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BIHAR : अब स्कूलों में बच्चों को परोसा जाने लगा गरमागरम खाना, हर दिन होगा अलग मेनू

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अब बिहार के सभी प्रारंभिक विद्यालयों में बच्चों को गरमागरम ख़ाना परोसा जाने लगा है। कोरोना महामारी के चलते तकरीबन दो साल से बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन बंद था और इसके बदल बच्चों को अनाज और पकाने की राशि दी जा रही थी। बच्चों को मध्याह्न भोजन की वितरण व्यवस्था पर शिक्षा विभाग की निगरानी होगी। हालांकि नीतीश सरकार के फैसले को लेकर पहले दिन कई जगह उहापोह जैसी स्थिति रही। पिछले दो साल के दौरान सरकारी स्कूलों में नामांकित छात्र-छात्राओं को एमडीएम का सूखा चावल उपलब्ध कराया जा रहा था। एमडीएम के दाल, मसाला व सब्जी का नगद पैसा खाते में दिया जा रहा था।

मेनू का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश

शिक्षा विभाग ने मध्याह्न भोजन योजना के कार्यान्वयन से जुड़े सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को निदेशित किया है कि बच्चों को भोजन वितरण में पूर्व निर्धारित मेनू का पालन सुनिश्चित कराया जाए। सोमवार को चावल, मिश्रित दाल और हरी सब्जी, मंगलवार को जीरा चावल और सोयाबीन व आलू की सब्जी, बुधवार को हरी सब्जीयुक्त खिचड़ी, चोखा व मौसमी फल, गुरुवार को चावल, मिश्रित दाल और हरी सब्जी, शुक्रवार को पुलाव, काबुली या लाल चना का छोला, हरा सलाद, अंडा-मौसमी फल तथा हरी सब्जीयुक्त खिचड़ी, चोखा व मौसमी फल परोसे जाएंगे।

सफाई का ध्यान रखने की हिदायत

शिक्षा विभाग ने प्रधानाध्यापकों और प्रभारी शिक्षकों को मध्याह्न भोजन में साफ-सफाई एवं सुरक्षा मानकों को लेकर दिशा-निर्देश पालन करने को कहा है। यह अति आवश्यक है कि सुरक्षा, स्वच्छता व गुणवत्ता मानकों का सख्ती से पालन किया जाएगा। इसके तहत प्रखंड साधनसेवी राज्य खाद्य निगम से खाद्यान्न का उठाव करते समय खाद्यान्न की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उपरांत ही उठाव करेंगे। पिछले साल अगस्त में मध्याह्न भोजन योजना का नाम बदल कर ही प्रधानमंत्री पोषण योजना किया गया है।

खाद्य सामग्री की खरीद चयनित वेंडर से ही

निर्देश में कहा गया है कि खाद्य सामग्री का क्रय चयनित वेंडर से ही किया जाना है। भुगतान पीएफएमएस पोर्टल से किया जाना है। खाद्य सामग्री, तेल, मसाला, रिफाइंड, हल्दी, नमक का डिब्बाबंद एवं गुणवत्तापूर्ण होना अनिवार्य है। चावल का भंडारण स्कूल में उपलब्ध स्टोरेजबीन में किया जाना है। स्टोरेजबीन नहीं रहने की स्थिति में वर्षा व नमी से सुरक्षित स्थान पर चावल भंडारण के लकड़ी या सीमेंट के स्लेब पर किया जाएगा। पुराने, खराब और खुले तेल-मसालों का उपयोग वर्जित होगा।

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