– 

Bengali
 – 
bn

English
 – 
en

Gujarati
 – 
gu

Hindi
 – 
hi

Kannada
 – 
kn

Malayalam
 – 
ml

Marathi
 – 
mr

Punjabi
 – 
pa

Tamil
 – 
ta

Telugu
 – 
te

Urdu
 – 
ur

होम

वीडियो

वेब स्टोरी

हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता… धरा से निकल कर धरा में समाने तक हैं माता सीता के अनेक प्रेरक दृष्टांत! (1) 

IMG 20240217 WA0001

Share this:

Hari Anant Hari Katha Anantha…There are many inspiring examples of Mother Sita emerging from the earth till she merges into the earth, ramayan, dharm, religious, Dharma – Karma, Spirituality, Astrology, jyotish Shastra, dharmik totke, dharm adhyatm : त्रेता युग में जब भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में जन्म लिया, तो माता लक्ष्मी ने सीता के रूप में। माता सीता ने अपने जीवन में उच्च आदर्शों की स्थापना की तथा समाज को कई संदेश दिये। उन्होंने हमेशा धैर्य और संयम से काम लिया व भविष्य की सम्भावनाओं को देखते हुए ही निर्णय लिये। आज हम आपको माता सीता के भूमि में निकलने से लेकर उनका पुनः भूमि में समाने तक की कथा का वर्णन करेंगे।

रामायण में माता सीता के जन्म को लेकर कुछ स्पष्ट मत नहीं है, लेकिन यह पता चलता हैं कि मिथिला के राजा जनक को वे भूमि में से प्राप्त हुई थी। एक प्रचलित मान्यता के अनुसार वे रावण व मंदोदरी की पुत्री थी, जिसे रावण ने अपशकुन के कारण समुंद्र में फिंकवा दिया था। वहां से बहती हुई माता सीता राजा जनक के राज्य में पहुंच गयी।

जब महाराज जनक अपने राज्य को सूखे से बचाने के लिए खेत में हल जोत रहे थे, तभी उनको वहां से सीता प्राप्त हुई। चूंकि, राजा जनक व उनकी पत्नी सुनैना को कोई संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने सीता को गोद ले लिया। बाद में माता सीता की एक छोटी बहन हुई, जिसका नाम उर्मिला था। इसके अलावा उनकी दो चचेरी बहने मांडवी व श्रुतकीर्ति भी थी, जो उनके चाचा कुशध्वज की पुत्रियां थीं।

माता सीता के अन्य नाम 

माता सीता को कई अन्य नाम से भी जाना जाता है तथा हर नाम से उनकी एक अलग विशेषता दिखाई देती है। आइए, उनके सभी नाम  तथा उनके अर्थ

जानकी : राजा जनक की पुत्री होने के कारण।

वैदेही : राजा जनक का एक नाम विदेह भी था, क्योंकि वे भगवान की भक्ति में अपनी देह तक का त्याग कर देते थे या उसका आभास भूल जाते थे। इस कारण सीता को वैदेही कहा गया।

मैथिली/ मिथिलेशकुमारी : मिथिला राज्य की राजकुमारी के कारण।

जनकात्मजा : राजा जनक की आत्मीय पुत्री होने के कारण।

भूमिपुत्री/ भूसुता/ भौमि/ भूमिजा : भूमि से प्राप्त होने के कारण।

जनकनंदिनी : राजा जनक की सबसे प्रिय पुत्री होने के कारण। राजा जनक को अपने परिवार की सभी पुत्रियों में सबसे प्यारी पुत्री माता सीता ही थी।

इसके अलावा उनका नाम सीता, इसलिए पड़ा, क्योंकि जिस हल को राजा जनक जोत रहे थे, उसके निचले भाग को सीता कहा जाता है। उसी से टकरा कर माता सीता उन्हें प्राप्त हुई थीं। इसलिए उनका नाम सीता पड़ा। कई जगह सीता को सिया के नाम से भी जाना जाता है।

Share this:




Related Updates


Latest Updates