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पलायन के दर्द से तड़प रहे हैं चतरा लोकसभा क्षेत्र के पढ़े- लिखे नौजवान बेरोजगार

Chatra

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बेरोजगारी के कारण ही चतरा लोकसभा से लाखों लोगों  पलायन कर जाते हैं, चतरा लोकसभा के कोई भी प्रत्याशी इन मुद्दों पर नहीं करते हैं बात

*बब्लू खान*

Latehar news, latehar update, Unemployed educated youth of Chatra Lok Sabha constituency are suffering from the pain of migration, Jharkhand news, Jharkhand breaking news : चतरा  लोकसभा क्षेत्र में किसी भी चुनाव में रोजगार के लिए होनेवाले युवकों का पलायन आज तक बड़ा मुद्दा नहीं बन पाया है। कोई भी राजनीतिक दल अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस महत्वपूर्ण मुद्दे को शामिल नहीं करता है। जबकि इस क्षेत्र से हर साल हजारों की संख्या में बेरोजगार युवक गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली आदि राज्यों में पलायन करते हैं। दरअसल कृषि प्रधान चतरा लोकसभा  क्षेत्र में आज तक रोजगार के संसाधन स्थापित नहीं किए जा सके हैं। सरकारी नौकरी के अलावा निजी व्यवसाय ही यहां के लोगों का मुख्य रोजगार है। सरकारी नौकरियां सीमित रहने के कारण सभी बेरोजगारों को नौकरी मिलना संभव ही नहीं है। जबकि निजी व्यवसाय के लिए लोगों के पास पर्याप्त पूंजी का भी घोर अभाव है। ऐसे में सरकारी नौकरी तथा निजी व्यवसाय से वंचित यहां के बेरोजगार युवकों के समक्ष औद्योगिक संस्थानों में नौकरी करना हीं एक मात्र विकल्प बचता है। लेकिन चतरा लोकसभा में औद्योगिक संस्थानों का भी घोर अभाव है। इस  क्षेत्र के टंडवा प्रखंड में एनटीपीसी तथा मगध व आम्रपाली  आरा चमतू  तेतरिया तुबैद कोल प्रोजेक्ट का खनन शुरू हुआ   है। लेकिन  भी इस क्षेत्र के बेरोजगार युवकों के लिए रोजगार उपलब्ध नहीं हुआ  लिहाजा यहां के बेरोजगार युवकों के समक्ष रोजगार के लिए पलायन ही एकमात्र रास्ता बचता है। आंकड़े बताते हैं कि गारू पांकी बरवाडीह हेरहंज सिमरिया जोरी  टंडवा चतरा महुआडर मनिका नेतरहाट चंदवा लातेहार बालूमाथ इटखोरी  क्षेत्र से हर वर्ष लाखों की तादात में बेरोजगार युवक नौकरी के लिए पलायन करते हैं। यहां से पलायन करने वाले बेरोजगार युवक गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान आदि राज्यों में रोजी रोटी के लिए काम किया करते हैं।

*किसानों के कृषि के  लिए  उचित व्यवस्था नहीं रहने से करते हैं पलायन*

सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं रहने से खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाता है जिससे किसान खेती नहीं कर पाते हैं  पृथक प्रत्येक वर्ष रोजगार सिंचाई के क्षेत्र में सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पता है तो मजबूर होकर इन किसानों को भी पलायन करना पड़ता है

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच जनवरी 2019 को पलामू से वर्षों से अधूरे पड़े निर्माण के जीर्णोद्धार हेतु शिलान्यास करके  चतरा लोकसभा के बरवाडीह मंडल डैम को चर्चा में ला दिए  थे । किसानों की उम्मीदें जागी किसानों को लगा इस बार मंडल डैम का निर्माण हो जाएगा और हमारे बंजर भूमि को सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगी और हम आत्मनिर्भर होकर सिंचाई कर सकेंगे पर  पर हर बार की तरह इस बार भी किसान अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। मंडल डैम का जीर्णोद्धार नही होने से। इन्हें बेहतर सिंचाई की सुविधा मिले तो यहा के किसान खेत से सोना पैदा करेंगे

खेती ढंग से होगी तो बेरोजगारी और पलायन भी रुकेगा। अगर चतरा लोक सभा से जीत के जाने वाले जनप्रतिनिधि इस पर थोड़ा और प्रयास करते तो निश्चित किसानों की बंजर भूमि तक पानी पहुंचता और इस क्षेत्र में हरियाली आती  कृषि में बढ़वा मिलता कृषि  के बढ़वा से निश्चित ही इस क्षेत्र से पलायन रुक जाता। अब देखना यह होगा की चतरा लोकसभा के किसान इस बार क्या फैसला लेते हैं अपने वोट से की उनकी दशकों से हो रही  पलायन रुक जाए। और भोले भाले चतरा लोकसभा के किसान आत्मनिर्भर किसान बने।

