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Shri Ram: गूंजे वैदिक मंत्र, ‘जय श्रीराम’ का हुआ उद्घोष, हुई श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा

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National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news, ayodhya : वैदिक मंत्रों की गगनभेदी गूंज और ‘जय श्रीराम’ के उद्घोष के बीच 22 जनवरी 2024 की तिथि उस समय धन्य हो उठी जब अपने श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। अयोध्या नगरी स्थित पवित्र धाम में आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में सोमवार को श्रद्धालुओं के समूह ने अपने राघव की दिव्य छवि देखी। समूची अयोध्या नगरी भावविभोर हो उठी। समूचा राष्टÑ भावुक हो उठा। जो जहां था, वहीं से अपने आराध्य को एकटक निहार रहा था। चारों तरफ घंट-घड़ियाल और शंख की ध्वनि गूंजने लगी। बूढ़े-बच्चे-नवजवान ; सब के मुख से एक साथ ‘जय श्रीराम’ गुंजायमान होने लगा। इसके साथ ही सम्पूर्ण राष्टÑ में दीवाली मनायी जाने लगी। ‘मेरी झोपड़ी के भाग्य आज खुल जायेंगे, राम आयेंगे’…’कीजो केसरी के लाल, मेरा छोटा-सा यह काम’…’हम कथा सुनाते राम सकल गुण धाम की’…राम जी की निकली सवारी, राम जी की लीला है न्यारी’…कौशल्या- दशरथ के नन्दन, राम ललाट पर शोभित चन्दन’…आदि गीतों से पूरा देशगुंजायमान हो उठा।

प्रधानमंत्री मोदी ने वैदिक विधि-विधान से संकल्प लेते हुए पिछले सात दिन से चल रहे प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान को सम्पूर्ण किया। इस दौरान मंदिर के गर्भ गृह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा कुछ प्रमुख संत भी उपस्थित रहे। काशी के प्रख्यात वैदिक आचार्य गणेश्वर द्रविड़ और आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देशन में 121 वैदिक आचार्यों ने अनुष्ठान सम्पन्न कराया। इसके साथ ही भगवान श्री राम का मंदिर अपने अस्तित्व में आ गया। स्थिति यह रही कि अपने प्रभु श्री राम के दर्शन कर रहे श्रद्धालु भक्तों का समूह लगातार भावुक हो रहा था। उनकी आंखें खुशी से छलछला उठी थीं। देशभर में लगभग यही परिदृश्य रहा। हर ओर भावनाएं पूरे उफान पर रहीं। जो लोग अयोध्या नहीं जा सके, वे अपने घरों में पूरी तन्मयता से टेलीविजन पर प्रसारित हो रहे कार्यक्रम को प्रारम्भ से समापन तक देखा। देश के लगभग हर राज्य की स्थिति यही रही। देशभर के मंदिरों को इस पावन अवसर पर सजाया गया था। सभी में विधिवत पूजा-अर्चना हुई। संध्या बेला देशभर में लोगों ने अपने घरों व पूजा स्थलों पर दीप प्रज्वलित कर दीवाली मनायी। 21 जनवरी रविवार की देर रात से ही पटाखे छूटने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह 22 जनवरी सोमवार की रात तक चलता रहा। 

45 मिनट चली रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा पूजा

अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हो गई है। श्रीराम विग्रह के प्रथम दर्शन भी हो गए। ढट मोदी ने आरती के साथ पूजा पूरी की, उनके साथ गर्भगृह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक डॉ. मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद रहे।

सुबह मंत्रोच्चार से रामलला को जगाया, मंगल ध्वनि से शुरू हुई प्राण-प्रतिष्ठा

सुबह मंत्रोच्चार के साथ रामलला को जगाया गया। इसके बाद वैदिक मंत्रों के साथ मंगलाचरण हुआ। 10 बजे से शंख समेत 50 से अधिक वाद्य यंत्रों की मंगल ध्वनि के साथ प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम शुरू हुआ। अपराह्न 12.29 बजे प्राण-प्रतिष्ठा की मुख्य विधि शुरू हुई। 84 सेकेंड में ही मूर्ति में प्राण की स्थापना हो गयी। मंत्रोच्चार के साथ श्री रामलला के चरणों में जल अर्पित किया गया, फिर अक्षत और पुष्प चढ़ाये गये। नैवेद्य लगा कर आरती के साथ पूजा पूरी की गयी। इसके बाद रामलला को साष्टांग प्रणाम किया गयाऔर संतों का आशीर्वाद लिया।  प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंडप में वसोधारा पूजन हुआ। ऋग्वेद और शुक्ल यजुर्वेद की शाखाओं का होम और परायण हुआ। इसके बाद शाम को पूणार्हुति हुई और देवताओं का विसर्जन किया गया।

