New Delhi news : महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को मतदान पूरा होने के बाद अब एग्जिट पोल की चर्चा शुरू हो गयी है। ज्यादातर एग्जिट पोल के मुताबिक, दोनों ही राज्यों में भाजपा गठबंधन की सरकार बनने का अनुमान जताया गया है। लेकिन अहम सवाल यह है कि क्या इस बार एग्जिट पोल सटीक साबित होंगे और क्या 23 नवम्बर को आने वाले चुनाव परिणाम भी एग्जिट पोल के अनुमानों के अनुरूप ही होंगे ?
यह सवाल इसलिए भी अधिक प्रासंगिक हो जाता है क्योंकि कुछ माह पूर्व सम्पन्न हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद आये एग्जिट पोल के अनुमान सिरे से गलत साबित हुए थे। हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद अधिकांश एग्जिट पोल राज्य में भाजपा की पराजय और कांग्रेस की सरकार बनने की भविष्यवाणी कर रहे थे। यहां तक कि खुद भाजपा भी चुनाव नतीजों को लेकर आश्वस्त नहीं थी और उसे एंटी इनकंबेंसी फैक्टर के चलते लग रहा था कि शायद वह हरियाणा हैट्रिक नहीं लगा पायेगी। लेकिन जब विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आये तो बड़े-बड़े सियासी पंडित भी हैरान रह गये। चुनाव में भाजपा स्पष्ट बहुमत हासिल कर लगातार तीसरी बार हरियाणा में सरकार बनाने में कामयाब रही। इसीलिए महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर आज आये एग्जिट पोल पर सवाल उठ रहे हैं कि यह अनुमान कितने सटीक साबित होंगे ?
हरियाणा विधानसभा चुनाव में सभी एग्जिट पोल चारों खाने चित हो गए थे। तमाम सर्वेक्षण एजेंसियों का अनुमान चुनाव नतीजों में ध्वस्त हो गया था। हरियाणा के जुड़े एग्जिट पोल्स में कांग्रेस की 10 साल बाद बड़ी जीत के साथ वापसी के अनुमान लगाए गए थे। अधिकतर एजेंसियों ने कांग्रेस को 90 में औसतन 60-65 सीटें दी थी जबकि बीजेपी को 25-28 सीटों पर समेट दिया था। लेकिन चुनाव परिणाम इसके उलट रहे। बीजेपी ने 48 सीटों पर चुनाव जीतकर एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल की धज्जियां उड़ा दी थीं। कांग्रेस को अनुमानों के विपरीत सिर्फ 37 सीटें मिलीं। इसके बाद से ही एग्जिट पोल की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं। लोकसभा चुनाव में भी एग्जिट पोल का हाल बेहाल ही रहा था।
पांच साल पहले महाराष्ट्र चुनाव में भी एग्जिट पोल ज्यादा कमाल नहीं कर पाए थे। एक-दो सर्वे एजेंसियों को छोड़कर अधिकतर सर्वेक्षणों में बीजेपी -शिवसेना को भारी बहुमत की भविष्यवाणी की गई थी जो नतीजों में गलत साबित हुई। हालांकि 2019 के तमाम सर्वे में महायुति को पूर्ण बहुमत मिलने का दावा किया गया था जो सही साबित हुआ, मगर सीटों का अनुमान गलत निकला। महाराष्ट्र में पिछले चुनाव में बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन था। बीजेपी 164 और शिवसेना 124 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। एनसीपी और कांग्रेस ने भी 125-125 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। चुनाव परिणाम में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को 161 सीटें मिली थीं जबकि एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन ने 98 सीटों पर जीत हासिल की थी। 13 सीटें निर्दलीय के खाते में गई थी। बीजेपी को 105, अविभाजित शिवसेना को 56, अविभाजित एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली थी।
अगर 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल्स की बात करें तो इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया ने जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन के जीतने की बात कही थी। इसके मुताबिक यूपी को 43 और भाजपा को 27 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था। वहीं, एबीपी वोटर ने त्रिशंकु विधानसभा की आशंका जताई थी। इसने यूपीए को 35 और भाजपा को 32 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था। वहीं, टाइम्स नाऊ ने यूपीए के लिए 44 और भाजपा के लिए 28 सीटें मिलने का अनुमान जाहिर किया था। साल 2019 में झारखंड में विधानसभा चुनाव 30 नवंबर से 20 दिसंबर के मध्य संपन्न हुए थे। तब कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा वाले यूपीए ने चुनाव जीता था। जेएमएम को 30, भाजपा को 25 और कांग्रेस को 16 सीटों पर जीत मिली थी। महाराष्ट्र की 288 और झारखंड में दूसरे चरण की 38 विधानसभा सीटों पर बुधवार को वोटिंग खत्म हो गई। झारखंड में 13 नवंबर को पहले दौर में 42 सीटों पर वोटिंग हुई थी। राज्य में 81 सीटें हैं। दोनों राज्यों के चुनाव नतीजे 23 नवंबर को आएंगे।