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Environment Fair : हास्य के नाम पर फूहड़ता परोसने के दोषी कवि व श्रोता, दोनों हैं : पदम अलबेला

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Ranchi, Jharkhand latest Hindi news : लगभग पांच दशकों से लोगों को हंसा-हंसा कर लोटपोट करने वाले हास्य कवि पदम अलबेला मानते हैं कि लोक गायिका नेहा सिंह राठौड़ को यूपी में का बा का वर्जन 2 गाने की बहुत जरूरत नहीं थी। सत्ता में, सियासत में बहुत कुछ होता है। उस पर दिल-दिमाग लगाकर एक रचना को समाज के सामने रखने की बहुत जरूरत नहीं थी, खास कर तब जब मां-बेटी जल कर मर गई हों।
पर्यावरण मेले में प्रस्तुति देने आए पदम अलबेला ने विशेष चर्चा में कहा कि हास्य का रस अलग है। हास्य के रस को अब कई लोगों ने बिजनेस बना दिया है। यह एक तरीके से ठीक है, एक तरीके से ठीक नहीं है। यह सामने वाले पर निर्भर करता है कि वह इसे कैसे लेता है।
यह पूछे जाने पर कि आज से 25 साल पहले कवि सम्मेलन में जो पारिश्रमिक मिला था और आज जो मिल रहा है, उससे आप संतुष्ट हैं, उन्होंने कहाः बहुत ज्यादा। बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। पहले हम लोग एक-एक कवि सम्मेलन में कभी सौ तो कभी पचास रुपये पा जाते थे। अब यह धनरासि हजारों में आ चुकी है। लोग बढ़िया सुनने के लिए बढ़िया भुगतान कर रहे हैं। अब पहले वाली स्थिति नहीं रही। कवियों को अब सम्मान के साथ-साथ सुविधाएं भी बढ़िया मिली हैं और पारिश्रमिक भी बढ़िया मिलने लगा है।
हास्य के नाम पर फूहड़ता से संबंधित पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह गलत हो रहा है। मैं तो साफ-सुथरी रचनाओं पर ही फोकस करता हूं। पर, आपने जिस फूहड़ता से संबंधित प्रश्न को उठाया है, वह भी सही है। लेकिन, इसके लिए अकेले कवि ही जिम्मेदार नहीं है। जो सुनने वाले हैं, वो भी इसके लिए जिम्मेदार हैं।

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