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यूपीएससी में धनबाद की बेटी श्रेष्ठा से पैनलिस्‍ट ने पूछा था जो साड़ी आपने पहन रखी है, वह कौन सी है, डीएवी ने स्मृति चिह्न देकर श्रेष्ठा को किया सम्मानित 

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धनबाद की बेटी श्रेष्ठा श्री ने यूपीएससी में 444वां स्थान प्राप्त किया है। परीक्षा में सफलता के बाद उन्‍होंने  अपने अनुभवों को साझा किया। बातचीत के दौरान श्रेष्ठा ने बताया कि साक्षात्कार राउंड में उसे 190 अंक मिले थे, जो कि अच्छा स्कोर माना जाता है। उन्होंने बताया कि उनका विषय पाॅलिटिकल साइंस था, इसलिए ज्यादातर सवाल उसी विषय से जुड़े पूछे गए। हालांकि आए दिन आप सुनते या पढ़ते होंगे कि यूपीएससी के इंटरव्‍यू में कै‍ंडिडेट से अजीबो-गरीब सवाल पूछे गए, या कई ऐसे सवाल आपने सुने होंगे, जिनके बारे में आप सोचते होंगे कि इसका यूपीएससी से क्‍या लेना-देना! श्रेष्‍ठा के साथ भी ऐसा हुआ।

साड़ी के बारे में बहुत नहीं जानती पर इसमें सिल्क है 

श्रेष्‍ठा ने बताया कि इंटरव्‍यू के दौरान एक पैनलिस्‍ट ने उनसे सवाल किया कि बताइए आपने जो साड़ी पहनी है, वह कौन सी है? श्रेष्‍ठा कहती हैं कि इसका सटीक जवाब उन्‍हें नहीं मालूम था, लेकिन इससे उनके परिणाम पर कोई असर नहीं पड़ा। पैनलिस्‍ट के सवाल का जवाब देते हुए श्रेष्‍ठा ने कहा कि साड़ी के बारे में तो मैं बहुत अधिक नहीं जानती,, पर इसका मैटरियल सिल्क है, जो काफी सुंदर है। डीएवी कोयला नगर की पूर्व छात्रा श्रेष्‍ठा ने बताया कि इसके बाद जो सवालों का सिलसिला शुरू हुआ, वह करीब आधे घंटे तक चला।

आधे घंटे पहले ही पहुंच गई थी यूपीएससी के दफ्तर के बाहर

उन्‍होंने बताया कि इंटरव्‍यू के लिए 5 से 6 पैनल होते हैं और हर एक पैनल तकरीबन 6 उम्मीदवारों का इंटरव्यू लेता है। पैनल एक कैजुअल बातचीत से इंटरव्‍यू शुरू करता है, जिसमें वह आपकी पर्सनैलिटी चेक करता है और देखता है कि आप एक अधिकारी बनने लायक है या नहीं। इसके लिए पैनल में शामिल अधिकारी कई बार आपको सहज करने के लिए भी आपसे हल्‍के सवाल पूछते हैं। श्रेष्ठा ने बताया कि 25 से 30 मिनट तक मेरा इंटरव्यू चला, जिसमें मुझसे मेरे विषय से जुड़े सवाल पूछे गए।

धनबाद से 12वीं की पढ़ाई, दिल्‍ली में किया ग्रेजुएशन

श्रेष्‍ठा ने बताया कि डीएवी कोयला नगर में वर्ष 2014 में 11वीं में दाखिला लिया था। 12वीं तक यहीं से पढ़ाई की, उसके बाद दिल्ली के मिरांडा हाउस में बीए में एडमिशन लिया और वहीं रहकर यूपीएससी की तैयारी भी की। स्कूल के दिनों को याद करते हुए श्रेष्ठा ने बताया कि डीएवी में मैं बल्लवी हाउस में थी आज भी मुझे स्कूल का हवन-पूजन और यहां के शिक्षक याद हैं। डीएवी में पढ़े मेरे कई दोस्त संपर्क में है। यहां छात्रों के लिए पढ़ाई के दृष्टिकोण से पर्याप्त सुविधाएं मौजूद हैं।

एनसीईआरटी की किताबों पर अधिक फोकस करें

श्रेष्‍ठा ने बताया कि यूपीएसी में सफलता हासिल करने में मुझे दो साल लगे। तैयारी कर रहे अन्‍य छात्रों से कहा कि अखबार और एनसीआरटी की किताबों पर सबसे अधिक फोकस करें, क्योंकि यही बेहतर स्काेर दिला सकते हैं। उन्होंने कहा कि कड़ी मेहनत करने से बेहतर है, रिविजन पर पूरा ध्यान केंद्रित करें। अपनी सफलता का श्रेय श्रेष्ठा ने अपने पिता के. सेठी, माता और शिक्षकों को दिया। पिता लेबर कमिश्नर हैं। श्रेष्ठा ने कहा कि आठ साल तक उन्‍होंने कथक नृत्य सीखा है। पेंटिंग का भी काफी शौक है। चार साल बाद धनबाद आई श्रेष्ठा को डीएवी के क्षेत्रीय निदेशक डाॅ. केसी श्रीवास्तव और प्राचार्य एनएन श्रीवास्तव ने स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।

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