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Dharm adhyatm: क्या आप जानते हैं? सूर्य देव की दो संतानें पुत्री यमुना और पुत्र यमराज हैं। स्वामी दिव्यानन्द जी ने बतायी सनातन धर्म की महत्ता

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Ranchi news, Jharkhand news, Jharkhand latest Hindi news, latest news, Ranchi Hindi latest news : स्वामी दिव्यानन्द जी महाराज ने कहा है कि सनातन धर्म की मान्यता और विशालता तो आदरणीय है, क्योंकि सनातन धर्म ही एक ऐसा धर्म है, जो पेड़, पर्वत, सांप, बिच्छू, पर्यावरण, पत्थरों तक को पूजता है। यहां तक कि प्राण को हरनेवाले यमराज यमदेव को भी पूजने व उन्हें सम्मान देने की परम्परा है। उन्होंने बताया कि सूर्य देव की दो संतानें पुत्री यमुना और पुत्र यमराज हैं। किसी अन्य कथा के अनुसार यमुना गोलोक में और यमराज यमलोक में इनका निवास स्थान रहा। दोनों भाई बहनों में अत्यन्त प्रेम था। अलग-अलग रहने के कारण मन व्यथित भी था।

जब यमुना को भाई यमराज से मिलने की इच्छा हुई

 एक बार यमुना अपने प्रिय भाई यमराज को बहुत ही मिलने की इच्छा से स्मरण करने लगी और भाई को सूचित किया कि वह उनके घर आयें और भोजन करें। हुआ भी ऐसा ही। यमदेव ने सोचा, हम तो लोगों का प्राण हरनेवाले हैं। मुझे तो कोई नहीं स्मरण करेगा, ना ही कोई अपने घर बुलायेगा। किन्तु, बहन बुलायी हैं, तो मुझे अवश्य जाना चाहिए और यमदेव यमुना के घर गये भी। जिस दिन यमराज यमुना के घर पहुंचे, वह दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी। स्वामी जी ने कहा कि तब से आज तक यह परम्परा चली आ रही है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन भाई अपनी बहन के घर जाकर भोजन ग्रहण करते हैं और बहन अपने भाई को तिलक लगा और रक्षा सूत्र बांध कर उनकी लम्बी उम्र की कामना करती हैं। भाई के जीवन में उन्नति हो, ऐसा भगवान से वरदान मांगती हैं।

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