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Hanuman jayanti: आज है राम भक्त हनुमान जी की जयंती, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा सामग्री और पूजा विधि

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hanuman jayanti :  Today is the birth anniversary of Ram devotee Hanuman ji, know the auspicious time, worship material and worship method, dharm, religious, Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, jyotish Shastra, dharmik totke, dharm adhyatm : हिंदू पंचांग के मुताबिक चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि यानी मंगलवार को राम भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ था। यही कारण प्रत्येक वर्ष इस दिन महाबली हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल की हनुमान जयंती काफी खास मानी जा रही है, क्योंकि इस बार बिल्कुल वैसा ही शुभ योग बन रहे हैं जैसे त्रेतायुग में हनुमान जी के जन्मोत्सव के समय बने थे। ऐसे में इस दिन पूजा करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है। केसरी और माता अंजना के पुत्र हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां रुद्र अवतार माना गया है। इनकी हनुमान जन्मोत्सव के दिन विधिवत पूजा करने से भक्त के हर कष्ट समाप्त हो जाते हैं। इसके साथ ही सुख-समृद्धि, धन-संपदा के साथ अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। आइए जानते हैं हनुमान जयंती का शुभ मुहूर्त, सामग्री, पूजा विधि, भोग, मंत्र, पवन पुत्र के अन्य नाम सहित पूरी जानकारी…

हनुमान जयंती 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त

चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ- 23 अप्रैल को सुबह 3:  25 मिनट से चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि समाप्त- 24 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 18 मिनट तक। 

हनुमान जयंती तिथि- 23 अप्रैल 2024, मंगलवार

पहला शुभ मुहूर्त: 23 अप्रैल को सुबह 09 बजकर 03 मिनट से दोपहर 01 बजकर 58 मिनट तक

दूसरा शुभ मुहूर्त: 23 अप्रैल को रात 08 बजकर 14 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 35 मिनट तक

ब्रह्म मुहूर्त- 23 अप्रैल को सुबह 4 बजकर 20 मिनट से 05 बजकर 04 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक।

इस बार हनुमान जयंती दुर्लभ योग में मनेगी

हिंदू शास्त्रों के मुताबिक हनुमान जी का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मंगलवार के दिन मेष लग्न, वज्र योग और चित्रा नक्षत्र में हुआ था। त्रेतायुग वाला शुभ योग इस साल हनुमान जयंती पर बन रहा है। इस दिन मंगलवार होने के साथ-साथ नक्षत्र, वज्र योग और मेष लग्न का योग भी बन रहा है। जहां वज्र योग 23 अप्रैल की सुबह से लेकर 24 अप्रैल को सुबह 04 बजकर 57 मिनट तक है। इसके साथ ही चित्रा नक्षत्र भी 23 अप्रैल को सुबह से लेकर रात 10 बजकर 32 मिनट तक है।

हनुमान जी की पूजा करने के लिए जरूरी पूजा सामग्री

लकड़ी की चौकी, बिछाने के लिए लाल कपड़ा, लाल लंगोट, जनेऊ, चोला, जल कलश, सिंदूर, चमेली का तेल, गंगाजल, अक्षत, चंदन, गुलाब के फूलों की माला या फिर कोई अन्य लाल फूल, इत्र, भुने चने, गुड़, नारियल, केला या अन्य फल, चूरमा, पान का बीड़ा, दीपक, धूप अगरबत्ती, कपूर, घी, तुलसी पत्र, पूजा थाली एकत्र कर लें।

आइए जानें पूजा विधि

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ- सुथरे वस्त्र धारण कर लें। अगर आप व्रत रखना चाहते हैं, तो पवनपुत्र का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प ले लें। इसके बाद पूजा आरंभ करें। सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी में लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाकर भगवान हनुमान की मूर्ति या फिर तस्वीर रखें। इसके बाद जल से आचमन करें। फिर अनामिका अंगुली से उन्हें सिंदूर लगाएं। फिर चमेली का तेल, गुलाब या फिर अन्य लाल फूल चढ़ाने के साथ केसर युक्त चंदन, माला, चोला, जनेऊ, लाल लंगोट आदि चढ़ा दें। फिर एक रूई में इत्र लगाकर चढ़ा दें। इसके बाद भोग में बूंदी के लड्डू, बेसन के लड्डू, गुड़-भीगे चने की दाल या अपनी श्रद्धा के अनुसार भोग लगाने के साथ तुलसी दल चढ़ाएं। इसके साथ ही पान का बीड़ा चढ़ाएं। फिर जल चढ़ाने के बाद शुद्ध घी या चमेली के तेल का दीपक, अगरबत्ती, धूप जलाकर मूर्ति के सामने 3 बार घुमाकर आरती करें। इसके बाद हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान मंत्र आदि का पाठ कर लें और अंत में हनुमान आरती कर लें और भूल चूक के लिए माफी मांग लें।

भगवान हनुमान को इन नामों से भी जाना जाता है

पवन पुत्र हनुमान को बजरंगबली सहित कई नामों से जाना जाता है। मान्यता है कि इन नामों का नाम लेने मात्र से व्यक्ति के हर दुख-दर्द दूर हो जाता है। मारुति, केसरी नंदन, पवनसुत, पवनकुमार, महाबीर, बालीबिमा, मरुत्सुता, अंजनी सुत, संकट मोचन, आंजनेय, रुद्र आदि नाम है।

हनुमान जयंती पर करें इन मंत्रों का जाप

हं हनुमंते नम:।

नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा

ॐ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।

ॐ नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा।

ॐ महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते। हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये। नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा।

हनुमन्नंजनी सुनो वायुपुत्र महाबल: अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते।

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