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National: नौसैन्य अभ्यास ‘मिलन’ में पहली बार हिस्सा लेंगे विक्रमादित्य और विक्रांत

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National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news : सिटी ऑफ डेस्टिनी विशाखापत्तनम में 21 फरवरी से होनेवाले बहुराष्ट्रीय नौसैन्य अभ्यास “मिलन” में पहली बार भारत के दोनों विमानवाहक आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत हिस्सा लेंगे। करीब 50 मेहमान देशों के साथ इस समुद्री अभ्यास के लिए मेजबान भारतीय नौसेना बड़े पैमाने पर तैयारी कर रही है। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने अब तक के सबसे बड़े इस नौसैन्य अभ्यास को समुद्री क्षेत्र में भारत के राष्ट्रीय हित देखते हुए काफी महत्त्वपूर्ण बताया है।

50 मेहमान देशों के साथ इस समुद्री अभ्यास के लिए भारतीय नौसेना की बड़े पैमाने पर तैयारी

बहुराष्ट्रीय नौसैन्य अभ्यास “मिलन” में शामिल होने के लिए 58 देशों को आमंत्रित किया गया था, जिसमें 50 से अधिक देशों से शामिल होने की प्रतिक्रियाएं मिलीं हैं। विभिन्न देशों की नौसेनाएं अपने-अपने युद्धपोत समुद्री और हवाई बेड़े के साथ इस अभ्यास में शामिल होने के लिए पहुंचने लगी हैं। अमेरिकी नौसेना का अर्ले बर्क-क्लास गाइडेड मिसाइल विध्वंसक “यूएसएस हैल्सी” विशाखापत्तनम पहुंच गया है, जिसका पूर्वी नौसेना कमान सनराइज कमांड ने सिटी ऑफ डेस्टिनी में गर्मजोशी से स्वागत किया है। यह पहला मौका है जब भारत के दोनों विमानवाहक यानी आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत विशाखापत्तनम में होने वाले बहुराष्ट्रीय अभ्यास मिलन-2024 में भाग लेंगे।

नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार कहते हैं कि “मिलन” वास्तव में अब तक का सबसे बड़ा अभ्यास है, जो अपने कद, सामग्री और जटिलता की डिग्री में बढ़ रहा है। यह इस मायने में बहुत महत्त्वपूर्ण है कि इस बार का विषय सभी के साथ “सहयोग, सामंजस्य और बातचीत” है। इसमें एक समुद्री चरण और एक बंदरगाह चरण है, जो 19 फरवरी से शुरू होकर 27 फरवरी तक चलेगा। अभी हम पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, 2030 तक या उससे भी पहले तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहे हैं। निश्चित रूप से हमारे देश का कद बढ़ रहा है और समुद्री क्षेत्र के महत्त्व को भी हर कोई महसूस कर रहा है। समुद्री क्षेत्र अपने आप में बहुत महत्त्वपूर्ण है, इसलिए महासागरों को सुरक्षित, संरक्षित और मुक्त रखने की आवश्यकता है।

नौसेना प्रमुख ने समुद्री क्षेत्र में भारत के राष्ट्रीय हित देखते हुए नौसैन्य अभ्यास को बताया महत्वपूर्ण

उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि नियम-आधारित व्यवस्था के तहत समुद्री क्षेत्र में हमारे राष्ट्रीय हित सुरक्षित रहें। बहुराष्ट्रीय अभ्यास “मिलन” में भारतीय नौसेना के दोनों विमानवाहक पोतों की भागीदारी पर नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार कहते हैं कि दोनों वाहक अभ्यास में हिस्सा लेने के बाद पश्चिमी समुद्र तट पर जायेंगे और हम उन्हें एकीकृत करने जा रहे हैं। अभी पश्चिमी समुद्र तट पर ऑपरेशन की गति काफी तेज है, क्योंकि हमारे 10 जहाज ड्रोन-रोधी उपायों के लिए तैनात हैं। अन्य 3-4 जहाज समुद्री डकैती-रोधी अभियानों के लिए तैनात हैं, जो अभूतपूर्व है, क्योंकि पहले ऐसा नहीं था।

अनुरोध पत्र अमेरिकी सरकार को भेजा 

एमक्यू 9बी ड्रोन की खरीद पर नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) से मंजूरी के बाद अनुरोध पत्र अमेरिकी सरकार को भेज दिया गया है। अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी के बाद आने वाले कुछ महीनों में अनुबंध पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। उसके बाद इसके निर्माण और वितरण में समय लगेगा, इसलिए पहला एमक्यू 9बी ड्रोन 36 महीने से पहले नहीं आ सकता है। सी-295 विमान आधारित निगरानी विमानों के लिए डीएसी से 16 फरवरी को मंजूरी मिलने के बाद नौसेना प्रमुख ने कहा कि नौसेना के लिए नौ विमान और तटरक्षक बल के लिए छह विमान भारत में ही बनाये जायेगे। इसके लिए सेंसर सूट और सूचना प्रबंधन प्रणाली डीआरडीओ और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड संयुक्त रूप से विकसित करेंगे। इसलिए पहले विमान की आपूर्ति होने में शायद 4-5 साल लगने की उम्मीद है।

पिछले दो माह के भीतर अरब सागर में समुद्री डाकुओं की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए भारतीय नौसेना को धन्यवाद देते हुए एडमिरल आर हरि कुमार ने बताया कि इस समय एंटी-पाइरेसी ऑपरेशन और एंटी-ड्रोन ऑपरेशन चल रहा है। ड्रोन-विरोधी ऑपरेशन में न केवल भारतीय ध्वज वाले व्यापारिक जहाज, बल्कि किसी भी अन्य ध्वजवाले व्यापारिक जहाजों की मदद करके उन्हें सुरक्षित रूप से बंदरगाह तक पहुंचने में सहायता कर रहे हैं। एंटी-पाइरेसी ऑपरेशन के लिए चार जहाज तैनात किए हैं। इसलिए पिछले दिनों ईरानियों और पाकिस्तानी जहाजों को सोमालियाई समुद्री डाकुओं को खदेड़ कर चालक दल को सुरक्षित बचाया गया है।

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