*दो पावर प्लांट का बंद होना भी मुख्य वजह रहा यहां के लोगों का पलायन करना*

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अजीब विडंबना है कि इस पूरे चतरा लोक सभा क्षेत्र से भारत के विभिन्न भागों में कोयले की आपूर्ति की जाती है यहां के कोयले से न जाने इस देश में कितने औद्योगिक प्लांट का संचालन हो रहा है लेकिन फिर भी प्राकृतिक संसाधन प्रचुर रहने के बावजूद इस पूरे क्षेत्र में कोई भी औद्योगिक प्लांट का संचालन अभी तक शुरू नहीं हो पाया है एकमात्र टंडवा में एनटीपीसी की परियोजना चल रही है लेकिन वहां भी आज तक उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है इसके विपरीत पिछले कुछ वर्षों में यहां पर बड़े जोर शोर से दो औद्योगिक प्लांट की आधारशिला रखी गई थी जिस में चकला स्थित अभिजीत पावर प्लांट लिमिटेड एवं चोटरो स्थित ऐशर पावर प्लांट लेकिन प्लांट 90% तक तैयार हो जाने के बावजूद भी इन दोनों प्लांट  को स्क्रैप के भाव बेच दिया गया और यह सब होते रहा लेकिन फिर भी किसी जनप्रतिनिधि ने इस मुद्दे को कभी भी सार्थक पहल हेतु नाही कोई प्रयास किया और ना ही इसके लिए कोई आवाज बुलंद की।  बल्कि दर्शक बनकर सारा माजरा देखते रहें। अगर यह दो  पावर प्लांट चालू हो जाते तो निश्चित रूप से ही  चतरा लोकसभा की 20000 लोगों को नौकरी मिलती। और यहां  के  युवक   युवतियों और ग्रामीणों को पलायन करने पर मजबूर नहीं होना पड़ता । 

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*चतरा लोकसभा के लातेहार मुख्यालय में डिग्री कॉलेज के अभाव आगे की शिक्षा से रह जाते हैं वंचित*

*जिला मुख्यालय में डिग्री कॉलेज नहीं होने से छात्र-छात्राएं नौकरी के लिए कर जाते हैं पलायन*

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और अगर शिक्षा की बात करें तो चतरा लोकसभा में लातेहार दो दो विधानसभा है, लातेहार जिला झारखंड का ऐसा जिला है, जहां जिला मुख्यालय में एक भी सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं है. जिले का एकमात्र सरकारी डिग्री कॉलेज जिले के मनिका प्रखंड में है, यहां भी सिर्फ कला संकाय की पढ़ाई होती है. यहां साइंस और कॉमर्स की पढ़ाई नहीं होती है.। जिसके कारण यहां के छात्र-छात्राओं को डिग्री के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है 22 वर्षों बाद लातेहार जिला मुख्यालय में एक भी सरकारी डिग्री कॉलेज की स्थापना नहीं होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण . लातेहार साल 2001 में पलामू से अलग हो कर एक नये जिला के रूप में अस्तित्व में आया था. तब से लातेहार जिला मुख्यालय में सरकारी डिग्री कॉलेज की स्थापना की मांग लगातार की जाती रही है. हालांकि पूर्व शिक्षा मंत्री व स्थानीय विधायक बैद्यनाथ राम के प्रयास से लातेहार में एक डिग्री कॉलेज और एक महिला डिग्री कॉलेज लातेहार में स्थापित करने की स्वीकृति मिली. इन दोनो कॉलेजों का भवन भी बन कर तैयार हो गया.  14 फरवरी को इन दोनों कॉलेज भवनों का उदघाटन भी कर दिया. पर अभी तक सत्र चालू नही हुआ चतरा लोकसभा के लातेहार  मुख्यालय में डिग्री कॉलेज नहीं होने से छात्र-छात्राएं आगे की  शिक्षा से वंचित रह जा रहे हैं जिससे चतरा लोकसभा  के लातेहार विधानसभा में  शिक्षा का  अस्तर गिरता जा रहा है  जिन छात्रों पर पास आर्थिक अभाव नहीं है वह छात्राएं दूसरे जिले में जाकर अपनी पढ़ाई पूरी कर लेते हैं पर जिन छात्राओं के पास आर्थिक अभाव है जैसे कि सुदूरवर्ती इलाकों से आने वाले छात्र-छात्राएं हैं गारू  सरयू चंदवा बालूमाथ हेरहंज बरियातू फुलसू  सिबला सेरेगाड़ा मूरपा मासियातु बालू होलंग झाबर आदि के छात्र छात्राएं डिग्री से वंचित रह जा रहे हैं कहते हैं बच्चे देश के भविष्य होते हैं पर आज तक किसी भी  जनप्रतिनिधि ने चतरा लोकसभा से जीत कर लातेहार विधानसभा में  डिग्री मान्यता कॉलेज  जिला मुख्यालय में खोलने की पहल नहीं किया । गया । और छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है जिसके कारण सुदूर वर्ती ग्रामीण इलाकों के छात्र-छात्राएं आगे की पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं और फिर वह नौकरी की तलाश में अन्य राज्यों में पलायन कर जाते हैं।

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