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बात पते की : टेंशन नहीं, संघर्षों का आनन्द है जीवन

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राजीव थेपड़ा

एक बात वैसे लोगों के लिए, जो बेमतलब ही अपनी जिन्दगी को टेंशन मान कर जीते हैं। दोस्तों ! अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में मैंने अक्सर लोगों के साथ ऐसा पाया है कि वे अपने-अपने कामों में अपनी एकरसता से ऊबते हुए अपनी जिनादगी को बेहद तनाव-युक्त बनाये रहते हैं ! जब तक कोई काम रहता है, तब तक तो वे काम में पिले रहते हैं, लेकिन फुर्सत पाते ही उन्हें अपनी जिन्दगी बदमजा-रसहीन और खुशियों से रिक्त लगने लगती है।…और, जब ऐसी भावना उन्हें आती है, तो उसके बाद जो वह काम करते हैं, तो वह काम भी इसी तरह से अपने आप में ही तनावपूर्ण रहते हुए एक तरह से अनमने ढंग से और आनन्द से रिक्त होकर और तनाव से युक्त होकर करते हैं !! उन्हें ऐसा करते देख कर मुझे बड़ा आश्चर्य होता है कि वे आखिर अपनी जिन्दगी से ऐसा क्या चाहते हैं ?? ईश्वर ने उन्हें ऐसा क्या नहीं दिया है कि वे अपने आप में खुश ना रह सकें ?? लेकिन, आदमी और इतनी आसानी से खुश हो जाये, तो वह आदमी ही क्या !! 

          मैंने देखा है कि लोग-बाग हर छुट्टी के दिन कहीं ना कहीं आउटिंग पर जाने को उत्सुक रहते हैं। अपने शहर से बाहर या शहर के अंदर ही कहीं, किसी ऐसी जगह जहां वे आनन्दित रह सकें और दो-तीन दिन की छुट्टी हो, तो शहर से बाहर जाकर इंजॉय करके आ सकें। लेकिन, दोस्तों ज्यादातर लोगों के साथ ऐसा नहीं हो पाता है। इसका कारण चाहे जो हो ! आर्थिक अभाव भी हो सकता है या अन्य कुछ कारण भी हो सकते हैं ; जैसे उन्हीं दिनों बच्चों की छुट्टियां ना होना या अन्य कोई आवश्यक कार्य आ जाना, तो इसके कारण उनका सोचा हुआ वह प्लान फिस्स हो जाता है और इस करके भी वे तनाव में आ जाते हैं।

      लेकिन, प्यारे दोस्तों ! यदि आप चाहते हैं कि आपको अपनी जिन्दगी के रोजमर्रा के कार्यों से मुक्ति मिल जाये, तो विश्वास कीजिए कि ऐसा तो इस जन्म में कभी नहीं होनेवाला !! अलबत्ता, यह अवश्य हो सकता है कि आप अपने उन्हीं कार्यों में रस लेना शुरू कर दें, जिन कार्यों से आप तनाव महसूस करते हैं । 

दोस्तों ! जिन्दगी सदा ऐसी ही थी, ऐसी ही है और ऐसी ही रहेगी ! अगर आप जिन्दगी का रस खुद-ब-खुद नहीं ले सकते, जिन्दगी के प्रत्येक क्षण का आनन्द अपने आप को नहीं दिला सकते हैं और अपने नित्य प्रति के कामों को अपनी समस्त खुशियों के साथ नहीं कर सकते, तो मेरा विश्वास जानिए कि आपको कहीं आ-जाकर भी वह खुशी नहीं मिलेगी, क्योंकि कहीं चले भी जायेंगे, तो एकाध दिन के लिए, दो दिन के लिए, तीन दिन के लिए या फिर हफ्तेभर के लिए ही तो ? अगर आप सोचते हैं कि उन हफ्ते-या-दिनों के बाद आप फ्रेश हो जायेंगे और उसके बाद महीनों तक बहुत मजे से काम करेंगे, तो दोस्तों मेरा यकीन कीजिए कि ऐसा कभी नहीं होता है, क्योंकि जिन लोगों को कहीं भाग कर ही इंजॉय करने का मन में होता है, तो वे अक्सर पूरे समय उन्हीं पलों के बारे में सोचा करते हैं कि वे कहीं जायें और इंजॉय करके लौटें।…और, दुर्भाग्यवश ऐसा बहुत कम हो पाता है या नहीं भी होता है, तो ऐसे में सोचिए कि आप अपनी जिन्दगी को किस प्रकार अपने ही आप बेहूदा बना देते हैं।

           दोस्तों ! हो सकता है कि आपके मन-अनुकूल जिन्दगी ना मिलने पर आप बहुत सारे व्यवहार अपने ही लोगों के साथ ऐसा कर डालते हैं, जो आमतौर पर आपको किसी के साथ भी नहीं करना चाहिए। आप अपने बच्चों को झिड़कने लगते हैं….अपने मातहतों के साथ असभ्यता से पेश आते हैं या आप अपने मां-बाप या सास-ससुर के साथ भी गलत ढंग से पेश आ सकते हैं और आते ही हैं, तो इस प्रकार आप खुद अपनी जिन्दगी नर्क बना डालते हैं और आप फिर यह भी सोचते हैं कि यह जिन्दगी बड़ी बदमज़ा है !! अब आप ही सोचिए कि आप यह क्या कर रहे हैं ? क्या आपको ऐसा करना चाहिए ? क्या ऐसा सम्भव है कि हर छुट्टी में आप कहीं चले जायें ? क्या ऐसा भी होना सम्भव है कि हर रविवार को आप निश्चित तौर पर कहीं चले ही जायें ? लेकिन, आदमी को पता नहीं क्यों इसी प्रकार जीने की आदत हो गयी है और बहुत सारे लोगों के लिए तो ; और खासकर स्त्रियों के लिए जिन्दगी में आनन्द या आजादी का मतलब यही है कि वे बिंदास जी सकें, नये-नये फैशनेबल कपड़े ले सकें, आये दिन नयी-नयी चप्पल, नयी-नयी जूतियां और नये-नये अन्य प्रकार के सौंदर्य प्रसाधन ला सकें (भले ही उनका बजट उनकी इन रिहाहिशों के माकूल न हो !!) और उनको पहन-पहन कर अपने आप को रिझा सकें…औरों को रिझा सकें !! 

