-प्रशासनिक स्तर पर भी काम करने की बेहद जरूरत है, नेचर फाउंडेशन की मासिक पत्रिका युगांतर प्रकृति का विमोचन
Dhanbad News, Jharkhand news: आईएसएम, धनबाद, युगान्तर भारती, लाइफ और नेचर फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन आईएसएम धनबाद परिसर स्थित पेनमैन सभागार में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जमशेदपुर पूर्वी झारखंड विधानसभा के सदस्य सरयू राय थे। सेमिनार का विषय इन्वेस्ट इन आवर प्लेनेट थ्रू सब्सटेनेबल लिविंग प्रैक्टिसेज था।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में सरयू राय ने कहा कि औद्योगिक क्रांति के समय से ही मानव और प्रकृति का संघर्ष आरम्भ हो गया है। प्रकृति ने जो तत्व, खनिज हमें उपलब्ध कराए, उस तत्व एवं अन्य यौगिकों के माध्यम से नए तत्व और औजार का आविष्कार मेधावी मस्तिष्क के धनी व्यक्तियों ने किया है। अब मनुष्य उसी तत्व और औज़ार का दुरुपयोग कर प्रकृति को और पृथ्वी को नुकसान पहुंचा रहा है। औद्योगिक क्रांति के भुक्तभोगी, पीड़ित के रूप में अमेरिका और इंग्लैंड का नाम शिखर पर लिया जाता है। 1960 से 72 के बीच अमेरिका के आर्थिक, प्राकृतिक मुद्दों पर विचार करने वाले प्रबुद्धजनों को लगा कि विकास की धारा नई समस्या को जन्म दे रही है और यह समस्या वहाँ के लोगों और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। तब अमेरिका के एक सीनेटर ने तय किया कि पर्यावरण के प्रति लोगों में समझ पैदा करने, उसका संरक्षण करने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए वैश्विक स्तर पर एक नियत तिथि और उचित प्लेटफॉर्म की आवश्यकता है। इसके लिए 22 अप्रैल 1970 का दिन तय किया गया। तब से लेकर आज तक पूरी दुनिया मे 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। प्राकृतिक संसाधनों का अनियमित और अनियंत्रित दोहन कई सारे प्राकृतिक आपदाओं को जन्म दे रही है। 1972 के बाद ही अनेक एक्ट, कानून बने, 1974 में जल नीति बनी। इससे पूर्व पर्यावरण संरक्षण के बारे में कोई मैकेनिज्म नहीं था। आज सरकार नाम की जो इकाई है, उसके जो प्रशासनिक पदों पर मेधावी मस्तिष्क के लोग विराजमान हैं, वे मान लेते हैं कि उनका अलग इनिटेटि है और आम आदमी का अलग है। अगर उनके भीतर थोड़ा सा भी भाव जग जाय कि हम अलग इनिटेटि में नहीं हैं, बल्कि इसी समाज का एक अभिन्न अंग है, तभी हम प्रकृति और अपने अस्तित्व की रक्षा करने में सफल होंगे। औद्योगिक और नगरीय प्रदूषण के द्वारा नदियों का गला घोंटा जा रहा है।
कार्यक्रम में नेचर फाउंडेशन संस्था द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिका “युगान्तर प्रकृति” का विमोचन मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं अन्य गणमान्य प्रबुद्धजनों के द्वारा किया गया।
सेमिनार के विशिष्ट अतिथि और श्री माता वैष्णो देवी, विश्वविद्यालय, कटरा जम्मू के कुलपति, पद्मश्री आरके सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा कि नदियों के प्रवाह में बदलाव का होना जैव विविधता का एक प्रमुख लक्षण है। एक वैज्ञानिक अनुसंधान में यह बात साबित हुई है कि सुंदरवन डेल्टा के मैंग्रोव पौधे पीपल के वृक्ष के अपेक्षा अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते है। आईएसएम, धनबाद के निदेशक राजीव शेखर ने वर्चुअल संबोधन में कहा कि विकास और प्रकृति के बीच में संतुलन बनाने की आवश्यकता है। धनबाद ज़िला के मास्टर प्लान (2020-30) पर प्रोफेसर वीकेजी विल्लुरी, प्रोफेसर एस आर समादर, प्रोफेसर श्रीनिवास पी., प्रोफेसर एके प्रसाद, प्रोफेसर एसके पाल, प्रोफेसर डी कुमार और प्रोफेसर एस आलम ने अपनी प्रस्तुति दी। ग्रीन टेक्नोलॉजी : इनोवेशन इन सस्टेनिबिलिटी विषय पर सिम्फ़र धनबाद की वरिष्ठ मुख्य वैज्ञानिक, डॉ (श्रीमती) वी. अंगुसेल्वी ने अपना व्याख्यान दिया। स्मॉल रिवर्स एंड किडनीज ऑफ ट्रासबाउंड्री बेसिन्स पर आईएसएम धनबाद के ईएसई विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अंशुमाली ने अपने विचार रखे। कोयलांचल में दामोदर बचाओ आंदोलन के समन्वयक अरुण कुमार राय ने ‘दामोदर बचाओ आंदोलन का कोयलांचल में मूल्यांकन’ विषय पर अपने अनुभव साझा किए। धन्यवाद ज्ञापन युगान्तर भारती के सचिव आशीष शीतल मुंडा ने किया।
सेमिनार में मुख्य रूप से अरुण कुमार राय, धर्मेंद्र तिवारी, डॉ गोपाल शर्मा, उदय सिंह, प्रो. अंशुमाली, अंशुल शरण, सुरेंद्र सिंह, श्रवण सिंह, अभय सिंह एवम आईएसएम, धनबाद के फैकल्टी, प्रोफेसरगण, विद्यार्थीगण सहित युगान्तर भारती और दामोदर बचाओ आंदोलन के सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थे।