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Jharkhand : अपनी मांगों के समर्थन में 15 मार्च को विधानसभा का घेराव करेंगे मनरेगाकर्मी

Jharkhand : अपनी मांगों के समर्थन में 15 मार्च को विधानसभा का घेराव करेंगे मनरेगाकर्मी

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अपनी मांगों को लेकर मनरेगाकर्मी झारखंड राज्य मनरेगा संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले 15 मार्च को झारखंड विधानसा का घेराव करेंगे। यह निर्णय छह मार्च को प्रदेश मुखिया संघ, पंचायत सचिव संघ, जनसेवक संघ और मनरेगा कर्मचारी संघ की संयुक्त बैठक में लिया गया। बैठक की अध्यक्षता करते हुए मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष जॉन पीटर बागे ने सामाजिक अंकेक्षण में आये मुददों के साथ-साथ मनरेगा कर्मियों पर एकपक्षीय कार्रवाई की रोकथाम के लिए सदस्यों से विचार कर आंदोलन की भावी रणनीति तैयार की। मुखिया संघ के अध्यक्ष विकास कुमार महतो ने बताया कि बैठक में संगठनात्मक संरचना एवं आंदोलन की रणनीति पर चर्चा की गयी।तसर्वसम्मति से यह तय हुआ कि 15 मार्च को मनरेगा संयुक्त संधर्ष समिति के तत्वावधान में झारखंड विधानसभा का घेराव किया जायेगा।

आंदोलन संचालन समिति गठित

इससे पूर्व संयुक्त मोर्चा ने अपनी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री, ग्रामीण विकास मंत्री, ग्रामीण विकास सचिव व मनरेगा आयुक्त से अनुरोध भी किया। विधानसभा घेराव कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आंदोलन संचालन समिति का गठन किया गया है। इसमें मुखिया संघ के प्रदेश संरक्षक संजय महतो, रफिक अंसारी,मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश संरक्षक बसंत सिंह,प्रदेश उपाध्यक्ष पंकज सिंह को नामित किया गया है।

ये हैं मनरेगाकर्मियों की प्रमुख मांगें

सामाजिक अंकेक्षण एवं समवर्ती अंकेक्षण में आये मुददों को आधार बनाकर किए जा रहे एकपक्षीय कार्रवाई पर रोक लगाई जाये।
सामाजिक अंकेक्षण नियमावली 2016 में संशोधन किया जाये।
मनरेगा के अंतर्गत कराये जा रहे सामाजिक अंकेक्षण में मनरेगा योजना के क्रियान्वयन में शामिल मुखिया, पंचायत सचिव,जनसेवक एवं मनरेगा कर्मियों को सीधे तौर पर दोषी मान लेने के बजए दोष सिद्धि का पर्याप्त अवसर दिया जाये।
मनरेगा सामाजिक अंकेक्षण के लिए निर्गत कार्यालय आदेश में संशोधन कर सामाजिक अंकेक्षण का काम कराया जाये।
मनरेगा के क्रियान्वयन में शामिल मुखिया, पंचायत सचिव,जनसेवक एवं मनरेगा कर्मियों पर किए गये बर्खास्तगी एवं प्राथमिकी की एकपक्षीय कार्रवाई को वापस लिया जाये और भविष्य में ऐसी कार्रवाई को नहीं हो।
मनरेगा की व्यवहारिक समस्या, मजदूरी दर कम होना, दो-तीन माह तक मजदूरी का पैसा का भुगतान नहीं होना सहित कई सैंद्धातिक नियमों में शिथिलता करने व छोटी-मोटी गलतियों को नजरअंदाज किए जाने की मांग की गयी।

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