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बढ़ता भारत : एंटी टैंक मिसाइल सेमी-एक्टिव मिशन होमिंग के परीक्षण पूरे, उत्पादन की तैयारी

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Anti-tank missile semi-active mission homing tests completed, preparation for production, National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news : रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 120 मिमी एंटी टैंक मिसाइल सेमी-एक्टिव मिशन होमिंग (एसएएमएचओ) के सभी परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे कर लिये हैं। अब इस मिसाइल के उत्पादन की तैयारी है, जिसके बाद उपयोग के लिए भारतीय सेना को दी जायेगी। यह एक बहुउद्देशीय एंटी-आर्मर गाइडेड मिसाइल है, जो टैंकों और कम उड़ानवाले लड़ाकू हेलीकॉप्टरों को मार गिराने की क्षमता रखती है। इसे आधुनिक बख्तरबंद वाहनों और टैंकों की विस्फोटक प्रतिक्रियाशील कवच सुरक्षा को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है।

टैंकों और कम उड़ानवाले लड़ाकू हेलीकॉप्टरों को मारने में सक्षम है गाइडेड मिसाइल

डीआरडीओ ने 120 मिमी एंटी टैंक मिसाइल सेमी-एक्टिव मिशन होमिंग (एसएएमएचओ) को भारतीय सेना के स्वदेशी अर्जुन टैंकों के लिए अपनी पुणे स्थित आमार्मेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट लैब में विकसित किया है। पहले इस एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल को मूल रूप से अर्जुन की 120 मिमी राइफल वाली बंदूक से फायर करने का इरादा था। बाद में डीआरडीओ ने इसे भारतीय सेना के टी-90 टैंकों के साथ संचालित करने की योजना बनायी है, जिसमें 125 मिमी. स्मूथबोर गन है। उच्च-विस्फोटक एंटी-टैंक टेंडेम-चार्ज वारहेड लगाकर इसे आधुनिक बख्तरबंद वाहनों और टैंकों की विस्फोटक प्रतिक्रियाशील कवच सुरक्षा को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है।

डीआरडीओ के अनुसार यह एक बहुउद्देश्यीय एंटी-आर्मर गाइडेड मिसाइल है, जिसमें टैंकों और कम उड़ानवाले लड़ाकू हेलीकॉप्टरों को मार गिराने की क्षमता है। इस गन-लॉन्च एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल के विकास की घोषणा 2014 में की गयी थी। इसे उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला और उपकरण अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान के सहयोग से मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत विकसित किया गया है। इस मिसाइल का उद्देश्य भारतीय सेना में स्वदेशी अर्जुन टैंकों की मारक क्षमता को बढ़ाना है।

सेना के स्वदेशी अर्जुन टैंकों और टी-90 टैंकों के साथ संचालित करने की बनायी योजना

बहुउद्देश्यीय एंटी-आर्मर गाइडेड मिसाइल का पहला परीक्षण 22 सितम्बर, 2020 को निष्क्रिय हथियार वाले अर्जुन टैंक से किया गया था, जिसमें मिसाइल ने 3 किमी. की दूरी पर रखे लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेद दिया था। इसके बाद 1 अक्टूबर, 2020 को एक और सफल मिसाइल फायरिंग हुई। डीआरडीओ ने 29 जून, 2022 को न्यूनतम और अधिकतम सीमा से लक्ष्य को भेदने वाली मिसाइल का तीसरा परीक्षण किया। इस बार डीआरडीओ ने एटीजीएम से लॉन्च किये गये टैंक की आयामी बाधाओं को भी हल किया। मिसाइल का चौथा परीक्षण 4 अगस्त, 2022 को हुआ, जिसमें प्रदर्शन स्थिरता की जांच करने के लिए न्यूनतम से अधिकतम सीमा तक लक्ष्य को शामिल किया गया।

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