किसानों से गोबर खरीदने के बाद अब गौ-मूत्र खरीदने पर छत्तीसगढ़ सरकार गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में बुधवार को उनके निवास कार्यालय में आयोजित बैठक में गौ-मूत्र की खरीद के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। मुख्यमंत्री ने गौ-मूत्र खरीद के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के लिए टेक्निकल कमेटी के गठन के निर्देश दिए।
15 दिनों में प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का निर्देश
इस कमेटी में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और कामधेनु विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इस कमेटी के गठन के बाद 15 दिनों में प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। यह टेक्निकल कमेटी गौ-मूत्र के संग्रहण, गौ-मूत्र की गुणवत्ता की टेस्टिंग, गौ-मूत्र से तैयार किए जाने वाले उत्पादों के बारे में अपनी अनुशंसा देगी।
बॉयो फर्टिलाईजर तैयार किया जाएगा
बैठक में बताया गया कि गौ-मूत्र से बॉयो फर्टिलाईजर और बॉयो इनसेक्टिसाइडस तैयार किए जाते हैं गौ-मूत्र में यूरिया सहित अनेक मिनिरल और इंजाइम्स भी होते हैं। फर्टिजलाईजर के रूप में गौ-मूत्र का उपयोग करने से सूक्ष्म पोषक तत्व नाईट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का अवशोषण बढ़ता है। पौधों की ऊंचाई और जड़ में अच्छी वृद्धि होती है, मिट्टी में लाभकारी जीवाणु बढ़ते हैं और गौ-मूत्र में पाये जाने वाला यूरिया बहुत से कीटों और बीमारियों को नियंत्रित करता है।
राज्य में गौ-वंशीय और भैस वंशीय पशुओं की संख्या 111 लाख से अधिक
बैठक में यह भी बताया कि प्रदेश में गौ-वंशीय और भैस वंशीय पशुओं की संख्या 111 लाख से अधिक है। प्रति पशु औसतन प्रतिदिन सात लीटर गौ-मूत्र विसर्जित करना है। बैठक में उपस्थित कृषक प्रतिनिधि रोहित साहू, ग्राम अचानकपुर, विकासखंड पाटन, गोवर्धन साहू, श्रीराम गौशाला आन्दु, बेमेतरा, तिलक साव, महासमुंद ने गौ-मूत्र के उपयोग के संबंध में अपने अनुभव साझा किए।