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इलेक्टोरल बॉन्ड्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख जारी, एसबीआई को फटकार, 72 घंटे का अल्टीमेटम 

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21 तक इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी साझा करने के आदेश, इलेक्टोरल बॉन्ड के नम्बर भी बतायें, चेयरमैन हलफनामा दें कोई जानकारी नहीं छिपाई

Supreme Court’s strict stance on electoral bonds continues, SBI reprimanded, 72 hours ultimatum, Breaking news, National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news : चुनावी चंदे के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड्स की जानकारी साझा करने को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को कड़ी फटकार लगायी। कोर्ट ने स्टेट बैंक से अगले तीन दिनों में बॉन्ड्स के यूनीक नम्बर सहित सारी जानकारी निर्वाचन आयोग से साझा करने को कहा है। आयोग को हिदायत दी गयी है कि बैंक से मिली जानकारी फौरन अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर आम जनता को सुलभ कराये। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की संवैधानिक पीठ ने इलेक्टोरल बॉन्ड के यूनिक नंबर को लेकर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने नये आदेश में उन यूनीक बॉन्ड नम्बर्स के खुलासे का भी आदेश दिया, जिनके जरिए बॉन्ड खरीदने वाले और फंड पाने वाली राजनीतिक पार्टी का लिंक पता चलता है।

एसबीआई को पूरा डेटा देने के लिए 21 मार्च तक का समय दिया है। साथ ही, कहा कि आदेश के पालन पर हलफनामा देना होगा। साथ ही चुनाव आयोग को पूरा ब्योरा प्रकाशित करने का भी आर्डर दिया है। इस मामले पर बैंक के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि हमने आदेश को जिस तरह समझा उसी तरह से उसका पालन किया। आपके आदेश और हमारे समझने में कोई गफलत हो गयी होगी। हमने पूरी जानकारी तरतीब से साझा करने के लिए ही वक्त मांगा था।

आदेश का पूरा पालन करें

सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने तो पिछली सुनवाई में एसबीआई को नोटिस जारी की थी, क्योंकि हमने आदेश में पूरी जानकारी देने को कहा था। लेकिन, एसबीआई ने बॉन्ड नम्बर नहीं दिया। एसबीआई पूरे आदेश का पालन करे। सभी बॉन्ड के यूनिक नम्बर यानी अल्फा न्यूमेरिक नंबर निर्वाचन आयोग को मुहैया कराये। हम यह स्पष्ट करते हैं। हरीश साल्वे ने कहा कि जहां तक बॉन्ड के नम्बर की बात है, हमें कोई परेशानी नहीं है साझा करने में। हम दे देंगे। सीजेआई ने एसबीआई से पूछा कि आप किस फॉर्मेट पर इलेक्ट्रॉल बॉन्ड के डेटा को रखते हैं? एल्फा न्यूमेरिक रखने का क्या मतलब था? क्या यह सुरक्षा को लेकर था या कुछ और? अगर बॉन्ड को भुनाया जाता था, तो ये कैसे पता चलता है कि वह फेक नहीं है? इस पर  साल्वे ने कहा कि हम धनराशि का पता लगाते हैं।

एसजी तुषार मेहता की दलील

सीजेआई ने पूछा कि अगर बॉन्ड को भुनाया जाता था, तो ये कैसे पता चलता है कि वह फेक नहीं है? एसजी तुषार मेहता ने कहा कि आपने फैसला दिया। लेकिन, कोर्ट के बाहर कुछ दूसरी तरफ इसे अन्य ढंग से लिया जा रहा है। गंभीर मामला एसबीआई के अर्जी के बाद सामने आया। उसके पास प्रेस इंटरव्यू देना शुरू किया गया। सोशल मीडिया पर भी इसे अलग तरीके से चलाया गया। अगर किसी ने किसी को पैसा दिया, तो उसके बाद सब उसे अपने-अपने अपने तरीके से देखते हैं। मीडिया कैम्पेन चलाया गया, ताकि जजों को शर्मिन्दा किया जा सके। इस पूरी मुहिम के पीछे हिडेन एजेंडा है। सीजेआई ने कहा कि हमने तो केवल कानून के हिसाब से फैसला दिया था। सीजेआई ने मुकुल रोहतगी को कहा कि आप अभी बहस न करें। अभी आपके एसिस्टेंस की जरूरत नहीं है।

प्रशांत भूषण को सीजेआई की दो टूक

वहीं प्रशांत भूषण ने कहा कि अप्रैल 2019 में कोर्ट ने बॉन्ड्स से मिले चंदे पर राजनीतिक पार्टियों से जानकारी मांगी थी। केवल कुछ ही राजनीतिक दलों ने उसका डाटा साझा किया है। इस पर सीजेआई ने प्रशांत भूषण को कहा कि वह आराम से बहस करें। यह संविधान पीठ है। फिर सीजेआई ने कहा कि अगर आप 2018 की बात करेंगे, तो वह उस फैसले की समीक्षा होगी, जो हम नहीं करने जा रहे हैं। हम यहां पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के लिए नही बैठे हैं। प्रशांत भूषण ने बोलना शुरू किया, तो सीजेआई ने फिर टोकते हुए कहा कि भविष्य में पीआईएल दाखिल करने के लिए प्रशांत बहस करना चाहते हैं। प्रशांत भूषण ने कहा कि बॉन्ड की खरीदारी 12 अप्रैल 2019 से पहले हुई होगी और उसे बाद में भुनाया गया। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने फिर प्रशांत भूषण को टोका। सीजेआई ने चुनावी बांड की जानकारी मांगने वाले आदेश को 12 अप्रैल 2019 से पहले बढ़ाने से इनकार करते हुए कहा कि हमने सोच-समझ कर 12 अप्रैल 2019 की कट आॅफ डेट दी थी। अगर हम उससे पहले जायेंगे, तो यह आॅर्डर की समीक्षा करने जैसा होगा। तो उसे अंतिम तिथि होने दीजिए, क्योंकि तभी अंतरिम आदेश पारित किया गया था। उसके बाद सभी को नोटिस में लाया गया था।

पहले की जानकारी मांगनेवाली अर्जी खारिज

इस दलील के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 12 अप्रैल 2019 से पहले की जानकारी मांगने वाली अर्जी खारिज कर दी। सीजेआई ने कहा कि अगर जानकारी मांगते हैं, तो हमारे ही पिछले फैसले की समीक्षा जैसा होगा। लेकिन, यहां अभी ऐसी कोई अर्जी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि 15 फरवरी को ही हमने अपने फैसले में कहा था कि एसबीआई सभी जानकारी मुहैया कराये और इस बाबत एक हलफनामा भी दाखिल करना होगा। चुनाव आयोग के पास एसबीआई से जैसे ही जानकारी आती है, वह अपनी वेबसाइट पर उसे अपलोड करे।

हमें बदनाम किया जा रहा

जवाब में एसबीआई के वकील ने कहा कि हम पूरा डेटा देने को तैयार हैं। हमारी छवि को बिगाड़ा जा रहा है। साथ ही, कहा कि हमें बदनाम किया जा रहा है, जबकि हम पूरा ब्योरा देने को तैयार हैं।

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