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21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए छात्रों को करें तैयार : राष्ट्रपति

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धर्मशाला के केन्द्रीय विवि के सातवें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं राष्ट्रपति, राष्ट्रपति ने दीक्षांत समारोह में छात्रों को गोल्ड मेडल और डिग्रियां प्रदान कीं

Dharamshala news, Breaking news, National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि छात्रों को 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करने की आवश्यकता है। उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया कि वह विद्यार्थियों के चरित्र व व्यक्तित्व का निर्माण करने में अपनी भूमिका का निर्वहन करें।

राष्ट्रपति मुर्मू सोमवार को सोमवार को धर्मशाला में स्थित हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह को सम्बोधित कर रही थीं। राष्ट्रपति ने दीक्षांत समारोह में छात्रों को गोल्ड मेडल और डिग्रियां प्रदान कीं। समारोह में राष्ट्रपति मुर्म ने कहा कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है, लेकिन अतीत में बदलाव की गति इतनी तेज नहीं थी। आज हम चौथी औद्योगिक क्रांति के युग में हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग जैसे नये क्षेत्र तेजी से उभर रहे हैं। परिवर्तन की गति और परिमाण दोनों ही बहुत अधिक हैं, जिसके कारण प्रौद्योगिकी और आवश्यक कौशल बहुत तेजी से बदल रहे हैं। राष्ट्रपति ने छात्रों को 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी की शुरूआत में कोई नहीं जानता था कि अगले 20 या 25 वर्षों में लोगों को किस तरह के कौशल की आवश्यकता होगी। इसी तरह कई मौजूदा कौशल अब भविष्य में उपयोगी नहीं रहेंगे। इसलिए हमें लगातार नये कौशल अपनाने होंगे। हमारा ध्यान लचीला दिमाग विकसित करने पर होना चाहिए, जिससे युवा पीढ़ी तेजी से हो रहे बदलावों के साथ तालमेल बिठा सकें। हमें छात्रों में सीखने की जिज्ञासा और इच्छा को मजबूत कर उन्हें 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना होगा।

शिक्षकों से राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए, जो छात्रों को शिक्षित करने के साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनायें और उनके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करे। शिक्षा का उद्देश्य छात्रों में अपनी संस्कृति, परम्परा और सभ्यता के प्रति जागरूकता लाना भी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस सम्बन्ध में शिक्षकों की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है। उनका कार्य क्षेत्र केवल शिक्षण तक ही सीमित नहीं है, उन पर देश के भविष्य के निर्माण की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा ध्यान ‘क्या सीखें’ के साथ-साथ ‘कैसे सीखें’ पर भी होना चाहिए। उन्होंने रेखांकित किया कि जब छात्र बिना किसी तनाव के स्वतंत्र रूप से सीखते हैं, तो उनकी रचनात्मकता और कल्पना को उड़ान मिलती है। ऐसे में वे शिक्षा को सिर्फ आजीविका का पर्याय नहीं मानते, बल्कि, वे नवप्रवर्तन करते हैं, समस्याओं का समाधान ढूंढते हैं और जिज्ञासा के साथ सीखते हैं।

बुराई को अपने ऊपर हावी न होने दें युवा

राष्ट्रपति ने कहा कि हर व्यक्ति में अच्छाई और बुराई दोनों की क्षमता होती है। युवाओं को यह ध्यान रखने की सलाह दें कि चाहे वे कितनी भी कठिन परिस्थिति में क्यों न हों, उन्हें कभी भी बुराई को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए। उन्हें सदैव अच्छाई का पक्ष लेना चाहिए। उन्होंने करुणा, कर्तव्यनिष्ठा और संवेदनशीलता जैसे मानवीय मूल्यों को अपना आदर्श बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इन मूल्यों के आधार पर वे एक सफल और सार्थक जीवन जी सकते हैं।

स्वयं को राष्ट्र को समर्पित करें छात्र

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छात्रों से आह्वान किया कि वे विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने की सबसे महत्त्वपूर्ण कड़ी हैं। इसलिए उन्हें स्वयं को राष्ट्र के प्रति समर्पित कर देना चाहिए। यह न केवल उनका मानवीय, सामाजिक और नैतिक कर्तव्य है, बल्कि एक नागरिक के रूप में भी उनका कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि युवाओं में विकास की अपार सम्भावनाएं हैं।

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