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National: वायु सेना ने खुद अपने लिए तैयार किया स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम ‘समर’

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Air Force itself prepared indigenous air defense system ‘Samar’, Top National news, National update, New Delhi news, latest National Hindi news : भारतीय वायु सेना ने अभ्यास ‘अस्त्र शक्ति’ के दौरान स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली ‘समर’ का सफल फायरिंग परीक्षण किया है। वायु सेना स्टेशन सूर्य लंका में आयोजित अभ्यास के दौरान इन-हाउस डिजाइन और विकसित सतह से हवा में मार करनेवाली मिसाइल प्रणाली ने पहली बार भाग लेकर विभिन्न संलग्न परिदृश्यों में फायरिंग परीक्षण उद्देश्यों को सफलतापूर्वक हासिल किया। इस वायु रक्षा मिसाइल का भारतीय वायुसेना के रखरखाव कमान के तहत एक इकाई ने विकसित किया है।

हवाई खतरों का मुकाबला भी कर सकती है

यह प्रणाली मैक 2 से 2.5 की गति सीमा पर चलनेवाली मिसाइलों के साथ हवाई खतरों का मुकाबला कर सकती है। ‘समर’ प्रणाली में एक ट्विन बुर्ज लॉन्च प्लेटफॉर्म शामिल है, जिसमें खतरे के परिदृश्य के आधार पर सिंगल और सैल्वो मोड में दो मिसाइलों को लॉन्च करने की क्षमता है। सुनिश्चित प्रतिशोध के लिए यह सतह से हवा में मार करनेवाली मिसाइल प्रणाली है। इसे वायु सेना के 7 बेस रिपेयर डिपो और 11 बेस रिपेयर डिपो ने सिमरन फ़्लोटेक इंडस्ट्रीज और यामाजुकी डेन्की के साथ साझेदारी में विकसित किया है। ‘समर’ छोटी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली है, जो रूसी मूल की विम्पेल आर-73 और आर-27 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का उपयोग करती है।

उपयोग करने को  मंजूरी मिली

भारतीय वायु सेना बेस रिपेयर डिपो (बीआरडी) ने सुनिश्चित प्रतिशोध के लिए सतही वायु मिसाइल (एसएएमएआर) वायु रक्षा प्रणाली विकसित की है, जो नवीनीकृत रूसी आपूर्ति वाली विम्पेल आर-73 ई इन्फ्रारेड निर्देशित हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (एएएम) से बनी है। सतह से हवा में कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली के रूप में उपयोग करने के लिए मंजूरी दे दी गयी है। एयरो इंडिया-2023 में प्रदर्शित की गयी ‘समर’ वायु रक्षा प्रणाली ने सभी फायरिंग परीक्षण पूरे कर लिये हैं। यूएवी, हेलीकॉप्टरों और लड़ाकू जेटों से निम्न-स्तरीय उड़ान वाले हवाई लक्ष्यों के खिलाफ इसकी सीमा 12 कि.मी. है। भारतीय वायु सेना के एक अधिकारी ने बताया कि दरअसल, वायु सेना के पास हजारों विम्पेल आर-73 ई की सूची है, जिन्होंने अपनी उड़ान शेल्फ लाइफ पूरी कर ली है। यह अब लड़ाकू जेट से उपयोग करने के लिए सुरक्षित नहीं हैं, इसलिए उन्हें कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली के रूप में एक नयी भूमिका ‘समर’ के रूप में दी गयी है।

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