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Heatwave & Economy : क्या आपने कभी सोचा, गर्मी हमारी अर्थव्यवस्था को भी कैसे करती है प्रभावित, जानते हैं…

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Heatwave Affects Economy, Must Know Facts : क्या आपने कभी गौर किया है कि जब गर्मी अधिक बढ़ती है, तापमान नीचे नहीं आता है तो लोगों के जीवन और स्वास्थ्य पर तो इसका असर पड़ता ही है, यह स्थिति हमारी अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गर्मी में आदमी की कार्यक्षमता कम हो जाती है। इससे कमाई पर असर पड़ता है।अब अप्रैल के मध्य के बाद लोगों को गर्मी अधिक सताने लगी है। यह इस बात का संकेत हो सकता है कि इस वर्ष अधिक गर्मी पड़ सकती है। अत्यधिक गर्मी देश में अर्थव्यवस्था को कई तरह से प्रभावित करती है। डालते हैं इस पर एक नजर।

पावर सेक्टर पर सर्वाधिक प्रभाव

सबसे पहले अगर अधिक गर्मी पड़ती है, तो  यह देश के पावर सेक्टर को अधिक प्रभावित करती है। अगर तापमान बढ़ता है, तो फिर भूजल को पंप करने के लिए एसी और मोटर जैसे उपकरणों का ज्यादा उपयोग होगा। अगर ऐसा होता है, तो फिर इलेक्ट्रिसिटी में कमी आएगी। इलेक्ट्रिसिटी में कमी आने से उद्योग का कामकाज भी प्रभावित होगा। क्योंकि उद्योग का परिचालन करना है, तो फिर इसके लिए बिजली की जरूरत होती है। इस बार बिजली की मांग 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत बढ़ रही है। बिजली के उत्पादन के लिए अधिक मात्रा में बिजली की आवश्यकता होती है। देश में 70 फीसदी बिजली का उत्पादन कोयले से ही होता है।

श्रम उत्पादन होता है कम

अधिक गर्मी का प्रभाव श्रम के उत्पादन पर भी पड़ता है। सिर्फ कंस्ट्रक्शन लेबर ही ऐसे नही है। जिनको खुले में काम करना पड़ता है। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की करीब 75 प्रतिशत वर्क फोर्स है जो प्रभावित 75 प्रतिशत वर्कफोर्स गर्मि से प्रभावित लेबर पर करती हैं। जो बहुत बार नुकसानदायक जैसी गर्मी में काम करता है। इसका अर्थ यह है कि अर्थव्यवस्था का को विभिन्न क्षेत्र है इसमें काफी गिरावट आएगी।

घटने लगता है GDP का एक बड़ा हिस्सा

अत्यधिक गर्मी की वजह से दिन में कार्य के घंटों का बहुत अधिक नुकसान होता है। जैसा की फ्यूचर में गर्मी के बढ़ने का जो अनुमान है। यह उत्पादकता को कम करके देश की जीडीपी के एक बड़े हिस्से को कम कर सकता है। वैश्विक प्रबंधन सलाहकार फर्म, मैक्किंजे एंड कंपनी द्वारा किए गए एक विश्लेषण के अनुसार, अधिक गर्मी की वजह से देश में कार्य के घंटों में कमी की औसत संख्या ऐसे बढ़ सकती है, जो देश की जीडीपी ग्रोथ के लिए एक बड़ी चुनौती है। देश का करीब 50 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद मुख्य रूप से खनन, कृषि और कंस्ट्रक्शन जैसे सेक्टर्स पर निर्भर है।

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