50 मिनट चली पूजा में कब क्या हुआ…

पूर्वाह्न11.55 : मंदिर के उत्तरी द्वार से प्रधानमंत्री मोदी मंदिर परिसर में पहुंचे। हाथ में चांदी का छत्र और रामलला के वस्त्र लेकर सीधे मंदिर के अंदर गये। यहां संघ प्रमुख मोहन भाववत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूजा में शामिल हुए।

अपराह्न12.10 : राम मंदिर के मुख्य अर्चक पं. मोहित पांडे ने सबसे पहले शुद्धीकरण कराया। हाथ में जल लेकर पूजा और प्राण-प्रतिष्ठा का संकल्प कराया। इसके बाद प्राण-प्रतिष्ठा की मुख्य विधि शुरू हुई।

अपराह्न 12.15 : प्राण-प्रतिष्ठा की पूजा शुरू हुई। रामलला विराजमान और तीनों भाइयों की प्रतिमा के सामने बैठ कर प्रधानमंत्री मोदी ने पूजन किया। गणपति पूजा हुई। रामलला को विभिन्न पूजन सामग्रियां और फूल चढ़ाये गये।

अपराह्न 12.25 : रामलला की आंखों से पट्टी हटायी गयी। प्रधानमंत्री मोदी ने प्रतिमा का पूजन किया। प्रतिमा के चरणों में कमल के फूल अर्पित किये।

अपराह्न 12.29 से 12.31 : कमल के फूल से प्रधानमंत्री मोदी ने प्रतिमा पर जल छिड़क कर प्राण-प्रतिष्ठा की मुख्य विधि को पूरा किया। रामलला के विग्रह पर अलग-अलग पूजन सामग्रियां चढ़ायीं।

अपराह्न 12.35 : प्रधानमंत्री मोदी रामलला की पूजा की और धूप आरती की।

अपराह्न 12.40 : रामलला की आरती की गयी। प्रधानमंत्री मोदी सहित सभी अतिथियों ने रामलला की दीपों से आरती की। आरती के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने चंवर डुला कर रामलला की सेवा भी की।

अपराह्न 12.55 : रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का विधान पूरा हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने गर्भगृह से निकल कर रामलला को साष्टांग प्रणाम किया। फिर मुख्य पुजारी सत्येन्द्र दास और राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास का आशीर्वाद लिया।

16 से शुरू हो गये थे प्राण-प्रतिष्ठा से जुड़े संस्कार

इससे पहले 07 दिनों में अयोध्या नगरी कुल साढ़े 05 लाख मंत्रों से गूंज उठी। इस महोत्सव में होनेवाली वैदिक क्रियाएं और शुभ संस्कार 16 तारीख से शुरू हो गये थे। काशी के 121 वैदिक-कर्मकांडी ब्राह्मणों ने इन मंत्रों का सिलसिलेवार ढंग से धाराप्रवाह वाचन किया।

पहले दिन प्रायश्चित्त होम यानी पवित्रीकरण की क्रिया हुई। इसके बाद कलश पूजन और मूर्ति की शोभायात्रा हुई, फिर मूर्ति का परिसर में प्रवेश हुआ। जलयात्रा और तीर्थ पूजा हुई और अधिवास हुए।

मूर्ति की पवित्रता और शक्ति बढ़ाने के लिए मूर्ति को जल, घी, औषधि, केसर, शहद, फल, अनाज और सुगंधित चीजों में रखा गया। इसे अधिवास कहते हैं। इसके बाद श्रीरामलला को 20 जनवरी को स्थापित किया गया।

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