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झारखण्ड हिन्दी साहित्य संस्कृति मंच ने मनाया वसंतोत्सव होली मिलन समारोह 

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Jharkhand Hindi Sahitya Sanskriti Manch celebrated spring festival Holi Milan ceremony, Breaking news, Ranchi news, Jharkhand news, Ranchi update, Jharkhand update : झारखण्ड हिन्दी साहित्य संस्कृति मंच के तत्वावधान में लालपुर स्थित होटल सिटी पैलेस में होली मिलन समारोह सह वसंतोत्सव का आयोजन किया गया। मंच के स्थानीय कवियों के साथ जमशेदपुर, रामगढ़, धनबाद आदि स्थानों से आये कवियों ने होलियाना अंदाज में एक से बढ़ कर एक मस्ती भरे गीतों और कविताओं का पाठ किया। संगीत की ताल पर गीतों की मोहकता ने श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। इस अवसर पर सीसीएल के पूर्व सीएमडी गोपाल सिंह मुख्य अतिथि तथा रांची विश्व विद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. जंग बहादुर पाण्डेय विशिष्ट अतिथि के साथ मंच के संरक्षक विनय सरावगी विशेष रूप में उपस्थित थे। आगत अतिथियों को पुष्प गुच्छ एवं अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव ने की। सचिव विनोद सिंह ने आगत अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ रेणु बालधार द्वारा प्रस्तुत ‘विद्या देनेवाली मां सरस्वती तेरा वंदन’ से किया गया। प्रसिद्ध पत्रकार सुनील बदल की कविता ‘समझो आज होली है’,प्रवीण परिमल की ‘करो न प्यार होली में’ कुमार बृजेन्द्र की ‘तुम्हारा आना’ डॉ. अंजेश की ‘बांध लो पांव में घुंघरू दिखा दो चाल होली में’ प्रतिभा सिंह की ‘कोयल कू कू बोल रही’ चन्द्रिका ठाकुर देशदीप की ‘रंग तो है हजारों चमन में मगर’ कामेश्वर सिंह कामेश की ‘तुम्हारा तरंग उमंग बधाई है होली में’ ऋतुराज वर्षा की ‘योगी जी वाह’ प्रतिमा मिश्र की ‘रंगों की फुहार लायी जीवन में बहार’ आदि होली के गीतों और कविताओं की प्रस्तुति से सभागार में बैठे श्रोता झूम उठे। झारखण्ड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता राजीव शर्मा द्वारा मधुशाला के गीतों की प्रस्तुति भी मोहक रही। इन कवियों के अलावा डॉ. सुरिंदर कौर नीलम, राज रामगढ़ी, मुक्ति शाहदेव, गिरिजा कोमल, मीरा सोनी, कल्याणी झा, कृष्णा विश्वकर्मा, रेणु झा रेणुका, डॉ. राजश्री जयंती, सावन कुमार, ज्योत्स्ना  जयंती, डॉ. आशीष प्रसाद, मंच के सचिव विनोद सिंह, संयुक्त सचिव वैद्यनाथ मिश्र, रीना गुप्ता आदि कवियों ने भी मस्तीभरे गीतों की प्रस्तुति दी।

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       मुख्य अतिथि गोपाल सिंह ने अपने वक्तव्य में होली के पर्व को संस्कार, संस्कृति, बंधुता, एकता का प्रतीक मानते हुए कहा कि होली हजारों वर्षों से समाज में चली आ रही परम्परा है। यह पर्व संस्कृति की समग्रता का सूचक है। उन्होंने राष्ट्रीय एकता में साहित्य के योगदान पर भी प्रकाश डाला। डॉ. जे बी पाण्डेय ने मंच द्वारा साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों की सराहना की तथा होली पर्व की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। मंच के उपाध्यक्ष निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव ने अपने अध्यक्षीय भाषण में भारत के पारम्परिक पर्वों की व्याख्या की। होली के गीतों में राष्ट्रीयता, धार्मिकता, एकता, पारस्परिक प्रेम की भावनाओं की बृहद व्याख्या की। उन्होंने कहा कि सात रंगों की छटा को इन्द्रधनुष कहते हैं और सात रंगों के मेल से एकतालीस रंगों का जन्म होता है। ये रंग जीवन की खुशियों के प्रतीक हैं।

  कार्यक्रम का संचालन अर्पणा सिंह  तथा धन्यवाद ज्ञापन मंच के सह सचिव डॉ. वैद्यनाथ मिश्र ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में विजय  राजगढ़िया, ममता मनीष सिन्हा, ऋतुराज वर्षा, सुनीता कुमारी, निशिकांत पाठक, अनुपम श्री, नरेश अग्रवाल, घटा गिरि आदि की सराहनीय भूमिका रही।

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