगातार तीसरी बार सांसद निर्वाचित हुए मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री बन कर इतिहास रच दिया। उनका जन्म गुजरात के वडनगर में 17 सितम्बर 1950 को हुआ। जब वह 08 साल के थे, तो वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आये। साल 1970 में वह संघ के प्रचारक बन गये। 1975 संघ द्वारा मोदी को ‘गुजरात लोक संघर्ष समिति’ का महासचिव नियुक्त किया गया था। आपातकाल के दौरान गिरफ्तारी से बचने के लिए मोदी को अंडरग्राउंड होने के लिए मजबूर होना पड़ा। वह सरकार का विरोध करनेवाली पम्फलेट की प्रिंटिंग में शामिल थे।

सूरत एवं वडोदरा में होनेवाले संघ के कार्यक्रमों में वह बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने लगे। वर्ष 1979 में वह संघ के संभाग प्रचारक बनाये गये। 1987 में मोदी को भाजपा की गुजरात इकाई के संगठन सचिव का दायित्व मिला। मोदी को 1996 में भाजपा के महासचिव (संगठन) के रूप में पदोन्नत दिया गया। मोदी ने 1990 में लालकृष्ण आडवाणी की राम रथ यात्रा और 1991 में मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा आयोजित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी।

वर्ष 2001 केशुभाई पटेल का स्वास्थ्य खराब हुआ और भाजपा ने उप चुनावों में कुछ राज्य विधानसभा सीटें खो दीं। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने पटेल की जगह मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री पद की कमान सौंप दी। 07 अक्टूबर 2001 को मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। 24 फरवरी 2002 को उन्होंने राजकोट विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव जीता। तब से लेकर लगातार मई 2014 तक वह गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहे। इसके बाद वह 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री बने।

राजनाथ तीसरी बार लखनऊ संसदीय सीट से जीते हैं 

लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह ने रविवार को मोदी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। राजनाथ सिंह तीसरी बार लखनऊ संसदीय सीट से निर्वाचित हुए हैं। मोदी सरकार 2.0 में राजनाथ सिंह के पास रक्षा मंत्रालय की अहम जिम्मेदारी थी। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में राजनाथ सिंह ने गृह मंत्रालय को बखूबी सम्भाला था। राजनाथ सिंह ने हिन्दी में पद व गोपनीयता की शपथ ली।

13 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे

राजनाथ सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के बभोरा गांव में पिता राम बदन सिंह और मां गुजराती देवी के घर हुआ था। उनका जन्म किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव के एक स्थानीय स्कूल से प्राप्त की और गोरखपुर विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी के परिणाम प्राप्त करते हुए भौतिकी में मास्टर डिग्री हासिल की। उन्होंने केबी पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज मीरजापुर में भौतिकी के व्याख्याता के रूप में काम किया। उनके भाई का नाम जयपाल सिंह है। राजनाथ सिंह 1964 में 13 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे। 1969 और 1971 के बीच वे गोरखपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठनात्मक सचिव थे। वह वर्ष 1972 में मीरजापुर के महासचिव भी बने। 02 वर्ष बाद वर्ष 1974 में वह राजनीति में आये, 1974 में ही उन्हें भारतीय जनसंघ की मीरजापुर इकाई का सचिव नियुक्त किया गया। 1975 में उन्हें जनसंघ का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया। वर्ष 1975 में राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान जेपी आन्दोलन से जुड़ने के लिए उन्हें गिरफ्तार भी 

शिवराज मोदी मंत्रिमंडल में पहली बार मंत्री बने

एनडीए संसदीय दल के नेता नरेन्द्र मोदी ने रविवार देर शाम राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ केन्द्रीय मंत्रिमंडल के सदस्यों ने भी शपथ ली है। इनमें मध्य प्रदेश से पूर्व मुख्यमंत्री और विदिशा से नवनिर्वाचित सांसद शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हैं। उन्होंने केन्द्र में कैबिनेट मंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली।

विदिशा सीट से सांसद चुने गये शिवराज सिंह चौहान पहली बार केन्द्रीय मंत्री बने हैं। हाल ही में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में वह विदिशा से छठी बार सांसद चुने गये हैं। शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में भाजपा के सबसे कद्दावर नेता हैं। वह मध्य प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री पद का कार्यभार सम्भाला है। वह चार बार मप्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनका कार्यकाल करीब 16.5 वर्ष का रहा।

पिछले साल नवम्बर में हुए विधानसभा चुनाव में जब भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 163 सीटें जीतीं, तब अटकलें लगायी जा रही थीं कि वह पांचवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने जब डॉ. मोहन यादव के नाम पर मुहर लगायी, तो शिवराज ने शालीनतापूर्वक इस फैसले को शिरोधार्य किया।

शिवराज सिंह चौहान ने राजनीति में कदम रखने से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कार्यकर्ता के रूप में कार्य किया था। वह छह बार उस सीट से सांसद हैं, जहां से कभी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सांसद थे। प्रदेश में मुख्यमंत्री पद का दायित्व सम्भालने से पहले शिवराज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। मध्य प्रदेश में उन्हें ‘मामा’ नाम से भी पुकारा जाता है।

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