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Spiritual Value : आध्यात्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक आधार भी हैं रंगोली बनाने के

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Spiritual News: विभिन्न अवसरों पर रंगोली बनाने का इतिहास सदियों पुराना रहा है। खासकर सनातन धर्म में हर शुभ अवसर पर इसे बनाया जाता रहा है। जैसे-जैसे हम विकास के पथ पर अग्रसर होते गए रंगोली अलग-अलग स्वरूपों में हमारी आस्था को रेखांकित करने का माध्यम बनती चली गई गई। अब सिर्फ हल्दी,आटा, फूल आदि ही नहीं, रंग-बिरंगे गुलाल और अत्याधुनिक कलर इसके निर्माण के आधार बनते चले गए। सनातन धर्म की बात करें तो इसे घर की सुख-समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है। खासकर दीपावली जैसे मौके पर इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। हर घर के द्वार पर अलग-अलग रंग और आकार में बनी यह रंगोली दिल को सुकून दे जाती है। आपको बता दें रंगोली का सिर्फ आध्यात्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक महत्व भी है। आइए इसके बारे में लेते हैं कुछ खास जानकारियां…

  • रंगोली निर्माण आपके अंदर छुपे कलाकार को मजबूत आधार दे जाता है। कई कलाप्रिय लोग इसे मन मुताबिक आकार दे जाते हैं। रंगोली हममें सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर जाती है। कहते है तनाव को भगाने में भी इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है। इसके विविध रंग हमारे मन पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालने का कार्य करता है।
  • रंगोली बनाते समय हमारी उंगली और अंगूठा मिलकर ज्ञानमुद्रा बनाते हैं, जो हमारे मस्तिष्क को ऊर्जावान और सक्रिय बनाने के साथ-साथ बौद्धिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। मनोवैज्ञानिक अध्ययनों में यह पुष्ट हो चुका है।
  • एक्यूप्रेश की दृष्टि से भी यह मुद्रा आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद प्रभावी है। यह आपको हाई ब्लडप्रेशर से बचाती है और मानसिक व आत्मिक तौर पर शांति प्रदान करती है। कई वैज्ञानिक अध्ययनों में यह पुष्ट हो चुका है।
  • रंगों के सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव को विज्ञान और विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों ने भी मान्यता दी है। जब आप रंगों के संपर्क में आते हैं, तो इनसे उत्सर्जित ऊर्जा आप पर प्रभाव डालती है, जिससे कई तरह की मानसिक और शारीरिक समस्याओं का इलाज संभव है।
  • विभिन्न रंगों और फूलों से बनाई गई रंगोली आपके घर और आसपास के वातावरण में सकारात्मक उर्जा का संचार करती है, जिससे मन प्रसन्न और वातावरण बेहद सकारात्मक होता है। इसका आपकी सेहत पर भी असर पड़ता है।

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