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खण्डग्रास चंद्रग्रहण का किस राशि पर क्या पड़ेगा प्रभाव, ग्रहण के दौरान क्या करें क्या नहीं

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Chandra grahan, Sharad Purnima, Dharm adhyatm, rashifal, Chandra grahan effect :  खण्डग्रास चंद्रग्रहण आश्विन शरद पूर्णिमा को 28 और 29 अक्तूबर की मध्यगत रात्रि को सम्पूर्ण भारत में खण्डग्रास के रूप में दिखाई देगा। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है। ऐसे में इस दिन ग्रहण लगना बेहद महत्वपूर्ण रहने वाला है। यह ग्रहण साल 2023 का आखिरी चंद्र ग्रहण है। 28 अक्टूबर को भारत के समय अनुसार यह चंद्र ग्रहण 28/29 अक्टूबर की मध्य रात्रि 01 बजकर 05 मिनट (25-05) पर शुरू होगा और देर रात 02 बजकर 24 (26-24) मिनट पर समाप्त होगा। 

पूरे भारत पर दिखाई देगा चंद्रग्रहण

यह ग्रहण भारत में सर्वत्र दिखाई देगा। यानी इस ग्रहण की कुल अवधि 1 घंटा 18 मिनट की रहेगी। शनिवार 28 अक्टूबर को शाम में 4 बजकर 6 मिनट पर चंद्रोदय हो जाएगा। भारतीय समय अनुसार,चंद्रग्रहण का सूतक 28 अक्तूबर शनिवार शाम में 4 बजकर 5 मिनट पर आरंभ हो जाएगा। इस ग्रहण में चंद्रबिम्ब दक्षिण की तरफ से ग्रस्त होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह चंद्रग्रहण  अश्विनी नक्षत्र और मेष राशि में घटित होगा। इसलिए इस राशि एवं नक्षत्र में जन्मे लोगों को चंद्र राहु और मंगल का जप और दान करना चाहिए ।

शनैश्चरश्चेद् -ग्रहणं निरीक्षेत्,दुर्भिक्षचौरोत्थभयं त्ववृष्टया।

कृष्णानि धनयानि च कृष्णधातून् कुर्यान्महर्घान्यसितान् विलेपान।।

कहीं भारी बारिश तो कहीं काल की स्थिति रहेगी

कहीं वर्षा से भारी जनधन हानि और कहीं दूर्भिक्ष (अकालजन्य)  जैसे हालात बनेंगे। चोरी आदि का भय तथा उड़द आदि कृष्ण-धान्य,लोहा,क्रूड ऑयल आदि काले तथा लाल रंग की वस्तुएं एवं धातुएं तेज बहाव हो जाएगी राजाओं में युद्ध-भय तथा प्रजा को महंगाई से कष्ट रहे।

चंद्रग्रहण का राशियों पर कैसा पड़ेगा प्रभाव

मेष राशि : दुर्घटना हो सकती है। स्वस्थ खराब हो सकता है और किसी से शत्रुता हो सकती है।

वृष : धन की हानि होगी और चिंता होगी।

मिथुन : धन का लाभ  और उन्नति होगी।

कर्क : रोग, कष्ट और भय ।

सिंह : संतान के प्रति चिन्ता होगी।

कन्या : साधारण लाभ होगा और शत्रु का भय भी होगा।

तुला : पति/ स्त्री के सम्बन्धी कष्ट।

वृश्चिक : रोग, मेहनत करनी होगी, गुप्त चिन्ता होगी।

धनु : कार्यों में देरी होगी और धन अधिक खर्च होगा।

मकर : लाभ होगा और कार्यों में सफलता प्राप्त होगी।

कुम्भ : धन का लाभ होगा और उन्नति होगी।

मीन : धन की हानि होगी और फालतू खर्च अधिक होगा।

भारत के अलावा कहा कहा दिखाई देगा यह ग्रहण ?

भारत में तो इस ग्रहण का दृश्य शुरू से समाप्ति तक देखा जा सकेगा। भारत के अलावा यूरोप, सम्पूर्ण एशिया, अफ्रीका, अटलांटिक महासागर, हिन्द महासागर, पश्चिमी और दक्षिणी प्रशान्त महासागर, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया दक्षिण अमेरिका के पूर्वी उत्तरी भाग में भी दिखेगा। ऑस्ट्रेलिया और रूस के पूर्वी क्षेत्रों में इस ग्रहण का प्रारम्भ केवल चन्द्रास्त के समय ग्रस्तास्त  दिखाई देगा। जबकि कनाडा ब्राजील के पूर्वक क्षेत्र दक्षिणी अटलान्टिक महासागर में चन्द्रोदय के समय इसकी ग्रस्तास्त समाप्ति देखी जा सकेगी।     

