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सेल सिंटरिंग और बीएफ में 5-10% बायो-चार को बढ़ावा देने के लिए प्रयास करेगा : एके सिंह

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BIOS 2023, Jharkhand news, Jharkhand update, Ranchi news, Ranchi update, Ranchi latest news, Jharkhand latest news  : बीआईओएस 2023 का दूसरा दिवस शनिवार को वैज्ञानिकों एवं प्रतिभागियों के बीच एक आशावादी तर्ज़ पर सम्पन्न हुआ। इस्पात सचिव एनएन सिन्हा की अध्यक्षता में समापन सत्र में प्रमुख तथ्य उभर कर आये। इस सत्र में उनके साथ एके सिंह, निदेशक (तकनीकी, परियोजना और कच्चा माल), आरपी गोस्वामी, निदेशक, ऑयल इंडिया लिमिटेड और डॉ. सुजय रक्षित, निदेशक (आईसीएआर-आईआईएबी) थे। इस दो दिवसीय सेमिनार में विभिन्न संगठनों के लगभग 150 प्रतिनिधियों ने भाग लिया तथा कुल 5 तकनीकी सत्रों में 30 प्रस्तुतियों पर विचार-मंथन किया गया।

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सेल का दो-आयामी दृष्टिकोण जल्द ही सामने आयेगा

अपने समापन भाषण में श्री सिन्हा ने आयोजकों से सेमिनार के सार को एकत्र करने, बड़ी तस्वीर विकसित करने और उन हितधारकों के लिए जो इस सम्मलेन में भाग नहीं ले सके, उनसे भी से भविष्य के मूल्यवर्द्धन के लिए इस ज्ञान को संग्रहित कर सार्वजनिक डोमेन में रखने को कहा। सिंह ने विश्वास दिलाया कि आनेवाले समय में ब्लास्ट फर्नेस और सिंटरिंग प्रक्रिया दोनों में के उपयोग के लिए सेल का दो-आयामी दृष्टिकोण जल्द ही सामने आयेगा। उन्होंने सिंटर में कोक ब्रीज के स्थान पर 5-10% बायो-चार का परीक्षण और उपयोग करने के साथ-साथ ब्लास्ट फर्नेस में पलवराइज्ड कोल इंजेक्शन को 5-10% तक से बायोचार बदलने का आग्रह किया।

जैव ईंधन पूरी तरह से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में आ गया है

गोस्वामी ने बताया कि जैव ईंधन पूरी तरह से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में आ गया है और ऑयल इंडिया लिमिटेड पहले से ही कई जैव ईंधन कार्यों में है, जिसमें असम में हरित हाइड्रोजन के साथ चलनेवाली बस एक पहला कदम है। अपने सत्र में उन्होंने ओआईएल में जैव ईंधन के उत्पादन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। इसी सत्र में दो स्टार्ट-अप ने भी भाग लिया जिन्होंने बायोचार उत्पादन के विभिन्न विकेंद्रीकृत तरीकों पर प्रकाश डाला।

मक्का जैव ईंधन बन सकता है

डॉ. रक्षित ने टिप्पणी की, कि देश में बहुत सारे काम अलग-अलग चल रहे हैं, लेकिन उन्हें एकत्रित करने की जरूरत है। इसके अलावा, जीनोम संपादन जैव ईंधन में मदद कर सकता है जो कि विवादास्पद जेनेटिक इंजीनियरिंग से भिन्न है। उच्च खाद्य मूल्य वाले चावल से समझौता नहीं किया जा सकता है, लेकिन मक्का जैव ईंधन बन सकता है अगर यह चारे और मुर्गीपालन को प्रभावित न करे। सेमीनार के संगठन सचिव श्री पार्थ बनर्जी ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।

बीआईओएस की सुश्री अदिति चौधरी ने ठोस ईंधन और जैव ईंधन में 89 भारतीय मानकों को पहले ही प्रकाशित करके मानकीकरण के सक्षम पहलुओं पर प्रकाश डाला। बीएचपी मार्केटिंग सस्टेनेबिलिटी, ऑस्ट्रेलिया की सुश्री लॉरेन नॉर्थ ने 4 अलग-अलग स्टील बनाने की प्रक्रियाओं के लिए अनुकूलन, संक्रमण और ग्रीन एंड स्टेट के 3 चरणों के बारे में बताया।

प्रतिभागियों के लिए एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमे कोलकाता से “शिव शक्ति” और “दर्पण” संस्था ने विशेष रूप से “अइया गिरी नंदिनी” का मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। कलाकारों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया।

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