नापाक पाकिस्तान में हो रहे जुल्मों से बचने के लिए लगभग 800 सौ हिंदू परिवार भारत आए थे। साल 2011 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने पाकिस्तान में रह रहे ऐसे लोगों को लंबी अवधि का वीजा यानी एलटीवी देने का निर्णय किया था, जिनका धार्मिक उत्पीड़न हो रहा था। उस दौरान सैकड़ों हिंदू और सिख समुदाय के लोग सुरक्षा कारणों और भारतीय नागरिकता की आस लिए भारत आ गए थे। करीब एक दशक बाद भी उन लोगों को भारत की नागरिकता नहीं मिल सकी। हालांकि उन्होंने नागरिकता हासिल करने की खातिर सरकारी दफ्तरों के खूब चक्कर काटे, लेकिन बात नहीं बनी। मजबूरन आठ सौ हिंदू परिवारों को वापस पाकिस्तान जाना पड़ा।
एसएलएस ने किया है यह दावा
देश में पाकिस्तानी अल्पसंख्यक प्रवासियों के हक की आवाज बुलंद करने वाली संस्था सीमांत लोक संगठन (एसएलएस) द्वारा यह दावा किया गया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मुद्दे पर कहा, यह केंद्र सरकार के लिए शर्म की बात है।
सीएए पर नहीं की कोई कार्रवाई
सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने एक ट्वीट में लिखा, भाजपा की केंद्र सरकार के लिए यह कितनी शर्म की बात है। पाकिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन के शिकार लगभग 800 लोग, जो भारतीय नागरिक बनने की उम्मीद में यहां आए थे, उन्हें मोदी सरकार की सीएए पर गैर-कार्रवाई से धोखा मिला है। वे अत्यंत दुखी होकर वापस पाकिस्तान चले गए। राजस्थान में सीमांत लोक संगठन का कहना था, इन लोगों ने नागरिकता लेने के लिए बहुत प्रयास किया था। नागरिकता के लिए आवेदन दिया जा चुका था। उसके बाद जब इस मामले में कोई प्रगति होती हुई नहीं दिखी तो उन्हें मजबूरन पाकिस्तान लौटना पड़ा। सीमांत लोक संगठन, के मुताबिक ये लोग साल 2021 में वापस लौट गए।
लौटे पाकिस्तानियों के साथ और बुरा व्यवहार
जो लोग अब पाकिस्तान चले गए हैं, उनके साथ वहां पर अब पहले से भी ज्यादा बुरा बर्ताव हो रहा है। संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह ने कहा, पाकिस्तानी एजेंसियां उनका इस्तेमाल भारत को बदनाम करने के लिए करती हैं। वे भारत को लेकर दुष्प्रचार करती हैं। पाकिस्तान वापस लौटे लोगों को मीडिया के सामने खड़ा कर उनसे जबरन यह कहलवाया जाता है कि वहां पर उनके साथ बुरा सलूक हुआ है। इसके बाद पाकिस्तान विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मीडिया की उस खबर को पेश कर भारत की छवि खराब करने का प्रयास करता है। दूसरी ओर, मीडिया में यह खबर आने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय, नागरिकता के लिए शुरू की गई ऑनलाइन व्यवस्था की जांच कर रहा है।
पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की यह है मजबूरी
देश में पाकिस्तानी अल्पसंख्यक प्रवासियों के अधिकारों की वकालत करने वाले ‘सीमांत लोक संगठन’ का कहना है कि भारत सरकार का ऑनलाइन पोर्टल, उन पाकिस्तानी पासपोर्ट को स्वीकार नहीं करता है, जिनकी समय सीमा समाप्त हो चुकी है। ऐसी स्थिति में जिन लोगों को नागरिकता लेनी होती है, उनके पास एक ही विकल्प बचता है कि वे पाकिस्तान उच्चायोग में मोटी रकम देकर अपने पासपोर्ट का नवीनीकरण करा लें। हिंदू सिंह के अनुसार पाकिस्तान से आए लोगों के पास इतने आर्थिक संसाधन नहीं थे कि वे परिवार के आठ नौ लोगों के पासपोर्ट का नवीनीकरण कराने के लिए एक डेढ़ लाख रुपये खर्च सकें।