          …तो, क्या आजादी का यही मतलब है ? मेरे दृष्टिकोण से ऐसा नहीं है ! लेकिन, ऐसे लोग ऐसा ही सोचते हैं कि हम आज नहीं जायेंगे, आज बिंदास नहीं जीयेंगे, आज झक्कास नहीं जीयेंगे, तो भला कब जीयेंगे ? क्या बूढ़े हो कर जीयेंगे ? लेकिन दोस्तों ! इसका भी जवाब है ।

दोस्तों ! जिन्दगी का हर एक दौर होता है। बचपन का अपना एक दौर होता है, जिसमें आपको कोई जिम्मेवारी नहीं होती। आप अलमस्त जिन्दगी जीते हैं। युवावस्था का एक अपना दौर होता है, जिसमें आपके ऊपर में अपना कैरियर बनाने की जिम्मेवारी आ जाती है और अपने आप को संवारने की जिम्मेवारी आ जाती है। उसके बाद गृहस्थ जीवन का अपना एक दौर होता है, जिसमें आप एक-दूसरे के साथ जीते हुए ( खुशी से जियो या दुखी होके, वह आपकी इच्छा पर निर्भर है !) तो इस तरह से आप आगे बढ़ते हैं, फिर एक समय ऐसा आता है, जब आपके बच्चे जन्म लेते हैं और बच्चों के जन्म लेने के बाद आपकी जिन्दगी पूरी तरह से बदल जाती है। आपको चाहे या अनचाहे बच्चों के लिए ही जीना पड़ता है और ख़ासकर बच्चों की खुशियों के लिए ही जीना पड़ता है ! तुर्रा यह कि अपने दोस्तों या रिश्तेदारों के साथ में मिलते हुए हम अपनी-अपनी जिन प्रकार की मुकम्मल समस्याओं या अपने द्वारा निर्मित समस्याओं और तनाव का रोना रोते हैं, उनमें भी हम दरअसल एक-दूसरे को सहलाने का ही काम करते हैं, समझाने का कतई नहीं, क्योंकि हम सबके पास खुद की बोई समस्याएं और स्वयं-निर्मित तनाव होते हैं, और क्योंकि वे हवा हवाई होते हैं, इसलिए हमें इन सब की बाबत एक-दूसरे को समझाना चाहिए। लेकिन, होता है इसके ठीक उलट। हम बजाय एक-दूसरे को समझाने के एक-दूसरे का माॅरल सपोर्ट ही करते हैं ! इस तरह से हम अपनी समस्याएं और भी ज्यादा बढ़ा लेते हैं !!

         अब जो लोग यह सोचते हैं कि 40 की उम्र के बाद या 50 की उम्र के बाद वे दो-दो तीन-तीन बच्चों को पालते हुए उसी प्रकार की बिंदास जिन्दगी जी लें या उसी प्रकार की झक्कास जिन्दगी जी लें, जिस प्रकार की ज़िन्दगी वे 18-20 या 25 साल की उम्र में जीते थे, तो ऐसा सोचना बिलकुल फिजूल है, क्योंकि दोस्तों ! जिन्दगी का हर दौर आता है, चला जाता है ; लेकिन आप यह जानना सीखिए कि हर दौर की अपनी जरूरत है…अपनी ख्वाहिशे हैं। लेकिन, एक दौर की ख्वाहिश कोई दूसरे दौर में पूरी करना चाहे, तो आप खुद अपने हाथों ही अपने जीवन को बेकार बना डालेंगे !! इसलिए दोस्तों, यह समझें कि आपको जीवन के किस दौर में क्या करना चाहिए।…और, झक्कास-बिंदास जीने का एक ही तरीका है कि आप अपने साथ इंजॉय करें…आप अपने हर काम के साथ इंजॉय करें…आपके साथ में जो घट रहा है…उसको भी इंजॉय करें। जरूरी नहीं कि हर परिस्थिति आपके मन के अनुकूल ही आये और अगर मन के अनुकूल परिस्थिति नहीं आती है, तो आप अपनी जिन्दगी को तनाव में खर्च करें !! यह जिन्दगी के साथ बेईमानी है और खुद के साथ अन्याय भी !! इसलिए दोस्तों, इन चीजों को भली प्रकार से जानिए-समझिए और अपनी जिन्दगी को बिंदास और झक्कास जीयें, लेकिन अपने साथ, खुद के साथ और खुद की जिम्मेदारियों और दायित्वों को भी झक्कास तरीके से, खुशमिजाज तरीके से पूरा करके, पूरा करते हुए…फिर आप देखिएगा कि आपके जीवन में अपने आप अमृत घुल जायेगा और आप दूसरों के जीवन में भी अमृत घोलना शुरू कर देंगे ; खासतौर पर उनके जीवन में, जो हर पल आपके साथ रहते हैं, जीते हैं और इंजॉय करना चाहते हैं !!

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