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श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य गर्भगृह में विराजेंगे रामलला, प्रथम तल पर होगा राम दरबार

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Ramlala will sit in the main sanctum sanctorum of Shri Ram Janmabhoomi temple, Ram Darbar will be held on the first floor, Ram janmabhoomi temple, Ayodhya news : श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान राम अपने बालरूप में विराजेंगे। मंदिर तीन मंजिला होगा। प्रथम तल पर राम का दरबार होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर मंदिर निर्माण को लेकर यह जानकारी साझा की है। इसमें मंदिर की विशेषताओं के साथ-साथ मंदिर में श्रद्धालुओं की क्षमता को लेकर भी जानकारी दी गयी है। तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक, अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है। मंदिर की लम्बाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फुट, चौड़ाई 250 फुट तथा ऊंचाई 161 फुट रहेगी। मंदिर तीन मंजिला होगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फुट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे। मंदिर में 05 मंडप-नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप होंगे। खंभों एवं दीवारों में देवी-देवताओं तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं। मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़ कर सिंहद्वार से होगा।

मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा

बता दें कि मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लम्बाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फुट होगी। परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति एवं भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा। मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा। मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी और ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे।

कुबेर टीला पर शिवजी के मंदिर का जीर्णोद्धार

दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है। वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गयी है। मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है। मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (आरसीसी) बिछायी गयी है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है। मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फुट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनायी गयी है। मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पावर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे।

25 हजार क्षमता का होगा दर्शनार्थी सुविधा केन्द्र

25 हजार क्षमतावाले एक दर्शनार्थी सुविधा केन्द्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर एवं चिकित्सा की सुविधा रहेगी। मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी। मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार एवं स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70 प्रतिशत क्षेत्र सदा हरित रहेगा।

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