गर्भवती महिलाओं को रखना होगा विशेष ध्यान

ग्रहण के सूतक और ग्रहणकाल के दौरान कुछ कार्यों को करना वर्जित है। ग्रहण काल में सबसे ज्यादा सावधानी गर्भवती महिलाओं को रखनी चाहिए। इस दौरान वे सबसे ज्यादा संवेदनशील होती हैं और गर्भस्थ शिशु पर ग्रहण काल का असर विपरीत पड़ सकता है। गर्भवती महिलाएं ग्रहण काल में एक नारियल अपने पास रखें। इससे गर्भवती महिला पर वायुमंडल से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नहीं पड़ेगा। गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। शरीर पर तेल ना लगायें। बाल न बांधें। दांत साफ ना करें। घर से बाहर न निकलें‌ ग्रहण के समय भोजन करना, भोजन पकाना, सोना नहीं चाहिए, सब्जी काटना, सीना- पिरोना आदि से बचना चाहिए। गर्भवती महिलाओं पर चंद्रमा की छाया बिलकुल न पड़े। इस बात का ध्यान रखें। नाखुन ना कांटें। बाल ना काटें। भोजन न करें। सहवास न करें। झूठ न बोलें। निद्रा का त्याग करें। मल,मूत्र ना करें। चोरी न करें। गाय,भैंस का दूध नहीं निकालना चाहिए। आम लोगों को भी इन सब बातों को नहीं करना चाहिए। किसी भी प्रकार के पाप कर्म से दूर रहें और ग्रहण काल में अपने इष्टदेव ,शिव या गायत्री मंत्र का जाप करते रहें। ग्रहण के प्रभाव के चलते सूतक काल से ही मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे।

जितना अन्न खाओगे उतरे दिन रहना होगा नरक में

ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक अरुंतुद नरक में वास करता है।घर में रखे हुए पानी, अनाज, दूध दही, अचार, पानी में कुशा डाल देनी चाहिए। इससे ये वस्तुएं दूषित नहीं होती हैं। कुशा ना हो तो तुलसी का पौधा शास्त्रों के अनुसार पवित्र माना गया है। वैज्ञानिक रूप से भी यह सक्षम है, इसमें मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट आसपास मौजूद दूषित कणों को मार देते हैं। इसलिए खाद्य पदार्थ में डालने से उस भोजन पर ग्रहण का असर नहीं होता।

इन बातों का भी रखें ख्याल

ग्रहण के समय पति और पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए। इस दौरान यदि गर्भ ठहर गया तो संतान विकलांग या मानसिक रूप से विक्षिप्त तक हो सकती है।

ग्रहण काल में स्नान, दान, जप, तप, पूजा पाठ, मन्त्र, तीर्थ स्नान, ध्यान, हवनादि करना बहुत लाभकारी रहता है।

चंद्रमा के शुभ प्रभाव प्राप्त करने हेतु चंद्रमा के वैदिक मंत्र का ज्यादा से ज्यादा जप करना चाहिए।

ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से घर को बचाने के लिए ग्रहण से एक दिन पहले घर के मुख्य द्वार पर सिंदूर में घी मिलाकर ॐ या स्वास्तिक का चिह्न बनाये । 

बाजार में गमलो को रंगने के लिए,रंगोली बनाने के लिए गेरू मिलता है, ग्रहण से पहले घर के मुख्य द्वार के पास , घर की छत पर एवं घर के आँगन में गेरु के टुकड़े बिखेर दें, और ग्रहण के बाद इसे झाड़ू से बटोर कर घर के बाहर फेंक दे। इस उपाय से घर पर ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है । 

ग्रहणमोक्ष होने पर सोलह प्रकार के दान, जैसे अन्न, जल, वस्त्र, फल, दूध, मीठा, स्वर्ण, चंद्रमा से संबंधित लाल वस्तुएं जैसे चांदी, चावल, दूध, आटा, चावल , चीनी , देसी घी  आदि का दान जो भी संभव हो सभी मनुष्यों को अवश्य ही करना चाहिए।

ग्रहण के समय राशि अनुसार करें ये दान, मिलेगा लाभ

मेष राशि के लोगों को गुड़, मूंगफली, तिल,तांबा की वस्तु, दही का दान देना चाहिए। 

वृषभ राशि के लोगों के लिए सफेद कपड़े,चांदी और तिल का दान  करना उपयुक्त रहेगा।

मिथुन राशि के लोग मूंग दाल, चावल,पीला वस्त्र, गुड़ और कंबल का दान करें। 

कर्क राशि के लोगों के लिए चांदी, चावल,

सफेद ऊन, तिल और सफेद वस्त्र का दान देना उचित है।

सिंह राशि के लोगों को तांबा,गुड़, गेंहू,गौमाता का घी, सोने और मोती दान करने चाहिए। 

कन्या राशि के लोगों को चावल, हरे मूंग या हरे कपड़े का दान देना चाहिए।

तुला राशि के जातकों को हीरे, चीनी या कंबल,गुड़, सात तरह के अनाज का देना चाहिए। 

वृश्चिक राशि के लोगों को मूंगा, लाल कपड़ा,लाल वस्त्र, दही और तिल दान करना चाहिए।

धनु राशि के जातकों को वस्‍त्र, चावल, तिल,पीला वस्त्र और गुड़ का दान करना चाहिए।

मकर राशि के लोगों को गुड़,कंबल, और तिल दान करने चाहिए। 

कुंभ राशि के जातकों के लिए काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी,कंबल, घी और तिल का दान चाहिए। 

मीन राशि के लोगों को रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल,चना दाल और तिल दान देने चाहिए।

“:पुत्रजन्यनि यज्ञेश च तथा सङ्क्रमणे रवे ।

राहोश्च दर्शने कार्यं प्रशस्तं नान्यथा निशि ।। ” वशिष्ठ।।

 अर्थात पुत्र की उत्पत्ति, यज्ञ ,सूर्य संक्रांति, सूर्य-चंद्रमा ग्रहण में रात में भी स्नान करना चाहिए। यह चंद्र ग्रहण आश्विन पूर्णिमा को घटित हो रहा है, इसीलिए जहां आश्विन पूर्णिमा के स्नान का महत्त्व और भी विशेष हो जाता है।     

  प रामदेव पाण्डेय, रांची

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