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जानें कब पूरा होने वाला है अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह का निर्माण 

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श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण स्थल रामकोट में शनिवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने शनिवार को मंदिर निर्माण के बारे में कई बिन्दुओं पर महत्वपूर्ण जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण एक ऐतिहासिक कार्य हो रहा है, भावी पीढ़ी इसे देश का निर्माण कहेगी। शीघ्र ही गर्भ ग्रह और उसके चारों ओर का प्लिंथ निर्माण पूरा होगा। राजस्थान के भरतपुर जनपद के बंसी पहाड़पुर क्षेत्र की पहाड़ियों के हल्के गुलाबी रंग के बलूूवा नक्काशी द्वार पत्थरों को इंस्टाल का कार्य प्रारंभ हो जाएगा। 

नक्काशी द्वार पत्थर पहुंचने लगे अयोध्या

संपूर्ण मंदिर में लगभग 4.70 लाख घनफुट नक्काशी लाल पत्थर लगेंगे। नक्काशी द्वार पत्थर अयोध्या पहुंचना प्रारंभ हो गए हैं। गर्भ ग्रह में लगने वाला मकराना के सफेद संगमरमर पत्थर की नक्काशी का कार्य प्रगति पर है। यह पत्थर भी शीघ्र अयोध्या पहुंचना प्रारंभ हो जाएंगे।‌ मंदिर निर्माण स्थल पर उपस्थित रहकर ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने बताया कि अभी मंदिर की प्लिंथ ऊंची करने का कार्य प्रगति पर है। लगभग 5×2.5× 3 घनफुट आकार के ग्रेनाइट पत्थर के लगभग 17000 ब्लॉक लगेंगे, जो बैंगलोर और तेलंगना की खदानों से आ रहे हैं। 

रोलर कंप्लीटेड कंक्रीट की डिजाइन आईआईटी मद्रास ने तैयार की

प्लिंथ में लगभग 6.37 लाख घनफुट ग्रेनाइट पत्थर लगेगा। इसके पूर्व 1.5 मीटर ऊंचाई की 9000 घनमीटर राफ्ट कंपैक्टेड कंक्रीट 04 मास में डाली गई। राफ्ट निर्माण का कार्य अक्टूबर 2021 से प्रारंभ किया गया था। इसके पूर्व जमीन की बालू और पुराने मलबे को हटाया गया, जो 03 मास में हटाया जा सका। लगभग 1.85 लाखघन मीटर मलवे से भरी मिट्टी हटाई गई। भूतल के नीचे 12 मीटर गहराई तक मलबा हटाया गया। तत्पश्चात समुद्र जैसे दिखने वाले इस विशाल गड्ढे को रोलर कंप्लीटेड कंक्रीट आरसीसी से भरा गया। इस रोलर कंप्लीटेड कंक्रीट की डिजाइन आईआईटी मद्रास ने तैयार की थी। 

1000 साल  जीवित रहेंगे जमीन के नीचे के चट्टान

यह कंक्रीट इस प्रकार से तैयार की गई है कि वह 1000 साल तक कृतिम चट्टान के रूप में जमीन के नीचे जीवित रहे। यह आरसीसी 10 इंच मोटी 48 परतों में डाली गई। गर्भग्रह 56 परतें डाली गई है। यह संपूर्ण कार्य लगभग 09 महीने (जनवरी 2021 से सितंबर 2021 ) तक में पूरा हुआ। आरसीसी और उसके ऊपर राष्ट्र राफ्ट दोनों को मिलाकर भावी मंदिर की नींव कहा जाएगा। न्यू की इस डिजाइन और ड्राइंग पर आईआईटी दिल्ली, आईआईटी गुवाहाटी आईआईटी मद्रास ,आईआईटी मुंबई, एनआईटी सूरत सीबीआरआई रुड़की, लार्सन एंड टूब्रो,टाटा कंसलटिंग इंजिनियर्स ने सामूहिक कार्य किया है। अंत में इस में हैदराबाद की संस्था एनजीआरआई ने सहयोग किया। यह कहा जा सकता है कि देश की महत्वपूर्ण इंजीनियरिंग संस्थानों के सामूहिक चिंतन का यह परिणाम है।

9 लाख घनफुट पत्थरों से तैयार होगा परकोटा

चंपत राय ने बताया कि मंदिर का क्षेत्रफल लगभग 2.7 एकड़ है। परंतु इसके चारों ओर 8 भूखंड को अपने भीतर समाता हुआ एक आयताकार परकोटा बनेगा। यह परकोटा भी 9 लाख घनफुट पत्थरों से तैयार होगा। इस पर भी समानांतर कार्य चल रहा है। मंदिर के चारों ओर की मिट्टी का कटान रोकने के लिए तथा मंदिर के पश्चिम में प्रवाहित सरयू नदी के किसी भी संभावित आक्रमण को रोकने के लिए मंदिर के पश्चिम दक्षिण उत्तर में रिटेनिंग वाल निर्माण का कार्य भी साथ—साथ साल चल रहा है। यह रिटेनिंग वाल जमीन में 16 मीटर गहराई तक जाएगी और जमीन के सबसे निचले तल पर 12 मीटर चौड़ी होगी ।

दिसम्बर 2023 में मंदिर का गर्भ ग्रह बनकर पहली मंजिल तैयार हो जाएगा

राय ने बताया कि दिसम्बर 2023 में मंदिर का गर्भ ग्रह बनकर पहली मंजिल तैयार हो जाएगा और उसके समानांतर भी हाल तैयार होगा। इसी दौरान मंदिर में मूर्तियों को रखकर प्राण प्रतिष्ठा भी संपन्न करा ली जाएगी, जिसके बाद श्रद्धालु मंदिर के गर्भगृह से रामलला का दर्शन कर सकेंगे। मंदिर में लगभग 29 से 30 प्रतिशत का कार्य पूरा हो चुका है।

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