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Dharma-Karma, Spirituality : आइए जानें कालाष्टमी व्रत के बारे में, इस दिन होती है काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव की पूजा 

Kaal Bhairav

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Kashi ke Kotwal kal Bhairav, religious story, Dharm adhyatm , kalastami: प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन काशी के कोतवाल के रूप में प्रसिद्ध बाबा काल भैरव की पूजा-अर्चना विधि अनुसरित की जाती है। कालाष्टमी व्रत के दिन शिवालयों और मठों में विशेष पूजा आयोजित की जाती है। भगवान शिव के स्वरूप में काल भैरव को आमंत्रित किया जाता है। मान्यता है कि बाबा काल भैरव की पूजा-आराधना करने से सभी प्रकार के दोष, पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही, इनकी आराधना से घर में नकारात्मक शक्तियों, जादू-टोने, भूत-प्रेत आदि का भय नहीं रहता है। यह आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है।

 कालाष्टमी व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार शिव जी के रौद्र स्वरूप को काल भैरव माना जाता है। भय को हराकर जगत की सुरक्षा करने वाले ही काल भैरव हैं। कहा जाता है कि कालाष्टमी के दिन व्रत रखकर बाबा काल भैरव की पूजा करने से सभी प्रकार के भय से मुक्ति प्राप्त होती है। इसके साथ ही भगवान भैरव की कृपा से शत्रुओं से छुटकारा भी मिलता है। कालाष्टमी व्रत भगवान भैरव के भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। यह व्रत हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान भैरव के भक्त एक दिन का उपवास करते हैं और साल में सभी कालाष्टमी के दिन उनकी पूजा करते हैं।

कालाष्टमी की पूजा विधि

✓ब्रह्म मुहूर्त में उठकर कालाष्टमी व्रत के दिन नित्य कर्म करने के बाद स्नान करें। उसके बाद बाबा काल भैरव के मंदिर या अपने घर में उनकी चित्र को चौकी पर स्थापित करें।

✓उस दिन भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती और भगवान गणेश के चित्रों को भी स्थापित करें। इसके बाद पूरे विधि-विधान से पूजा करें।

✓पूजा के दौरान घर के मंदिर में दीपक जलाएं, आरती करें, और भगवान को भोग लगाएं।

✓बाबा काल भैरव को ध्यान में रखते हुए हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प लें।

✓काल भैरव के लिए दूध, दही, धूप, दीप, फल, फूल, पंचामृत, आदि अर्पित करें।

✓काल भैरव को उड़द दाल और सरसों का तेल जरूर अर्पित करें। इससे वह खुश होते हैं।

✓पूजा के समय घर के मंदिर में दीपक जलाएं और भगवान के लिए आरती करें। उन्हें भोग चढ़ाएं। 

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