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Back To Home : … और वट सावित्री की पूर्व संध्या पर लौट आया आरती का सत्यवान

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Odisha News : जरा सोचिए, किसी का पति उससे 10 वर्ष पहले बिछड़ गया हो और वह अचानक घर लौट आये, वह भी वट सावित्री की पूजा की पूर्व संध्या पर, फिर उस घर में खुशियों के पटाखे तो फूटेंगे ही। मिठाइयों का दौर भी चलेगा और भगवान के प्रति कृतज्ञता के जयकारे भी लगेंगे। जश्न और कृतज्ञता का यह दौर इन दिनों ओडिशा के अंगुल जिला अंतर्गत छेंडीपदा निवासी जतींद्र बेहरा के परिवावालों के बीच सिर चढ़कर बोल रहा है।
दरअसल जतींद्र लगभग 10 वर्ष पूर्व कहीं गुम हो गए थे, जिनकी घर वापसी की सूचना वट सावित्री पर्व से लगभग 10 दिन पहले उसकी पत्नी आरती को मिली और उसकी वापसी वट सावित्री पूजा की पूर्व संध्या पर हुई तो मानों घर में दूज का चांद निकल आया हो। आरती का सत्यवान लौट आया हो। सभी की आंखें भर आईं। ये खुशी के आंसू थे। आखिर कहां चले गए थे जतींद्र, 10 वर्षों तक कहां रहे, आइए जानते हैं…

बेटी के जन्मदिन के अगले ही दिन लापता हो गए थे जतींद्र

जतींद्र बेहरा का परिवार खुशहाल था, लेकिन 2013 में अपनी बेटी के जन्मदिन के दूसरे ही दिन जतींद्र लापता हो गए। तब जतींद्र मानसिक रूप से थोड़ा अस्वस्थ थे। काफी खोजबीन के बाद भी जब उनका कहीं पता नहीं चला तो मामला पुलिस तक पहुंचा। पुलिस ने भी अपने स्तर से जतींद्र को ढूंढा परंतु सफलता हाथ नहीं लगी। जैसे-जैसे समय बीतता गया, परिवार , रिश्तेदार और पड़ोसियों की उम्मीद टूटने लगी, लेकिन आरती की नहीं। उसने उम्मीदों के दीये जलाए रखे। हर वर्ष वट सावित्री पर्व पर उपवास सहती रही, पति की सलामती और वापसी की प्रार्थना करती रही, जिसे भगवान ने अंततः स्वीकार कर लिया।

चला गया था मध्य प्रदेश, कर रहा था ढाबे पर काम

छेंडीपाड़ा छोड़ने के बाद जतींद्र मध्य प्रदेश चला गया था और सतना में एक ढाबे पर काम कर रहा था। यहीं लगभग 10 साल बाद एक ओडिया ट्रक ड्राइवर से उसकी मुलाकात हुई। उस ड्राइवर ने ही उसे घर लौटने को प्रेरित किया। इसके बाद जतींद्र ने आरती को पत्र लिखा और अपने ठिकाने से उसे अवगत कराया। आरती ने इसके बाद पुलिस से संपर्क किया और उन्होंने जतींद्र की वापसी में मदद की। इसके बाद ट्रक चालक की मदद से वह अंगुल पहुंचे। अबतक बहुत कुछ बदल चुका था। बच्चे बड़े हो चुके थे। घर का हुलिया बदल चुका था, कुछ नहीं बदला था तो वह था अपनों का प्यार।

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