राजीव थेपड़ा
प्यारे बेटे और बेटियों,
पढ़ाई के लिए जाते वक्त, जाने के दिनों में, क्योंकि आप सबों का मन नयी उम्र के आगमन से हिलोर लेता रहता होगा और आप सबों को इस बोरियत भरी पढ़ाई के साथ में बहुत बार इससे छुटकारा पाने की या इससे ब्रेक लेने की भी इच्छाएं मन में उबाल मारती रहती होंगी।
प्यारे बेटे और बेटियों,
वस्तुत: पढ़ाई एक ऐसा विषय है, जिसे शायद ही कोई करना चाहता है। लेकिन, इसका उल्टा सच यह है कि पढ़ाई द्वारा ही जीवन में लगभग हर वह लक्ष्य प्राप्त होता है, जो आप पाना चाहते हो। क्योंकि, जीवन में कैरियर का हर क्षेत्र पढ़ाई और उसकी डिग्री से जुड़ा हुआ है। यहां तक कि कला के क्षेत्र में कार्य करते हुए भी स्नातक तक की पढ़ाई सम्माननीय/आवश्यक मानी जाती है। तात्पर्य यह है कि भले ही पढ़ाई का विषय आपकी दृष्टि में सचमुच यह बड़ा दूभर और कष्टदायक हो, किन्तु इसके विषय में मेरी धारणा आपकी इस समझ से बिलकुल ही उलट है।
मेरे हिसाब से मैं आपको बताऊं, तो यह कहना चाहूंगा कि पढ़ाई जीवन का सबसे आनन्ददायक क्षेत्र है। इसे यदि आप पूरे डूब कर करते जाओ, तो आपको जीवन के विविध विषयों के हर एक पक्ष की जानकारी मिलती है और आप समस्त विषयों के एक गहरे जानकार या विश्लेषक या विशेषज्ञ बन कर उभरते हो। बस ! आपको यह पता होना चाहिए कि पढ़ाई से आपका यह रिश्ता आपको किस जगह पर पहुंचाता है।
यदि पढ़ाई से आपका रिश्ता दोस्तों की तरह हो जाये ; यानी आप पढ़ाई को उत्कंठा के साथ करने लगो…अचम्भेपन के साथ करने लगो और पढ़ाई के विभिन्न विविध विषयों को सीखते और समझते हुए आप लगातार इन बातों पर हैरान हो जाओ कि अरे दुनिया में कितना कुछ है, जो अब तक/ अब भी मैं नहीं जानता ! इस अहोभाव से यदि आप पढ़ाई को सुचारु रखो, तो पढ़ाई आपके लिए सबसे आनन्ददायक कृत्य बन सकती है।
मेरे प्यारे बेटे और बेटियों,
सचमुच पढ़ाई इस संसार में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण विषय है। इसकी सहायता से आप दुनिया के सिरमौर बन सकते हो। इसमें गहराई से उतरने के बाद आप वास्तव में अनमोल बन जाते हो। बल्कि, यूं कहा जाये कि अमूल्य बन जाते हो। आपके ज्ञान का आभामंडल आपकी चारों तरफ दमकने लगता है। किन्तु मेरे देखे, पढ़ाई का अर्थ केवल और केवल आपकी कोर्स की किताबों से सम्बन्धित नहीं है। पढ़ाई का अर्थ अपने उस कोर्स को करते हुए संसार के अन्य तरह-तरह के विविध विषयों का अध्ययन करते हुए, उनमें भी पारंगतता हासिल करना होता है।…और, जब आप ऐसा करने लगते हो, तो आपको स्वयं को ऐसा लगने लगता है कि सचमुच पढ़ाई आपके लिए कितनी आवश्यक है और कितनी महत्त्वपूर्ण भी !
वास्तव में पढ़ाई से जो सम्मान मिलता है, आपके ज्ञान से आपको जो सम्मान मिलता है, उसकी कोई सीमा नहीं होती और इसकी कोई बराबरी भी नहीं होती। किन्तु समय रहते आप इस बात को समझ नहीं पाते और यहीं पर आप अपने जीवन की वह सबसे बड़ी चूक कर जाते हो, जो आपको बहुधा औसत श्रेणी में लाकर आपको एक अंधकारमय पथ पर धकेल देती है।…तो, इसी समुचित पढ़ाई के मूल्य को समझना आपकी सबसे बड़ी आवश्यकता है। यदि आप इसे नहीं समझ पाये, तो यह जीवन में आपकी सबसे बड़ी असफलता भी बन जायेगी और इसी के साथ मैं यह भी कहना चाहता हूं कि पढ़ाई को करते हुए जब आप बैचलर हो जायें, बल्कि आप जब 12वीं पार कर जायें, तभी से आपको अपने कोर्स के अलावा विविध विषयों की जानकारी प्राप्त करनी आरम्भ कर देना चाहिए और ईश्वर की दया से इस संसार में लाखों लाख समाचार पत्र और पत्रिकाएं हैं, जिनमें आप अपने द्वारा सीखे गये विविध विषयों को लिख कर, उनमें प्रकाशित होकर न केवल आप नाम कमा सकते हो, बल्कि धनोपार्जन भी कर सकते हो।…और तो और, इस प्रकार का धनोपार्जन आपको एक अलग ही प्रकार के आनन्द की अनुभूति प्रदान करेगा ।
मेरे प्यारे बेटे और बेटियों,
पढ़ाई करते हुए इसकी बोरियत से दूर होने के लिए बहुत आप अपने मित्रों के संग न जाने कितना ही समय व्यतीत करते हो। गॉसिप्स करते हो और न जाने कितनी ही ऐसी फालतू की बातें करते हो, जिनमें आपका समय नष्ट होता है। वह समय, जिसमें आप कुछ बन सकते थे, निखर सकते थे, वह समय आपका सदैव के लिए बर्बाद हो जाता है। क्योंकि, गया हुआ समय कभी नहीं लौटता। इस विषय पर आप स्वयं ही सोच कर देखो ना, कि आपने अपने सिलेबस के अलावा अपने आप को निखारने के लिए क्या किया है? आपने अपने आप को संवारने के लिए क्या किया है? क्योंकि, पढ़ाई करते वक्त समय आप लोगों को अपना सिलेबस ही ऐसा लगता होगा कि वही सब कुछ है और उसमें पारंगतता हासिल करते ही आपको एक पड़ी-पड़ाई नौकरी मिल जायेगी। किन्तु ऐसा भी बिलकुल नहीं है। क्योंकि, आपसे अधिक हुनरमंद लोग, आपसे अधिक निष्ठावान और समर्पित लोग हर एक कार्य क्षेत्र में डिग्रियां लिये घूमते मिल जायेंगे !…तो, जब उनको तक यदि नौकरी नहीं मिल रही है, तो फिर आप स्वयं सोचिए कि आपको पढ़ाई पूरी करते ही नौकरी कैसे मिल सकती है?
