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Mother Of All Industries : रांची स्थित HEC से लगभग 70 इंजीनियरों और अफसरों ने छोड़ दी नौकरी, आप भी जानिए कारण…

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Jharkhand Update News, Ranchi, HEC Financial Condition :  झारखंड की राजधानी रांची स्थित हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (HEC) को सार्वजनिक क्षेत्र में मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज के रूप में स्थापना काल से ही जाना जाता था। कालांतर में इसकी माली हालत लगातार कमजोर होती गई। पिछले 25 सालों में केंद्र अथवा राज्य सरकारों की ओर से इसे उठाने के लिए कारगर प्रयास नहीं किए गए। आज हालत यह हो गई है कि पिछले 1 साल में इसके लगभग 70 इंजीनियर और बड़े अधिकारी नौकरी छोड़ चुके हैं।  कंपनी के कई कामगार अब रोजी-रोटी के लिए चाय-पकौड़े की दुकान चलाकर या छोटा-मोटा धंधा कर परिवार चला रहे हैं। तमाम अफसरों और कर्मियों का 12 से 15 पंद्रह महीने तक का वेतन बकाया है। करीब 300 से ज्यादा कर्मियों ने कंपनी छोड़कर अन्यत्र नौकरी के लिए आवेदन की इजाजत मांगी है।

वर्क आर्डर की कमी नहीं

बताया जाता है कि इधर कंपनी ने महीनों बाद  अफसरों और कर्मियों को दो माह के बकाया वेतन का एकमुश्त भुगतान किया है। एचईसी के पास वर्क ऑर्डर की कमी नहीं है, लेकिन वर्किंग कैपिटल की कमी के चलते समय पर काम पूरा नहीं हो पा रहा है और इस वजह से कंपनी लगातार घाटे में डूबती जा रही है। 

300 करोड़ का वर्क आर्डर पूरा करने का लक्ष्य

एचईसी ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम शंकर पासवान की मानें तो कंपनी में कच्चे माल की सप्लाई और वर्किंग कैपिटल जुटाने के लिए प्रबंधन की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। प्रबंधन ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए 300 करोड़ के वर्क ऑर्डर को पूरा करने का लक्ष्य तय किया है। एक अधिकारी ने जानकारी दी कि एचइसी के प्लांटों में कई ऐसे उपकरण है 80 प्रतिशत तक बने हुए हैं। आर्थिक संकट दूर होते ही इनकी आपूर्ति की जा सकेगी।

केंद्र से वर्किंग कैपिटल के लिए गुहार

एचईसी ने भारी उद्योग मंत्रालय से एक हजार करोड़ रुपए के वर्किंग कैपिटल उपलब्ध कराने के लिए कई बार गुहार लगाई है, लेकिन मंत्रालय ने पहले ही साफ कर दिया था कि केंद्र सरकार कारखाने को किसी तरह की मदद नहीं कर सकती। कंपनी प्रबंधन को खुद अपने पैरों पर खड़ा होना होगा।

अब केवल 3400 कर्मचारी-अधिकारी

करीब 22 हजार कर्मचारियों के साथ 1963 में शुरू हुई इस कंपनी में अब सिर्फ 3400 कर्मचारी-अधिकारी हैं। कर्ज और बोझ इस कदर है कि इनका तनख्वाह देने में भी कंपनी पूरी तरह सक्षम नहीं है। ऐसे में हर महीने पांच से छह इंजीनियर कंपनी छोड़ रहे हैं। एचईसी में पिछले दो साल से स्थायी सीएमडी तक की नियुक्ति नहीं हुई।

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