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Jharkhand: मानव तस्करी की शिकार साहेबगंज की 9 नाबालिग बालिकाओं को दिल्ली से कराया गया मुक्त

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Jharkhand news, Jharkhand update, Ranchi news, Ranchi update, Sahibganj news Sahibganj Samachar : मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के सार्थक प्रयास से लगातार मानव तस्करी के शिकार बालक/बालिकाओं को मुक्त करा कर उनके घरों में पुनर्वास किया जा रहा है। इसी कड़ी में मानव तस्करी की शिकार झारखंड के साहेबगंज जिले की 09 बालिकाओं को दिल्ली से मुक्त कराया गया है। मानव तस्करी पर झारखंड सरकार तथा महिला एवं बाल विकास विभाग काफी संवेदनशील है और त्वरित कार्यवाही पर विश्वास रखता है। यही कारण है कि दिल्ली में एकीकृत पुनर्वास संसाधन केन्द्र चलाया जा रहा है। इसके तहत मानव तस्करी के शिकार बच्चे एवं बच्चियों को मुक्त करा कर उनके जिलों में पुनर्वासित किया जाता है। इसका टोल फ्री नम्बर – 10582 है, जो 24×7 कार्य करता है। 

 झारखंड सरकार के अंतर्गत कार्य करता है विभाग 

केन्द्र की नोडल ऑफिसर नचिकेता ने बताया गया कि यह केन्द्र दिल्ली में प्रधान स्थानिक आयुक्त मस्तराम मीणा की देखरेख में एवं महिला एवं बाल विकास विभाग झारखंड सरकार के अंतर्गत कार्य करता है। केन्द्र द्वारा दिल्ली एवं उसके निकटवर्ती सीमा क्षेत्र पर विशेष नजर रखी जाती है। इसी क्रम में हमें इस बार बड़ी कामयाबी मिली और साहेबगंज जिले के 09 बच्चों को हमने दिल्ली पुलिस के सहयोग से दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्र से (जो क्रमशः हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश से सटा है) से रेस्क्यू किया। बता दें कि अभी विगत शुक्रवार को रांची जिले के 02 बच्चों एवं धनबाद जिले के 02 बच्चों को रांची जिले के बाल संरक्षण पदाधिकारी के नेतृत्व में आयी एस्कोर्ट टीम के साथ वापस झारखंड पुनर्वासित किया गया है।

पूनम कुमारी के नेतृत्व में गठित की गई थी टीम 

साहेबगंज जिला प्रशासन द्वारा यह पता चलते ही कि उनके बच्चे दिल्ली में रेस्क्यू किये गये हैं, इस मुद्दे पर त्वरित कार्यवाही करते हुए जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सुमन गुप्ता के निर्देशन व जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पूनम कुमारी के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया। यह टीम पिछले 04 दिनों से दिल्ली में कैम्प करके आज 09 बच्चों के साथ वापस ट्रेन द्वारा झारखंड लौट रही है। जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पूनम कुमारी द्वारा यह जानकारी दी गयी कि इन सभी बच्चों को झारखंड सरकार की विभिन्न योजनाओं से जोड़ते हुए इनकी सतत निगरानी की जायेगी, ताकि बच्चे दुबारा मानव तस्करी का शिकार ना होने पायें।

आयुक्त मस्तराम मीणा के नेतृत्व में हो रही कार्रवाई

गौरतलब है कि स्थानिक आयुक्त मस्तराम मीणा के निर्देशानुसार एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केन्द्र, नयी दिल्ली द्वारा लगातार दिल्ली के विभिन्न बालगृहों का भ्रमण कर मानव तस्करी के शिकार, भूले-भटके या किसी के बहकावे में फंस कर असुरक्षित पलायन कर चुके बच्चों- युवतियों को वापस भेजने की कार्रवाई की जा रही है। इसे लेकर दिल्ली पुलिस, बाल कल्याण समिति, नयी दिल्ली एवं सीमावर्ती राज्यों की बाल कल्याण समिति से लगातार समन्वय स्थापित कर मानव तस्करी के शिकार लोगों की पहचान कर मुक्त कराया जा रहा है। उसके बाद मुक्त लोगों को सुरक्षित उनके गृह जिला भेजने का कार्य किया जा रहा है, जहां उनका पुनर्वास किया जा रहा है।

दलालों के माध्यम से करते हैं पलायन

दिल्ली में मुक्त करायी गयीं बच्चियों को दलाल के माध्यम से लाया गया था। झारखंड में ऐसे दलाल बहुत सक्रिय हैं, जो छोटी बच्चियों को बहला-फुसला कर दिल्ली में अच्छी जिन्दगी जीने का लालच देकर उन्हें दिल्ली लाते हैं और विभिन्न घरों में उन्हें काम पर लगाने के बहाने से बेच देते हैं। इससे उन्हें एक मोटी रकम प्राप्त होती है और इन बच्चियों की जिन्दगी नर्क से भी बदतर बना दी जाती है।

माता-पिता भी हैं जिम्मेदार

दलालों के चंगुल में बच्चियों को भेजने में उनके माता-पिता की भी अहम भूमिका होती है। कई बार ऐसा देखा गया है कि बच्चियां अपने माता-पिता व रिश्तेदारों की सहमति से ही दलालों के चंगुल में आती है।

मुक्त लोगों की होगी सतत निगरानी

महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक द्वारा सभी जिले को सख्त निर्देश दिया गया है कि जिस भी जिले के बच्चों को दिल्ली में रेस्क्यू किया जाता है, जिले के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी एवं बाल संरक्षण पदाधिकारी द्वारा बालकों एवं बालिकाओं को वापस अपने जिले में पुनर्वास किया जायेगा। झारखंड सरकार के निर्देशानुसार झारखंड भेजे जा रहे बच्चों को जिले में संचालित कल्याणकारी योजनाओं स्पॉन्सरशिप, फॉस्टरकेयर, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय से जोड़ते हुए उनकी ग्राम बाल संरक्षण समिति (वीएलसीपीसी) के माध्यम से सतत निगरानी की जायेगी, ताकि इन बच्चों को पुन: मानव तस्करी का शिकार होने से से बचाया जा सके एवं झारखण्ड राज्य में मानव तस्करी रोकी जा सके। एस्कॉर्ट टीम में एकीकृत पुनर्वास-सह- संसाधन केन्द्र के कार्यालय सहायक राहुल सिंह एवं परामर्शी निर्मला खालखो ने बहुत अहम भूमिका निभाई।

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