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National: 76वें सेना दिवस की परेड मध्य कमान क्षेत्र के लखनऊ में कराने का फैसला, 6 कमानों को बारी-बारी से परेड करने का दिया जायेगा मौका

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National news, sena Diwas, national update : पारंपरिक रूप से दिल्ली में होने वाली वार्षिक सेना दिवस परेड को पिछले साल से भारत के अलग-अलग शहरों में करने के फैसले के मद्देनजर सेना दिवस की अगले साल होने वाली परेड लखनऊ में होगी। इसी के तहत पिछले सेना दिवस की परेड दक्षिणी कमान क्षेत्र के बेंगलुरु में हुई थी और अगले 76वें सेना दिवस की परेड मध्य कमान क्षेत्र के लखनऊ में 15 जनवरी 2024 को करने का फैसला लिया गया है।

कार्यक्रम की भव्यता देखने का मौका मिलेगा

दरअसल, मौजूदा समय में देशभर में सेना की 06 कमान संचालित हैं, इसलिए सभी कमानों को बारी-बारी से सेना दिवस परेड आयोजित करने का मौका देने का फैसला लिया गया है। सेना अपनी कमानों के जरिये क्षेत्रीय परिदृश्य के अनुसार अलग-अलग सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में काम करती है, इसलिए इस फैसले से सेना की क्षेत्रीय कमानों को हर साल परेड की मेजबानी करने पर उन्हें भारत के विविध रंग दिखाने का मौका मिल सकेगा। वार्षिक सेना दिवस परेड को भारत के अलग-अलग शहरों में आयोजित करने का मकसद कार्यक्रम में विविधता लाने के साथ ही देश के विभिन्न क्षेत्रों को इस कार्यक्रम की भव्यता देखने का मौका मिलेगा। सेना दिवस परेड का आयोजन बारी-बारी से सभी कमान के चयनित आयोजन स्थलों पर करने की योजना इसलिए भी है, ताकि देश की रक्षा में अहम भूमिका निभाने वाली सेना की विभिन्न कमानों पर भी ध्यान केंद्रित किया जा सके। वैसे भी सेना दिवस पर पूरा देश थल सेना की वीरता, अदम्य साहस और शौर्य की कुबार्नी की दास्तां को बयान करता है। जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। दिल्ली में सेना मुख्यालय के साथ-साथ देश के कोने-कोने में शक्ति प्रदर्शन के अन्य कार्यक्रम होंगे।

क्यों मनाया जाता है सेना दिवस

देश की आजादी के बाद लेफ्टिनेंट जनरल (बाद में फील्ड मार्शल) केएम करियप्पा 15 जनवरी 1949 को स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख बने थे। उन्होंने इस दिन ब्रिटिश राज में भारतीय सेना के अंतिम अंग्रेज शीर्ष कमांडर जनरल रॉय फ्रांसिस बुचर से यह पदभार ग्रहण किया था। इसी दिन को याद करने के लिए हर साल 15 जनवरी को ह्यसेना दिवसह्ण मनाया जाता है। केएम करियप्पा पहले ऐसे अधिकारी थे, जिन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई थी। उन्होंने 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेना का नेतृत्व किया था। इस दिन उन सभी बहादुर सेनानियों को सलामी भी दी जाती है, जिन्होंने कभी ना कभी अपने देश और लोगों की सलामती के लिए अपना सर्वोच्च न्योछावर कर दिया।

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