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इस नवरात्रि में घोड़े पर सवार होकर आयेंगी मां दुर्गा, जानें कलश स्थापना का मुहूर्त और पूजा विधि 

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Chaitra navratra, Shubh muhurt, Pujan vidhi, dharm, religious, Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, jyotish Shastra, dharmik totke, dharm adhyatm : मां दुर्गा के उपासना का पर्व चैत्र नवरात्र 9 अप्रैल से शुरू होने जा रहा है। इस बार माता रानी घोड़े पर सवार होकर आएंगी और हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करेगी। ज्योतिषाचार्य पूनम वार्ष्णेय बताती हैं कि माता रानी के पूजन से पहले घर में पूजा स्थल के समक्ष घट स्थापना करें।

सुबह 8:15 बजे से 10:11 बजे तक पूजन शुभ रहेगा

ज्योतिषाचार्य का कहना है कि नवरात्र के 9 दिन मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित होते हैं। जो भी साधक भक्ति एवं श्रद्धा भाव से आराधना करेंगे उन्हें शुभ योग में कई गुना अधिक फल प्राप्त होगा। नवरात्र का प्रारंभ सर्वार्थ सिद्धि योग एवं अमृत सिद्धि योग से हो रहा है। इसका शुभ मुहूर्त मंगलवार को सुबह 7:35 से बुधवार सुबह 5:07 बजे तक है। यदि किसी को नवरात्रों में शुभ काम करना है तो आप इन शुभ योग में काम कर सकते हैं। इस बार नवरात्रों में सर्वार्थ सिद्धि योग चार दिन रहेंगे। प्रीति सौभाग्य शोभन शुभ योग भी विशेष उन्नति कारक, विजय दिलाने वाले, पराक्रम और ज्ञान बढ़ाने वाले रहेंगे।

नवरात्र में मां पृथ्वी पर भक्तों के बीच उपस्थित रहती हैं

ज्योतिषाचार्य आशिमा शर्मा बताती हैं कि यह वर्ष का पहला नवरात्र है। नवरात्र में मां पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच उपस्थित रहती हैं। इसलिए चैत्र नवरात्र में पूजन का विशेष महत्व रहता है। घट स्थापना के लिए मुहूर्त सुबह 6:02 से लेकर 10:16 मिनट के मध्य रहेगा। 9 अप्रैल को अभिजीत मुहूर्त 11:57 से 12:48 बजे के मध्य रहेगा।

पूजा की विधि

ज्योतिषाचार्य वेदप्रकाश प्रचेता माता के घोड़े पर सवार होकर आने को मध्यम शुभ वाला मानते हैं। देश की प्रतिष्ठा बढ़ेगी। हवन कुंड में आम की लकड़ी पर शुद्ध घी हवन सामग्री, बताशे आदि से माता के मंत्रों से हवन करें। सर्वप्रथम एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं। गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें, तदुपरांत माता की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें। माता को सुंदर वस्त्र आभूषण, पुष्पमाला, लाल चंदन, अक्षत, सिंदूर से शृंगार करें। माता के समक्ष कलश स्थापना करें और एक मिट्टी के बर्तन में शुद्ध मिट्टी में जौ बो देना चाहिए। सुंदर दीपक और धूप से माता की आरती उतारें और अंत में क्षमा प्रार्थना और मंत्र पुष्पांजलि अर्पित करें। श्री दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें दूध, सफेद बर्फी, फल, नैवेद्य, मेवा आदि का भोग माता को अर्पित करें।

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