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ग्लोबल ट्रेड के लिए क्यों इतना अहम है लाल सागर  ?

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Why is the Red Sea so important for global trade?, Breaking news, National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news, international news, Global News, red sea : जब हम लोग जियोग्राफी और हिस्ट्री की पढ़ाई करते थे, वर्ल्ड ट्रेड के शुरुआती सबक सिखते थे, तब स्वेज नहर के बारे में सुनते थे। इससे जुड़ी क्राइसिस के बारे में सुनते थे। 32 किलोमीटर के उस संकरे रास्ते के बारे में सुनते थे, जिस पर कोई आफत आती थी, तो एशिया, अफ्रीका और यूरोप के बीच व्यापार की लागत बढ़ जाती थी। उससे जुड़ी खबर ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। वहां पर लगातार हमले हो रहे हैं। उन हमलों को काउंटर करने के लिए 10 देशों की एक साझा फौज भी तैयार हो रही है। 

क्या है लाल सागर ?

लाल सागर हिन्द महासागर और भूमध्य सागर के बीच का रास्ता है। इसमें ग्रेट ऑफ टीयर्स भी स्थित है। यह एक ऐसा जलमार्ग है, जिससे दुनिया का 40 प्रतिशत व्यापार होता है। सऊदी अरब, मिस्र और सूडान के बीच स्थित, लाल सागर स्वेज़ नहर का प्रवेश द्वार है और दुनिया के प्रमुख वैश्विक व्यापार गलियारों में से एक है। यह लगभग 12 प्रतिशत वैश्विक व्यापार और लगभग एक तिहाई वैश्विक कंटेनर यातायात की देखरेख करता है। आपको स्वेज से गुजरना है, तो आप रेड सी को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। स्वेज़ नहर से हर साल लगभग 19,000 जहाज़ पार करते हैं। इनलेट ऊर्जा और कमोडिटी व्यापार में एक रणनीतिक दबाव बिन्दु है। अमेरिका और पश्चिमी सहयोगियों के विरोधी कभी-कभी उन चोकपॉइंट्स का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं, क्योंकि यह वैश्विक गतिशीलता पर इतना महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। हूती हमलों से चिंतित होकर, प्रमुख ऊर्जा कम्पनियों और शिपिंग फर्मों बीपी, इक्विनोर, मार्सक, एवरग्रीन लाइन और एचएमएम ने अपने जहाजों का मार्ग बदल दिया है या लाल सागर में परिचालन निलम्बित कर दिया है। 

ग्लोबल ट्रेड के लिए क्यों अहम रेड सी ?

लाल सागर का मार्ग कितना जरूरी है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 17 हजार जहाज स्वेज नहर से हर वर्ष गुजरते हैं। वहीं, इस मार्ग से दुनिया का 12 प्रतिशत वैश्विक कारोबार होता है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि हर साल 10 अरब डॉलर का सामान इसी रास्ते से आयात-निर्यात होता है। लाल सागर का सबसे संकरा रास्ता यमन के पास है। इस जगह को बॉब अल मंडाव कहते हैं। इसकी चौड़ाई 32 किलोमीटर की है। यमन में दो सरकारें चल रही हैं। एक, जिसे यूएन की मान्यता है और दूसरी सरकार, जो हूती विद्रोहियों की है। इन्हीं हूती विद्रोहियों के पास बॉब अल मंडाव स्टेट का कंट्रोल है। 

रेड सी में कौन रोक रहा शिपिंग ?

अक्टूबर के महीने में हूती विद्रोहियों ने इजरायल की तरफ कई मिसाइलें दागीं। इसके बाद इजरायल को चेतावनी भी जारी की। फिर हूतियों ने लाल सागर से गुजरनेवाले जहाजों को निशाना बनाना शुरू किया। 19 नवम्बर को हूती विद्रोहियों ने गेलेक्सी लीडर नाम के एक जहाज को जब्त कर लिया। दावा किया गया कि यह इजरायल का जहाज है। असल में यह एक ब्रिटिश कम्पनी के नाम पर रजिस्टर्ड था। जहाज तुर्किए से भारत आ रहा था। जहाजों पर हमले हूती विद्रोहियों ने नहीं रोके। 03 दिसम्बर को भी बहमास जा रहे जहाज पर ड्रोन से हमला किया गया। 13 दिसम्बर को नार्वे के टैंकर पर भी मिसाइल हमला हुआ। नार्वे और पनामा जहाजों पर भी 18 दिसम्बर को हमला हुआ। अधिकतर हमलों को अमेरिकी और ब्रिटिश युद्धपोत नाकाम भी कर रहे हैं। 

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