– 

Bengali
 – 
bn

English
 – 
en

Gujarati
 – 
gu

Hindi
 – 
hi

Kannada
 – 
kn

Malayalam
 – 
ml

Marathi
 – 
mr

Punjabi
 – 
pa

Tamil
 – 
ta

Telugu
 – 
te

Urdu
 – 
ur

होम

वीडियो

वेब स्टोरी

मौर्य, स्वामी और हिंदुत्व

IMG 20230213 WA0021

Share this:

एक हैं स्वामी प्रसाद मौर्य। रोज कोई न कोई बयान जारी कर मीडिया की सुर्खियों में बने रहते हैं। सोमवार को उन्होंने बागेश्वर धाम के महंथ धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर एक बार फिर से हमला बोला है। उन्होंने कहा कि अगर शास्त्री जी इतने ही ताकतवर हैं, इतने ही सिद्ध पुरुष हैं तो क्यों नहीं चीन को भस्म कर देते? क्यों नहीं चीन को श्राप दे देते? जब वह इतने ताकतवर हैं तो चीन को नष्ट कर सदा-सदा के लिए भारत-चीन का लफड़ा ही खत्म कर देते। वह पहले भी शास्त्री जी के बारे में अंड-बंड बयान दे चुके हैं। एक बार तो उन्होंने शास्त्री जी को फ्रॉड और आतंकवादी तक कह दिया था। उस बयान पर उन्होंने अब तक माफी नहीं मांगी है। 

शास्त्री जी ने सहस्त्रों बार टीवी चैनलों से लेकर अखबारों तक में कहा है कि वह कोई संत नहीं, कोई सिद्ध पुरुष नहीं, कोई चमत्कार नहीं करते, किसी का भविष्य नहीं देखते, न कोई जादू-टोना करते हैं और न ही उन्हें ये सब आता है। वह अतुलित बलों के स्वामी श्री हनुमान जी के तुच्छ सेवक हैं और होता वही है, जो प्रभु श्री हनुमान चाहते हैं। हां, शास्त्री जी इतना जरूर कहते हैं कि वह हिंदू राष्ट्र के प्रबल समर्थक हैं और वह उसके लिए ही काम करना चाहते हैं। 

स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे कई दलों में नेतागिरी करने वाले लोगों की कमजोरी यह है कि वह धर्म-अध्यात्म-सिद्धियां और जादू-टोने को एक ही नजर से देखते हैं। धर्म अलग है। अध्यात्म अलग है। हाथ की सफाई दिखाना अलग चीज है और जादू-टोना एक सबसे अलग विधा है। लेकिन स्वामी को समझ में नहीं आता। वह टीका लगाने को धर्म मानते हैं और धर्म के दायरे में अध्यात्म से लेकर जादू-टोने को खींच लाते हैं। वह बेवकूफी करते जा रहे हैं और जो उनके बयान आ रहे हैं, उस पर लोग हंसते हैं। यहां तक के समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश भी उनके बयान पर हंसेत-मुस्कुराते देखे गए हैं। 

यूपी में समाजवादी पार्टी की जमीन को योगी जी ने हथिया लिया है। मुसलमान उनसे बिदक रहा है। यादवों का एक बड़ा हिस्सा आज की तारीख में भाजपा के साथ है। पहले जो माई (एमवाई) समीकरण था, वह 2022 के चुनाव में औंधे मुंह गिर पड़ा। मुसलमानों का एक बड़ा हिस्सा बेशक समाजवादी पार्टी में आज भी है पर स्वामी प्रसाद मौर्य सरीखे नेता उस समुदाय को हैंडिल कर पाने में विफल रहे हैं। ओबीसी और दलित मौर्य को कबके ठेंगा दिखा चुके हैं। अगर वो उनके साथ होते तो 2022 के चुनाव में भला मौर्य क्योंकर खेत रहते? वह खुद को मीडिया में जिंदा रखने के लिए जिस तरीके से उल-जुलूल बयानबाजी कर रहे हैं, वह उनकी हताशा को ही दिखाता है। कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना को साकार करने के लिए योगी आदित्यनाथ और धीरेंद्र शास्त्री जी मिलने वाले हैं। 

शास्त्री जी के महत्व को भाजपा तो समझ ही चुकी है, अब कांग्रेस भी समझ रही है। अगर न समझ रही होती तो आज मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ बागेश्वरधाम न जाते और दो मिनट अलग से शास्त्री जी से मुलाकात न करते। महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी उनसे मिल चुके हैं। शिवराज सिंह चौहान तो उनसे मिलते ही रहते हैं। लेकिन, मौर्या पता नहीं कौन सी राजनीति करते हैं। उन्होंने शास्त्री जी को सदैव निशाने पर रखा और हर बार वह उल-जुलूल बयान देकर अपने समर्थकों की नजर में भी गिरते गए, हिंदू वोट बैंक को धीरे-धीरे इंटैक्ट ही करते चले गए। 

बीते चंद महीनों में गौर करें तो सास्त्री जी की लोकप्रियता बढ़ी है। वह हिंदुत्व के पोस्टर बॉय बनने की प्रक्रिया में आ रहे हैं। उन्हें हिंदू हृदय सम्राट जैसी पदवियां मिल रही हैं। वह लोगों के मन में बसते जा रहे हैं। सनातनी महिलाएं अपने बच्चों का नाम धीरेंद्र रख रही हैं। कोई उन्हें अपने पुत्र के रूप में देख रहा है तो कोई मतवाले धर्मरक्षक के रूप में। वह पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं। आने वाले दिनों में भाजपा उनका इस्तेमाल किस कदर करेगी, यह देखने वाली बात होगी लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी बदजुबानी, अशिष्ट, मर्यादाविहीन वक्तव्यों से हिंदुत्व का एजेंडा अनजाने में ही गरम करते जा रहे हैं।

Share this:




Related Updates


Latest Updates