Jharkhand News: झारखंड में पहली बार हाई काेर्ट में किसी मामले में पूरी सुनवाई हिंदी में हुई। याचिकाकर्ता ने खुद हिंदी में बहस की। हाई काेर्ट ने 19 जुलाई को सुनवाई पूरी करने के बाद हिंदी में ही ऑर्डर भी निकाला, ताकि काेर्ट के आदेश काे समझने में याचिकाकर्ता काे परेशानी न हो। मामले की सुनवाई हाई काेर्ट के जस्टिस केपी देव की अदालत में हुई। शायद पूरे देश के हाई कोर्ट के इतिहास में यह इकलौता मामला हो।
याचिकाकर्ता ने खुद बस की बात कही
जानकारी के अनुसार, छह जुलाई काे जमीन के एक मामले में जब जस्टिस केपी देव के काेर्ट में सुनवाई शुरू हुई ताे याचिकाकर्ता नारायण गिरि खुद बहस के लिए पहुंचे गए। उन्हाेंने अदालत को अपने केस की पैरवी के लिए कोई वकील नियुक्त नहीं करने की जानकारी दी। जस्टिस देव से कहा, वे अपने केस की पैरवी खुद करेंगे और मामले की सुनवाई में बहस हिंदी में करेंगे। जस्टिस देव ने उनके इस आग्रह को स्वीकार करते हुए हिंदी में सुनवाई करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने खारिज की याचिका
मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने याचिका खारिज कर दी। जस्टिस केपी देव ने हिंदी में जारी अपने आदेश में लिखा है कि दस्तावेजाें काे देखने के बाद न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि याचिकाकर्ता नारायण गिरि या इनके पूर्वज काे बिहार सरकार ने जमींदारी उन्मूलन के बाद कभी भी इस जमीन का हकदार नहीं समझा है। याचिकाकर्ता अपने अधिकाराें के संबंध में सक्षम न्यायालय जाएं। इधर, वकीलों ने कहा कि जस्टिस देव ने हिंदी में ऑर्डर निकाल कर अच्धी परंपरा की शुरुआत की है। राष्ट्रभाषा हिंदी को न्यायपालिका के क्षेत्र में एक कदम आगे जाने का प्रयास किया है।