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अयोध्या में 10 बजे से ”मंगल ध्वनि” का भव्य वादन, स्वर लहरियों के बीच सिंहासन पर विराजमान होंगे राम

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Grand performance of “Mangal Dhvani” in Ayodhya from 10 o’clock, Ayodhyadham, Ram janmabhoomi : भक्ति भाव से विभोर अयोध्याधाम में श्रीराम जन्मभूमि पर होने वाली प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सोमवार प्रात:काल 10 बजे से ”मंगल ध्वनि” का भव्य वादन होगा। 50 से अधिक मनोरम वाद्ययंत्र, विभिन्न राज्यों से, लगभग 2 घंटे तक इस शुभ घटना का साक्षी बनेंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने जानकारी दी है कि अयोध्या के यतीन्द्र मिश्र इस भव्य मंगल वादन के परिकल्पनाकार और संयोजक हैं, जिसमें केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली ने सहयोग किया है।

स्वर लहरियों के बीच श्रीरामलला अपने सिंहासन पर विराजमान होंगे

ट्रस्ट के अनुसार, यह भव्य संगीत कार्यक्रम हर भारतीय के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर का प्रतीक है, जो प्रभु श्री राम के सम्मान में विविध परंपराओं को एकजुट करता है। अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह में देश भर के विभिन्न प्रदेशों के प्रसिद्ध वाद्ययंत्रों का भी वादन होगा। इन स्वर लहरियों के बीच श्रीरामलला अपने सिंहासन पर विराजमान होंगे। भारतीय परंपरा के वादन में जितने प्रकार के वाद्ययंत्र हैं, सभी का मंदिर प्रांगण में वादन होगा। इनमें उत्तर प्रदेश का पखावज, बांसुरी, ढोलक, कर्नाटक का वीणा, महाराष्ट्र का सुंदरी, पंजाब का अलगोजा, ओडिशा का मर्दल, मध्यप्रदेश का संतूर, मणिपुर का पुंग, असम का नगाड़ा और काली, छत्तीसगढ़ का तंबूरा, बिहार का पखावज, दिल्ली की शहनाई, राजस्थान का रावणहत्था, बंगाल का श्रीखोल, सरोद, आंध्र का घटम, झारखंड का सितार, गुजरात का संतार, तमिलनाडु का नागस्वरम,तविल, मृदंग और उत्तराखंड का हुड़का शामिल हैं।

114 कलशों के औषधीय जल से होगा मूर्ति का स्नान 

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने कहा कि आज (रविवार)114 कलशों के विभिन्न औषधीय जल से मूर्ति को स्नान कराया जायेगा। भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए सात दिवसीय अनुष्ठान चल रहा है। इस क्रम में 20 जनवरी को पुष्पाधिवास, शर्कराधिवास और फलाधिवास किये गये। साथ ही, दैनिक पूजा-अर्चना, हवन आदि के साथ चीनी और फलों से भी अनुष्ठान हुआ। दिव्य और भव्य मंदिर प्रांगण में 81 कलश स्थापित कर पूजा-अर्चना की गयी। शाम को पूजा और आरती भी हुई। शुक्रवार को मैसूरु के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनायी गयी श्री रामलला की मूर्ति को मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कराया गया।

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