मेरे प्यारे बेटे और बेटियों,
हॉस्टल में रहते हुए अपनी लगभग अनर्गल स्वतंत्रता के साथ आप जिस प्रकार का जीवन जीना चाहते हो, वैसा जीते हो। आपको पढ़ाई की स्वतंत्रता के अलावा हर एक स्वतंत्रता वहां मिल जाती है! क्योंकि वास्तव में आप पढ़ना चाहते ही कहां हो ? आप तो केवल मस्ती करना चाहते हो ! …और, जीवन तो है ही मस्ती के लिए ! ऐसा सोचते हुए, आप अक्सर हॉस्टल की पाबंदियों में नहीं रहना चाहते। बड़े-बड़े नगरों में दोस्त, यार के साथ फ्लैट शेयर करते हुए, अपनी इस स्वतंत्रता के साथ में मनमाने ढंग से जीते हुए आप कहां पहुंचते हो, अंततः वह स्वतंत्रता आपको कहां ले जाती है ! इस बात पर भी शायद ही आपने कभी सोचा होगा ! आप यह मत सोचिए कि मैं आप सबों पर किसी प्रकार का दोषारोपण कर रहा हूं। बल्कि, अपने आसपास से लेकर दूर-दूर तक देखते हुए वस्तु स्थिति का उल्लेख भर कर रहा हूं।
मेरे प्यारे बेटे और बेटियों,
यदि मेरे इस आर्टिकल से आपकी आंखें खुल सकें, तो मैं यह कहना चाहूंगा कि यदि पढ़ाई आपका आनन्द बन जाये, तो ऐसे गॉसिप्स की आपको आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। बल्कि, दोस्तों के साथ आपका समय संसार के ऐसे-ऐसे विषयों पर वाद-विवादों और बहसों में व्यतीत होगा, जिससे आपका चरित्र और ज्ञान और भी अधिक निखरेगा और आप एक मूल्यवान व्यक्ति बन कर निकलेंगे। इस विषय में यदि मैं अपनी बात करूं, तो अपने अतीत में झांकते हुए मुझे ऐसा लगता है कि हमारे दसवीं क्लास के दौर में बिताये गये दोस्तों के साथ वाले दिन हमारे चरित्र को बनाने की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पूंजी सिद्ध हुए हैं। जबकि, हम संसार के न जाने कितने ही विषयों पर बहस और वाद-विवाद करते हुए और उनमें जीतने के उद्देश्य से नयी-नयी किताबें पढ़ते हुए, नया-नया ज्ञान प्राप्त करते हुए, अपने अंदर जिस बुद्धिमत्ता को पोषित कर पाये, वह बुद्धिमत्ता हमारी अब तक की सबसे बड़ी धरोहर है और मैं कह सकता हूं कि हमारा मित्र- समूह संसार के उन मित्र समूहों में से एक है, जो वास्तव में बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। मैं अपने अनुभव के बल पर आपको यह बताना चाहता हूं कि यदि आप भी अपने द्वारा व्यर्थ किये जा रहे समय में, जबकि आप इस युग के अनुसार दोस्तों के साथ पिकनिक, दारु, सिगरेट, पार्टी-सार्टी इत्यादि-इत्यादि करते हुए जिस प्रकार अपना समय नष्ट करते हो, वह समय वास्तव में आपको कुछ अद्भुत, अनुपम, अद्वितीय बनानेवाला सम्भावित समय हुआ करता है। जिसे आप सदा-सदा के लिए खो देते हो।
मेरे प्यारे बेटे और बेटियों,
याद रखिए बीता हुआ समय ना किसी का कभी लौटा है और ना कभी लौटेगा। इसलिए समय की महत्ता को समझते हुए इसकी अमूल्यता को समझें और अपने कदम सदैव उन दिशाओं में आगे बढ़ाने की चेष्टा करें, जिससे आप सभी लाभान्वित होते हों, जिससे आप सभी गौरवान्वित होते हों।…और, जिससे आपका मित्र समूह प्रतिस्पर्धी नहीं, अपितु सहभागी बनता हो। दुनिया में एक दूसरे का सहभागी होना, प्रतिस्पर्धी होने से अधिक महत्त्वपूर्ण है। यदि आप इस बात को, इस तथ्य को भली प्रकार समझ सकें, तो आनेवाले दिनों में आप दुनिया को और भी बहुत अच्छे ढंग से सुंदर बना सकते हो और सामंजस्य और सहभागिता का एक नया आयाम भी गढ़ सकते हो।