– 

Bengali
 – 
bn

English
 – 
en

Gujarati
 – 
gu

Hindi
 – 
hi

Kannada
 – 
kn

Malayalam
 – 
ml

Marathi
 – 
mr

Punjabi
 – 
pa

Tamil
 – 
ta

Telugu
 – 
te

Urdu
 – 
ur

होम

वीडियो

वेब स्टोरी

बीरभूम नरसंहार मामले में भाजपा की समानांतर जांच समिति के खिलाफ कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल सरकार और सीबीआई से मांगी रिपोर्ट

IMG 20220608 040802

Share this:

कलकत्ता हाई कोर्ट ने बीरभूम हिंसा की जांच के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पांच सदस्यीय तथ्य-खोज समिति बनाने के खिलाफ याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की। कोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार के साथ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से अलग-अलग जवाब मांगा है।

13 जून को होगी अगली सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव व न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता के वकील को दो दिनों के भीतर सीबीआई सहित सभी संबंधित वकीलों को याचिका की प्रतियां देने का निर्देश दिया। इसके अलावा, कोर्ट ने सीबीआई के साथ-साथ राज्य सरकार को सुनवाई की अगली तारीख से पहले जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। 13 जून को इस मामले की अगली सुनवाई होगी।

रिपोर्ट में कानून व्यवस्था पर उठाया था सवाल

मिली जानकारी के अनुसार भाजपा की तथ्य-खोज समिति ने मार्च 2022 में हिंसा की घटना से संबंधित अपनी रिपोर्ट पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा को सौंपी थी। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि पुलिस और राजनीतिक नेतृत्व की मिलीभगत से माफिया पश्चिम बंगाल पर शासन कर रहे हैं। भाजपा की तथ्यान्वेषी टीम ने कहा कि कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है और कानून का पालन करने वाले नागरिकों का सरकार और तृणमूल के शासन के तौर-तरीकों पर से विश्वास उठ गया है।

जेपी नड्डा ने बनाई थी समिति

दरअसल, बीरभूम हिंसा के बाद भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने पांच सदस्यीय तथ्य-खोज समिति का गठन किया था, जिसमें चार पूर्व आईपीएस अधिकारी और पश्चिम बंगाल राज्य भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजुमदार शामिल थे। समिति के सदस्यों में राज्यसभा सांसद बृजलाल, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त सत्यपाल सिंह, पूर्व आईपीएस अधिकारी केसी राममूर्ति तथा लोकसभा सांसद और बंगाल भाजपा के अध्यक्ष सुकांत मजुमदार तथा पश्चिम बंगाल की पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष शामिल थे।

कोर्ट सीबीआई जांच का दे चुका है आदेश

इससे पहले कोर्ट ने 25 मार्च को हिंसा की घटना की सीबीआई जांच कराने का आदेश दिया था। इसके बाद 8 अप्रैल को कोर्ट ने सीबीआई को तृणमूल नेता भादु शेख की हत्या की जांच करने का भी निर्देश दिया था।याचिकाकर्ता प्रीति कर द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि चूंकि सीबीआई पहले से ही इस घटना की जांच कर रही है, इसलिए भाजपा की तथ्यान्वेषी समिति द्वारा किसी ”समानांतर जांच” की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इससे समग्र जांच की प्रगति में देरी हो सकती है। बता दें कि बीरभूम जिले में गत 21 मार्च की रात तृणमूल कांग्रेस नेता भादु शेख की हत्या के प्रतिशोध में कथित रूप से दस लोगों को जिंदा जला दिया गया था।

Share this:




Related Updates


Latest Updates